प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट (ईएम) इंडेक्स ने सितंबर में लगातार नौवें महीने मासिक वृद्धि दर्ज की। यह मार्च 2004 के बाद से 24 देशों के ईएम सूचकांक के लिए बढ़त का सबसे लंबा सिलसिला है। इस महीने सूचकांक करीब 7 फीसदी चढ़ा जो नवंबर 2023 के बाद से इसकी सबसे बड़ी मासिक वृद्धि है। भारत की बढ़त मामूली या 1 फीसदी से भी कम रही।
ईएम सूचकांक के इस शानदार प्रदर्शन का श्रेय मुख्य रूप से चीन को जाता है। उसका इसमें सबसे बड़ा हिस्सा है जबकि सूचकांक का तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा भारत का है लेकिन वह रफ्तार बरकरार रखने के लिए जूझ रहा है। साल 2025 में एमएससीआई ईएम इंडेक्स कैलेंडर वर्ष के हर महीने में चढ़ा है जबकि भारतीय बाजारों में सिर्फ पांच महीनों में ही बढ़ोतरी हुई है।
इस साल बेंचमार्क निफ्टी इंडेक्स में अब तक 4.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह एमएससीआई ईएम की 25 फीसदी की मजबूत बढ़त से काफी कम है। इस वर्ष करीब 30 फीसदी की वृद्धि के साथ चीनी शेयरों ने ईएम की बढ़त में बड़ा योगदान दिया है। एमएससीआई ईएम के वेटेज में चीन की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई है।
यह बदलाव विदेशी निवेशकों के रुझान में भी नजर आता है। वे भारत से पूंजी निकालकर चीन ले जा रहे हैं। इलारा कैपिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार सक्रिय वैश्विक उभरते बाजार फंड प्रबंधकों ने भारत में निवेश घटाकर 16.7 फीसदी कर लिया है जो नवंबर 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इस बीच, चीन में निवेश बढ़कर 28.8 फीसदी हो गया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही में निवदेशी निवेशकों ने चीन के शेयरों, बॉन्डों, ऋणों और जमाओं में खासी भागीदारी की है। साल 2021 के बाद पहली बार इन सभी में एक साथ निवेश हुआ है।
पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के अनुसार जून तक शुद्ध निवेश 2024 के सालाना आंकड़े से करीब 60 फीसदी अधिक हो चुका है। भारत के उलट चीन विदेशी निवेश के आंकड़े देर से जारी करता है। इस बीच, इस कैलेंडर वर्ष में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत से अब तक 18 अरब डॉलर की निकासी की है।
मूल्यांकन के मानक इन रुझानों को साफ तौर पर बताते हैं: भारत का 12 माह आगे का पीई अनुपात 20 गुना है जो उसके 10 साल के औसत 21 गुना से थोड़ा कम है। इसके उलट एमएससीआई ईएम सूचकांक 13.8 गुना पर कारोबार कर रहा है जो उसके 10 वर्षीय औसत 12 गुना से ऊपर है जबकि मुख्यभूमि चीन और हॉन्गकॉन्ग दोनों के बाजार 14 गुना के करीब कारोबार कर रहे हैं।
सवाल है कि क्या चीन के बाजारों की रफ्तार भारत से बेहतर बनी रहेगी?
एचएसबीसी के एशिया प्रशांत क्षेत्र के इक्विटी रणनीति प्रमुख हेरल वैन डेर ने कहा,चीनी शेयरों में जबरदस्त उछाल के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह तेजी जारी रहेगी। मूल्यांकन बढ़े हुए हैं। लेकिन बहुत अधिक नहीं। हालांकि खुदरा निवेशकों के पास 22 लाख करोड़ डॉलर की नकदी है, जिसमें से कुछ धीरे-धीरे शेयरों में निवेश की जा रही है। हमें उम्मीद है कि चीनी इक्विटी धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ेगी। चीन और भारत दोनों पर उनका रुख सकारात्मक है।