टाटा संस की सहायक कंपनी टाटा कैपिटल को अपने करीब 2 अरब डॉलर के आईपीओ के लिए बाजार नियामक सेबी से जल्द मंजूरी मिलने की संभावना है। इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंजूरी को अंतिम रूप दे दिया है और अगले कुछ हफ्तों में ऑब्जर्वेशन लेटर मिलने की उम्मीद है।
इससे टाटा कैपिटल के लिए सितंबर 2025 की समय सीमा से पहले सूचीबद्धता का रास्ता खुल जाएगा। ‘अपर लेयर’ नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह समय-सीमा तय कर रखी है। टाटा कैपिटल ने अप्रैल में कॉन्फीडेंशियल रूट के जरिये आईपीओ दस्तावेज जमा कराए थे, जिससे सेबी की मंजूरी मिलने तक यह जानकारी गोपनीय रखी जा सके।
अब तक सिर्फ दो कंपनियों ने ही सूचीबद्धता से पहले कॉन्फीडेंशियल फाइलिंग रूट के जरिये आईपीओ के लिए दस्तावेज जमा कराए थे। इनमें फूड डिलिवरी दिग्गज स्विगी और रिटेलर कंपनी विशाल मेगा मार्ट शामिल हैं। यदि इसे तेजी से मंजूरी मिल जाती है तो यह किसी मेगा आईपीओ के लिए सबसे जल्द हरी झंडी में से एक हो सकती है। मंजूरी के बाद एनबीएफसी को एक अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (यूडीआरएचपी) जमा कराना होगा।
आईपीओ से पहले यूडीआरएचपी को कम से कम तीन सप्ताह तक सार्वजनिक डोमेन में रखना होगा। कंपनी के आईपीओ में फ्रेश इश्यू और टाटा संस समेत मौजूदा शेयरधारकों की बिक्री पेशकश (ओएफएस) शामिल होने की संभावना है।
अनलिस्टेड जोन के अनुसार अनलिस्टेड बाजार में टाटा कैपिटल का शेयर 1,075 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। आईपीओ की समय-सीमा और अन्य जानकारी के बारे में टाटा कैपिटल और सेबी को भेजे गए ईमेल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। सेबी की वेबसाइट से पता चलता है कि कंपनी या उसकेनिवेश बैंकरों के साथ अंतिम संवाद 24 मई को हुआ था। टाटा टेक्नोलॉजीज (2023) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (2004) के बाद टाटा समूह का लगभग दो दशक में यह दूसरा आईपीओ होगा। फरवरी में टाटा कैपिटल के बोर्ड ने आईपीओ और राइट्स इश्यू की योजनाओं को मंजूरी दी।
कई अन्य एनबीएफसी को भी आईपीओ के लिए सेबी से मंजूरी मिली है। इससे आने वाले समय में आईपीओ बाजार में व्यस्तता बढ़ने का संकेत दिख रहा है। इनमें एचडीबी फाइनैंशियल का 12,500 करोड़ रुपये और हीरो फिनकॉर्प का 3,700 करोड़ रुपये का आईपीओ शामिल है।
वित्त वर्ष 2025 में टाटा कैपिटल का वित्तीय साधनों पर नुकसान बढ़कर 3,072 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2024 में 748 करोड़ रुपये था। ब्याज आय 67 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 19,203 करोड़ रुपये और राजस्व 64.5 प्रतिशत वृद्धि के साथ 21,866 करोड़ रुपये रहा। इसके बावजूद स्टैंडअलोन लाभ केवल 4 प्रतिशत बढ़कर 2,594 करोड़ रुपये पहुंच सका।
परिसंपत्ति गुणवत्ता भी कमजोर हुई और सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 1.71 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 2.33 फीसदी पर पहुंच गया। शुद्ध एनपीए अनुपात 0.38 फीसदी से बढ़कर 0.98 फीसदी हो गया।