Sailesh Raj Bhan, Chief Investment Officer, Equities Nippon India Mutual Fund
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटीज) शैलेश राज भान ने अभिषेक कुमार के साथ बातचीत में कहा कि चौथी तिमाही में संपूर्ण राजस्व वृद्धि सुस्त रहने के आसार हैं क्योंकि कंज्यूमर स्टैपल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों को वृद्धि के लिए संघर्ष करना पड़ा है। उनका मानना है कि क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर), बड़े बैंक, चुनिंदा यूटिलिटीज और कमोडिटी व्यवसाय ऐसे कुछ खंड हैं जो अभी भी महत्त्वपूर्ण बने हुए हैं। बातचीत के अंश:
ऊंचे मूल्यांकन को कई कारकों से समर्थन मिला है। पिछले वर्ष के दौरान मजबूत रिटर्न के साथ-साथ आकर्षक विकल्पों की कमी और प्रमुख वैश्विक इक्विटी सूचकांकों में तेजी के कारण ताजा रुझानों ने निवेशकों के मनोबल को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा कर संग्रह, औद्योगिक गतिविधियां और बिजली की मांग जैसे प्रमुख संकेतकों में मजबूत वृद्धि के आंकड़ों ने भी निवेशकों की चिंताओं को कम करने में योगदान दिया है।
कुछ अवसर पैदा हुए हैं। हालांकि गिरावट मुख्य तौर पर कुछ खास शेयरों तक सीमित थी। भारत के लिहाज से जहां हालात काफी हद तक सकारात्मक हैं वहीं बाजार के कई सेगमेंटों के लिए शेयर भाव ऊंचे बने हुए हैं। फिर भी क्यूएसआर, बड़े बैंकों, चुनिंदा यूटीलिटीज और कमोडिटी व्यवसाय जैसे कुछ खास सेगमेंट महत्वपूर्ण दिख रहे हैं।
लार्ज और मेगाकैप शेयरों का आकर्षण बरकरार है। बाजार के मौजूदा बदलावों से अन्य सेगमेंटों के मुकाबले लार्जकैप के प्रतिफल में सुधार का संकेत दिख रहा है। जहां बड़े बैंकों को अल्पावधि मार्जिन दबाव का सामना करना पड़ सकता है, वहीं वे ऋण से जुड़ी चुनौतियों के कारण रिस्क/रिवार्ड आधार पर बेहतर कीमत की पेशकश कर रहे हैं। लगभग सभी क्षेत्रों की बड़ी कंपनियां समान क्षेत्र में मझोले आकार की कंपनियों की तुलना में सस्ते मूल्यांकन पर कारोबार कर रही हैं, जिससे बेहतर रिस्क/रिवार्ड के अवसर मिल रहे हैं।
ऐसा लगता है कि मार्जिन वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा कंपनियों द्वारा घोषित पिछले कुछ तिमाही परिणामों में दिख गया है। उत्पादन लागत में नरमी से हाल की तिमाहियों में कंपनियों की आय वृद्धि को मजबूती मिली है। हालांकि संपूर्ण राजस्व वृद्धि सुस्त बने रहने का अनुमान है, खासकर कंज्यूमर स्टैपल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में, जिन्हें वृद्धि के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। अल्पावधि में बैंकिंग सेक्टर को ऊंची जमा लागत और प्रतिफल दबाव के कारण कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है।
मौजूदा चुनौतीपूर्ण जैसे समय में निवेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका परिसंपत्ति आवंटन सही है। अगर ताजा तेजी ने किसी भी श्रेणी में उनके पोर्टफोलियो निवेश को कम कर दिया है तो उन्हें उसके अनुरूप बदलाव लाना चाहिए।