प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
हाल की तिमाहियों में आईपीओ लाने वाली कंपनियों ने बीमा कंपनियों के मुकाबले म्युचुअल फंडों को करीब चार गुना शेयर आवंटित किए हैं। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछली चार तिमाहियों में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में एंकर निवेशकों के तौर पर म्युचुअल फंडों ने 21,976 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसकी तुलना में बीमा कंपनियों ने इस दौरान 5,216 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
एंकर निवेशक, संस्थागत निवेशक होते हैं जिन्हें आईपीओ में लॉक-इन अवधि के अधीन प्रारंभिक आवंटन प्राप्त होता है। म्युचुअल फंडों को एंकर कोटे का एक-तिहाई हिस्सा गारंटी से दिया जाता है। 31 जुलाई के परामर्श पत्र में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जीवन बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए अतिरिक्त 7 फीसदी कोटा प्रस्तावित किया था।
सेबी ने कहा, आईपीओ में बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों की बढ़ती रुचि को देखते हुए एंकर आरक्षण को 40 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। इससे लंबी अवधि के निवेशक आधार में विविधता आएगी और साथ ही म्युचुअल फंडों के लिए एक-तिहाई आरक्षण बरकरार रहेगा, जिससे एंकर निवेश की गहराई और स्थिरता बढ़ेगी। नियामक ने इन बदलावों को 12 सितंबर को औपचारिक रूप दिया।
आईपीओ में बीमा कंपनियों की भागीदारी बढ़ी है। 2019 में चार तिमाहियों का औसत 300 करोड़ से कम था, लेकिन अब यह 5,000 करोड़ को पार कर गया है। हालांकि म्युचुअल फंड आवंटन और भी तेज़ी से बढ़ा है और इस अवधि में 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 20,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
इसका एक हिस्सा महामारी के बाद खुदरा सहभागिता में आई तेज़ी को दर्शाता है। निवेशक खातों की संख्या 2019 के 9 करोड़ से बढ़कर 2025 में 24 करोड़ से ज्यादा हो गई। अब म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा इक्विटी धन का प्रबंधन करते हैं।
प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि जून तक म्युचुअल फंडों के पास करीब 48 लाख करोड़ की परिसंपत्ति थी, जबकि बीमा कंपनियों के पास करीब 24 ट्रिलियन। यह अंतर लगातार बढ़ रहा है, हालांकि यह रुझान महामारी से पहले का है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, एक बड़ा मोड़ नोटबंदी का था। 2016 में अचानक बड़े नोटों की वापसी ने निवेशकों को म्युचुअल फंड जैसी औपचारिक बचत योजनाओं की ओर आकर्षित किया। इसके तुरंत बाद वृद्धि दर में तेज़ी आई और महामारी के दौरान इसमें और तेजी देखने को मिली। बीमा कंपनियों के साथ यह अंतर और बढ़ने की संभावना है।
सितंबर 2016 तक बीमा कंपनियों के पास नैशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों का बड़ा हिस्सा था। लेकिन सितंबर 2017 तक म्युचुअल फंडों ने बढ़त बना ली और उनके पास 5.68 फीसदी हिस्सेदारी थी जबकि बीमा कंपनियों के पास 5.44 फीसदी। जून तक म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर करीब 10 फीसदी हो गई, जबकि बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी 5.3 फीसदी है।