म्युचुअल फंडों के डायरेक्ट प्लान में सलाह पर किए जाने वाले निवेश की हिस्सेदारी पिछले 18 महीनों में बढ़ी है। यह वृद्धि निवेशकों की तरफ से अपने आप किए जाने वाले निवेश के मुकाबले तेजी से हुई है। निवेश सलाहकारों या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवा प्रदाताओं के जरिये डायरेक्ट स्कीम में निवेश करने वालों ने अपनी मासिक औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में जनवरी 2024 से अब तक 64-65 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
सलाह के बिना डायरेक्ट योजना में खुद से निवेश करने वाले निवेशकों ने अपनी परिसंपत्तियों में इस दौरान 47 फीसदी की बढ़ोतरी देखी है। इसका पता जून 2025 के आंकड़ों से चलता है। कुल मिलाकर औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में इस अवधि में 41 फीसदी का इजाफा हुआ है।
डायरेक्ट प्लान में वितरक कमीशन के बिना म्युचुअल फंड में निवेश की सुविधा देता है। उद्योग इसे सलाहकारों, पीएमएस प्रदाताओं और खुद से निवेश करने वालों के माध्यम से आने वाले निवेश के रूप में वर्गीकृत करता है। पहले दो निवेशकों को उनकी सेवा के लिए भुगतान किए जाने वाले शुल्क के बदले आवंटन का प्रबंधन करने में मदद करते हैं।
खुद से निवेश करने वाले लोग अपना फंड खुद चुनते हैं और कोई शुल्क नहीं देते। हाल के दिनों में बाजार में कम रिटर्न और भारी अस्थिरता को देखते हुए सलाह पर किया गया निवेश से परिसंपत्तियों में अपेक्षाकृत उच्च वृद्धि अहम हो जाती है।
निवेश सलाहकार और वितरक जयंत विद्वान ने कहा कि वित्तीय बाजार में नए निवेशक ऐसे मार्गदर्शन से लाभान्वित हो सकते हैं, जिससे उन्हें अस्थिरता के दौर में घबराहट से बचने में मदद मिलती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो लोग पहली बार म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं, वे अक्सर गिरावट के दौरान निवेश रोक देते हैं क्योंकि वे नकारात्मक रिटर्न से असहज हो सकते हैं और उन्हें यह समझाने के लिए शिक्षित करने की जरूरत है कि बाजार लंबे समय तक कम रिटर्न दे सकते हैं, खासकर उन फंडों में जो विशिष्ट थीम पर केंद्रित हों और जो लंबे समय तक गिरावट के दौर से गुजर रहे हों।
उन्होंने कहा, मैंने ऐसी अवधि देखी है जब एसआईपी रिटर्न 3 से 5 साल के लिए नकारात्मक रहे हैं। डायरेक्ट प्लान में निवेश सलाहकारों और पीएमएस प्रदाताओं की हिस्सेदारी 35.4 लाख करोड़ रुपये के कुल प्रत्यक्ष म्युचुअल फंड निवेश में महज 15.8 फीसदी पर बनी हुई है जो कम है। लेकिन भू-राजनीतिक तनावों, टैरिफ युद्धों और धीमी होती अर्थव्यवस्था के बीच वे शायद ज्यादा मजबूत दिख रहे हैं।
म्युचुअल फंड ट्रैकर वैल्यू रिसर्च के मुख्य कार्यकारी अधिकारी धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि सलाह पर और खुद से निवेश करने वाले निवेशकों के बीच आकार के अंतर के कारण सलाह की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है। बड़ी राशि वाले निवेशक आमतौर पर सलाहकारों और पीएमएस कंपनियों की ओर आकर्षित होते हैं जबकि अन्य निवेशक आमतौर पर तकनीकी प्लेटफॉर्म पर निर्भर करते हैं। उन्होंने कहा कि सेवा प्रदाताओं के लिए कम राशि वाले निवेशकों की जरूरतों पर ध्यान देना शायद फायदे का सौदा न हो। उन्होंने कहा, खुद से निवेश करने वाले निवेशकों के निवेश का आकार काफी छोटा है।
एक म्युचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अनुसार इस बदलाव का एक और कारण यह हो सकता है कि कई वेल्थ मैनेजरों ने अपने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) विभाग के तहत ग्राहकों को रेग्युलर प्लान से डायरेक्ट प्लान में डालना शुरू कर दिया है। इसकी वजह यह सुनिश्चित करना है कि जो ग्राहक लागत के अंतर का लाभ उठाना चाहते हैं, वे नुकसान में न रहें।
उन्होंने कहा, अगर आप रेग्युलर प्लान और डायरेक्ट प्लान के बीच अंतर देखें तो यह 1 से 1.5 फीसदी तक है। पीएमएस सेगमेंट उन संपत्तियों से छोटी-मोटी कमाई कर रहा है जो संगठन के भीतर ही बनी हुई हैं। सीईओ के अनुसार वेल्थ मैनेजरों को उम्मीद है कि कम फीस से होने वाले नुकसान की भरपाई वे वॉल्यूम के जरिये कर लेंगे।