शेयर बाजार में हाल के दिनों में गिरावट के दौरान सेक्टर एवं थीमैटिक फंड के रिटर्न में भारी गिरावट दर्ज की गई। मगर बाजार में तेजी के दौरान इन फंडों ने आम तौर पर उच्च रिटर्न दिया है। पिछले साल 49 फीसदी का शानदार रिटर्न देने वाले पब्लिक-सेक्टर यूनिट (पीएसयू) फंड का रिटर्न पिछले महीने घटकर 8.9 फीसदी रह गया। इसी प्रकार इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड का रिटर्न 40 फीसदी से घटकर 8.3 फीसदी और कंजम्पशन फंड का रिटर्न 28.3 फीसदी से घटकर 9.7 फीसदी रहा गया। इन सभी फंडों ने पिछले महीने निवेशकों की संपत्ति को झटका दिया।
सेक्टर और थीमैटिक फंड अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 80 फीसदी हिस्सा किसी खास क्षेत्र अथवा थीम के शेयरों के लिए आवंटित करते हैं। थीमैटिक फंड में आम तौर पर सेक्टर फंड के मुकाबले अधिक विविधता होती है, मगर वे डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड के मुकाबले अधिक केंद्रित होते हैं।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के प्रमुख (योजनाएं) राजेश जयरमण ने कहा, ‘सेक्टर फंड में अधिक अस्थिरता हो सकती है क्योंकि किसी खास क्षेत्र पर केंद्रित होने के कारण उनका निवेश दायरा अधिक संकुचित होता है। ऐसे में इन फंडों में बाजार के उतार-चढ़ाव का प्रभाव उम्मीद से अधिक दिख सकता है।’
रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं (एफएमसीजी), वाहन, दूरसंचार और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे उपभोक्ता केंद्रित उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने वाले कंज्यूमर फंडों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। अक्टूबर 2024 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21 फीसदी हो गई थी। इसके अलावा वेतन में कम वृद्धि होने से भी उपभोक्ताओं की खर्च करने की ताकत प्रभावित हुई है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत निवेश सलाहकार और सहजमनी डॉट कॉम के संस्थापक अभिषेक कुमार ने कहा, ‘बुनियादी ढांचा कंपनियां विदेश से सस्ते कर्ज पर निर्भर हैं। अब उन्हें जापान जैसे देशों में बढ़ती ब्याज दरों का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है।’
कुमार ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों में पिछले साल काफी तेजी दर्ज की गई थी, लेकिन अब उनमें दबाव दिख रहा है। इसकी मुख्य वजह उम्मीद के मुताबिक आय का न होना है।
सेक्टर और थीमैटिक फंड किसी खास क्षेत्र अथवा थीम से जुड़े होते हैं। इन क्षेत्रों अथवा थीम की कंपनियां खुद अपने आर्थिक एवं कारोबारी चक्रों से गुजरती हैं। इन चक्रों के अनुकूल रहने पर वे भारी मुनाफा कमा सकती हैं। मगर चक्रीय गिरावट उनके प्रदर्शन को काफी प्रभावित करती है। डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों का निवेश विभिन्न क्षेत्रों में होने के कारण वे गिरावट के प्रति बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं।
सेक्टर और थीमैटिक फंड उन मंझे हुए निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो किसी सेक्टर या थीम में मौजूद संभावनाओं और मूल्यांकन का आकलन कर सकते हैं। यह फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो समय पर निवेश करने और निवेश समेटने का निर्णय लेने में समर्थ हैं।
एप्सिलॉन ग्रुप के मल्टी आर्क वेल्थ के सहायक उपाध्यक्ष (निवेश) सिद्धार्थ आलोक ने कहा, ‘निवेशकों को केवल पिछले रिटर्न पर ही गौर नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें थीम के भविष्य, बाजार चक्र एवं क्षेत्र में हो रहे बदलावों को भी समझना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि थीम के मूल्यांकन एवं परिदृश्य में भरोसा रखने वाले निवेशक बाजार में मौजूदा 10 फीसदी गिरावट का उपयोग अपने निवेश को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।
मगर सीमित ज्ञान एवं अनुसंधान क्षमता वाले निवेशक आम तौर पर पिछले प्रदर्शन के आधार पर इन फंडों में निवेश करते हैं। ऐसे निवेशकों को डायवर्सिफाइड फंड की ओर रुख करने पर विचार करना चाहिए। इन फंडों में गिरावट का दौर लंबा हो सकता है।
निवेशकों को अपनी जोखिम सहन करने की क्षमता का भी आकलन करना चाहिए। हालिया नुकसान के कारण रातों की नींद हराम करने वाले निवेशकों को सेक्टर एवं थीमैटिक फंड में निवेश करने से दूर रहना चाहिए। इन फंडों में अधिक तेजी के साथ-साथ भारी गिरावट भी दिख सकती है।
अगर आप इन फंडों में निवेश को बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको 5 से 7 सात साल का समय निर्धारित करना चाहिए। लघु अवधि के निवेश लक्ष्य वाले निवेशकों को अपेक्षाकृत कम उतार-चढ़ाव वाले विकल्पों पर विचार करना चाहिए। जयरमण के अनुसार, इन फंडों को पोर्टफोलियो के मुख्य भाग में शामिल करने के बजाय अतिरिक्त हिस्से में रखना चाहिए।
मध्यम जोखिम क्षमता वाले निवेशक अपने इक्विटी पोर्टफोलियो में 10 फीसदी तक इन फंडों को शामिल कर सकते हैं, जबकि उच्च जोखिम क्षमता वाले निवेशक इनमें 20 फीसदी तक निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।