प्रमुख भारतीय स्टार्टअप के एक गठबंधन ने तेजी से उभरती देसी कंपनियों को आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में मार्गदर्शन करने के लिए एक नया प्लेटफॉर्म तैयार किया है। ऐसी करीब 40 कंपनियों का मूल्यांकन 90 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है और वे जल्द ही सूचीबद्ध होने की तैयारी कर रही हैं।
पचास से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्टार्टअप पॉलिसी फोरम (एसपीएफ) ने मुंबई में आयोजित एक बैठक के दौरान सेंटर फॉर न्यू-एज पब्लिक कंपनीज (सीएनपीसी) प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय भी बैठक में शामिल हुए। इसके अलावा 20 स्टार्टअप संस्थापक भी शामिल हुए।
यह पहल ऐसे समय में की गई है जब भारत के पूंजी बाजार की रफ्तार वैश्विक सूचकांकों से अधिक दिख रही है। इससे घरेलू स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य निजी से सार्वजनिक कंपनी बनने की जटिलताओं से जूझ रही स्टार्टअप्स की मदद करना है। आम तौर पर कंपनियों के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव होता है जो प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।
इस केंद्र का उद्देश्य इन फर्मों के सामने आने वाली विशिष्ट विनियामक, प्रशासन और बाजार-तैयारी चुनौतियों का समाधान करना है। इससे नए जमाने की कंपनियों, नियामकों, संस्थागत निवेशकों, स्टॉक एक्सचेंजों, बैंकरों, नीति निर्माताओं और परिवेश के अन्य प्रतिभागियों के बीच सहयोगात्मक माहौल को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्टार्टअप पॉलिसी फोरम की अध्यक्ष एवं सीईओ श्वेता राजपाल कोहली ने कहा, ‘भारत के पूंजी बाजारों में ढांचागत बदलाव दिख रहा है, जहां नए जमाने की और प्रौद्योगिकी से संचालित कंपनियां अपने आईपीओ के साथ निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह केंद्र नए जमाने की कंपनियों को पूंजी बाजार में प्रवेश करने और फलने-फूलने के लिए माहौल को बेहतर बनाएगा।’
यह पहल ऐसे समय में की गई है जब भारत का स्टार्टअप परिवेश परिपक्व होता दिख रहा है। कंपनियां कभी सार्वजनिक होने के लिए अमेरिकी बाजार की ओर देखती थीं, लेकिन वे अब निवेशकी की बढ़ती दिलचस्पी के बीच घरेलू बाजार में सूचीबद्ध हो रही हैं।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एमडी एवं सीईओ आशिष चौहान ने कहा, ‘सार्वजनिक बाजारों में नए जमाने की कंपनियों का उभरना एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है।’ उन्होंने कहा, ‘सीएनपीसी जैसी पहल बेहतर प्रशासन, पारदर्शिता और पूंजी बाजार की तैयारी को बढ़ावा देगी। साथ ही इससे खुदरा एवं संस्थागत निवेशकों के बीच विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।’