तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने के बाद पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तेल की मार झेल रही है। इन हालात में भी एक अर्थव्यवस्था इससे बची हुई है जिसने इन हालात को अपने पक्ष में मोड़ लिया है।
वह अर्थव्यवस्था है लैटिन अमेरिकी देशों की। तेल निर्यातक होने के कारण उसने दुनिया के उभरते बाजारों को पछाड़ दिया है। उसकी मौद्रिक स्थिति बेहद अच्छी है। इस स्थिति के लिए संतुलित पेमेंट सबसे बड़ी वजह है। यह कहना है आईएनजी के उभरते बाजार के रणनीतिकार मार्टिन जेन बेक्कम का।
मार्टिन ने बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्टर वंदना के साथ बातचीत में भारतीय बाजार के बारे में यह भी बताया कि लैटिन अमेरिका कैसे अभी भी बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश पाने में सबसे सफल साबित हो रहा है।
ऐसे समय में जब दुनियाभर में शेयर बाजार बदहाल हैं, भारतीय बाजार के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है। इस बाजार को लेकर आपका मूल्यांकन क्या है और किस क्षेत्र को आप अच्छा देख रहे हैं।
भारतीय बाजार पहले ही काफी करेक्शन से गुजर चुका है। इस साल मूल्यांकन पहले की तुलना में और अधिक बेहतर है। लेकिन ऊर्जा की कीमतें ऊंची होने से अर्थव्यवस्था पेमेंट संतुलन के दबाव में रहेगी। नीचे आने से पहले मुद्रास्फीति और ब्याज की दर और ऊपर जा सकती है।
कुल मिलाकर भारतीय बाजार में फिर से निवेश करने के लिए अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी। सबसे बेहतर क्षेत्र है, इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्यात का क्योंकि रुपये के और गिरने की संभावना है। आने वाले 12 माह में देश की कंपनियों की ग्रोथ के 15 से 20 फीसदी रहने की संभावना है। आईएनजी ने अगले दो साल में जीडीपी के 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
भारत और पूरे क्षेत्र के लिए ग्लोबल निवेशकों से आपको क्या संकेत मिल रहे हैं। क्या वे आगे भारत के बारे में अपनी राय बदलेंगे।
मैं नहीं मानता की अब तक भारत में निवेशक अंडरवेट हैं। अगर यहां हालात बिगड़ते हैं तो और धन बाजार से बाहर जा सकता है। फिर भी मैं नहीं मानता कि फ्लो की स्थिति नकारात्मक रहेगी हालांकि पिछले कुछ माह में भारत से काफी धन बाहर गया है।
आईएनजी को लैटिन अमेरिकी बाजार में इतनी मजबूत कैसे बनी।
नाटकीय ढंग से रिस्क प्रोफाइल सुधरने, घरेलू मांग में अच्छी वृध्दि होने के साथ लैटिन अमेरिका ऊर्जा और अन्य कमोडिटी का शुध्द निर्यातक है। इन्हीं कारणों से लैटिन अमेरिका वैश्विक बाजार में आए संकट से अछूता रहा।
एशिया की तुलना में वहां मुद्रास्फीति पर अच्छा नियंत्रण है। इससे आने वाले 12 महीने में वहां की मुद्रा के और सशक्त होने की उम्मीद है। इसी कारण से लंबी अवधि की वृध्दि के लिहाज से वहां का बाजार बेहद शानदार है।