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मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक जनवरी में मजबूत रहे, लेकिन सतर्कता बरतना जरूरी

BSE Midcap : वैश्विक कारणों से बाजारों पर दबाव, निवेशकों को शेयर चयन पर ध्यान देना चाहिए

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- January 30, 2024 | 10:34 PM IST

बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक अस्थिरता से भरे जनवरी माह में अपना आकर्षण बनाए रखने में कामयाब रहे। जनवरी में प्रमुख सूचकांकों ने अपने 52 सप्ताह के ऊंचे स्तर बनाए और फिर उनमें गिरावट आई।

सेंसेक्स जनवरी में अब तक (29 जनवरी) 2 प्रतिशत से ज्यादा कमजोर हुआ है लेकिन बीएसई मिडकैप सूचकांक और बीएसई स्मॉलकैप में इस दौरान करीब 2.5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की तेजी आई।

एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि सालासर टेक्नो इंजीनियरिंग, आईएफसीआई, गणेश हाउसिंग कॉरपोरेशन, आईआरएफसी, वारी रिन्युएबल टेक्नोलॉजीज, आरवीएनएल, कामधेनु, ट्रांसफॉर्मर्स ऐंड रेक्टीफायर्स (इंडिया), ओरेकल फाइनैंशियल सर्विसेज सॉफ्टवेयर, टूरिज्म फाइनैंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आलोक इंडस्ट्रीज और इरकॉन इंटरनैशनल उन मिडकैप एवं स्मॉलकैप शेयरों में शामिल रहे, जिनमें जनवरी में अब तक 44 से 83 फीसदी तक की तेजी आई है।

कई विश्लेषक वैश्विक कारणों(भूराजनीतिक तनाव, लाल सागर संकट, मजबूत बॉन्ड प्रतिफल और वैश्विक केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति) तथा अगले कुछ महीनों के दौरान घरेलू घटनाक्रम की वजह से बाजारों पर सतर्क बने हुए हैं। उनका मानना है कि अगले कुछ सप्ताहों के दौरान धारणा सतर्क बनी रहेगी और ऐसे में निवेशकों को निवेश करते वक्त शेयर चयन पर खास ध्यान देना चाहिए।

इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं शोध प्रमुख जी चोकालिंगम का कहना है, ‘राजनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान और ईरान के बीच तनाव बढ़ रहा है। ताइवान में चुनाव के बाद चीन और ताइवान के बीच संबंध और खराब हो गए हैं।

वहीं बिटकॉइन फिर से वैश्विक इक्विटी के लिए प्रतिस्पर्धी परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर उभर रही है और माना जा रहा है कि अमेरिका और चीन दोनों में ब्याज दर कटौती में विलंब हो सकता है।

कई लोगों की चिंता है कि कमजोर बिजनेस मॉडल या बैलेंस शीट वाले स्मॉलकैप शेयरों ने अपना बाजार पूंजीकरण काफी तेजी से बढ़ा लिया है। इस वजह से सतर्कता की जरूरत है।’ उनका कहना है कि स्मॉलकैप और मिडकैप क्षेत्र (एसएमसी) के ज्यादातर शेयर ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं।

उनका मानना है, ‘हमारी राय में अगर मुनाफावसूली के लिए अचानक सब उतरे तो इस क्षेत्र के शेयरों से पैसा बनाना मुश्किल होगा और उनकी कीमतों पर भी असर होगा। इसलिए, हम छोटे और मझोले शेयरों से बहुत उम्मीद नहीं रखने और लार्जकैप की तरफ जाने का सुझाव दे रहे हैं।’

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के अनुसार व्यापक बाजार एफऐंडओ एक्सपायरी के बाद ऊंचे मूल्यांकन, कमजोर नतीजों और पश्चिम एशिया के भूराजनीतिक तनाव की वजह से बढ़त बनाए रखने में सक्षम नहीं है। इससे संपूर्ण बाजार धारणा पर प्रभाव पड़ रहा है।

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि मूल्यांकन के नजरिये से बाजार महंगे भी नहीं हैं। निफ्टी इस समय 20 गुना के एक वर्षीय फॉर्वर्ड पर चल रहा है जो पिछले 10 वर्षीय औसत से ऊपर है, लेकिन उभरते बाजारों (चीन को छोड़कर) के मुकाबले यह तेजी 67 प्रतिशत है। यह ऐतिहासिक औसत से कुछ अधिक है।

जेफरीज के पसंदीदा शेयरों में बड़े बैंक (ऐक्सिस, आईसीआईसीआई), डेवलपर कंपनियां (लोढा, जीपीएल), विद्युत (कोल इंडिया, जेएसडब्ल्यू एनर्जी), दोपहिया (टीवीएस, आयशर), दूरसंचार (भारती) और पूंजीगत वस्तु (अदाणी पोर्ट्स, कजारिया) मुख्य रूप से शामिल हैं।

First Published : January 30, 2024 | 10:34 PM IST