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अगस्त में आया ज्यादा विदेशी निवेश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 4:06 PM IST

 अगस्त में देसी इक्विटी बाजारों ने साल 2020 में , महामारी फैलने के बाद के सर्वोच्च विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में से एक हासिल किया है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से महंगाई पर नियंत्रण के लिए प्रोत्साहन पैकेज को लेकर ठोस कदमों के बावजूद ऐसा देखने को मिला।

अगस्त में एफपीआई ने 51,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया, जो दिसंबर 2020 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा है और मार्च 2020 के बाद का तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा, जब कोविड-19 महामारी ने वैश्विक बाजारों को जोरदार झटका दिया था। सकारात्मक विदेशी निवेश का यह लगातार दूसरा महीना है। पिछले नौ महीने में एफपीआई ने 2.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की है। जून के आखिर से एफपीआई निवेश में सुधार से देसी बाजारों को जून के अपने निचले स्तर से 16 फीसदी की बढ़त हासिल करने में मदद मिली है। 
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त में विदेशी निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा पाने में भारतीय इक्विटीज शामिल रही।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, भारत एकमात्र देश है जहां उभरते बाजारों के मुकाबले बढ़त व आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सकारात्मक है। कई फंड ऐसे हैं जो उन बाजारों में निवेश की इच्छुक हैं जहां आर्थिक बढ़त की रफ्तार अच्छी होती है। भारत ऐसा ही बाजार है। एफपीआई ने सितंबर 2021 के बाद से लगातार निवेश निकासी की है। अब आर्थिक बढ़त को लेकर स्पष्टता है, ऐसे में वे इसमें से कुछ निवेश दोबारा करने की कोशिश में हैं।

इस साल अब तक के लिहाज से जिंस निर्यातक देशों मसलन इंडोनेशिया व ब्राजील ने ज्यादा एफपीआई निवेश और बेहतर प्रदर्शन पाया है। भारत हालांकि पिछले दो महीने से तेज गति से आगे बढ़ रहा है और अन्य अहम वैश्विक बाजारों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दर्ज कर रहा है।
भारत ने एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स के मुकाबले जून मध्य से करीब 19 फीसदी बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसकी वजह एफपीआई के निवेश में हुआ सुधार है।

एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, हमें लग रहा था कि जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर आशंका का निपटान हो जाएगा तब हर कोई बढ़त पर नजर डालेगा और भारत बेहतर गंतव्य के तौर पर उभरेगी। लेकिन ये चीजें अनुमान से थोड़ी पहले हो गई। हमें नहीं पता कि और ज्यादा निवेश हासिल करने के लिए कौन सी चीजें उत्प्रेरक बनने जा रही है। अगर यूरोप में ऊर्जा संकट का निपटारा हो जाता है तो यह चीजों को थोड़ा कम चिंताजनक बना देगा।

भारत के हालिया उम्दा प्रदर्शन को विदेशी निवेश के परिदृश्य में सुधार से सहारा मिला है।
हालांकि यह देखना अभी बाकी है कि क्या भारत में मजबूत निवेश जारी रहेगा क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मात्रात्मक सहजता पर सख्ती की शुरुआत करने वाला है। इसके तहत अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपनी बैलेंस शीट का आकार हर महीने करीब 90 अरब डॉलर घटाएगा। यह फेड के उस रुख के उलट है क्योंकि जून 2020 के बाद से उसने बैलेंस शीट में हर महीने 120 अरब डॉलर का विस्तार किया था ताकि महामारी से त्रस्त अर्थव्यवस्था को बहाल करने में मदद मिले।

साथ ही हालिया उम्दा प्रदर्शन ने अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के प्रीमियम का विस्तार किया है। अब निफ्टी अपनी 12 महीने की अनुमानित आय के 22.2 गुने पर कारोबार कर रहा है। इसकी तुलना में एमएससीआई ईएम इंडेक्स इसके करीब आधे यानी 11 गुने पर कारोबार कर रहा है।

विगत में जब भी भारतीय बाजार ने ऐसे भारी प्रीमियम पर कारोबार किया है, देसी बाजारों ने अन्य समकक्ष उभरते बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। एफपीआई निवेशके लिए अन्य संभावित अवरोध डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपया हो सकता है। सोमवार को रुपये ने डॉलर के मुकाबले 79.97 के नए निचले स्तर की परख की है। रुपये में गिरावट विदेशी निवेशकों के रिटर्न को चट कर जाता है। 
विश्लेषकों ने जोर दिया है कि भारत समेत उभरते बाजारों में एफपीआई निवेश अमेरिकी ट्रेजरी के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। मंगलवार को 10 वर्षीय ट्रेजरी 3.1 फीसदी को छू गया। महीने के शुरू में यह 2.57 फीसदी पर था। प्रतिफल में और सख्ती एफपीआई निवेश के लिए खतरा पैदा कर सकता है क्योंकि अमेरिका में आकर्षक प्रतिफल विदेशी फंडों को अपने जोखिम-प्रतिफल अनुपात पर दोबारा नजर डालने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

First Published : August 31, 2022 | 10:16 PM IST