आईपीओ

Go Digit के आईपीओ का जीएमपी 29 फीसदी

Go Digit ने अपने आईपीओ का प्राइस बैंड 258 से 272 रुपये प्रति शेयर तय किया है। 2,614 करोड़ रुपये के आईपीओ में नए शेयर जारी होंगे।

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सुन्दर सेतुरामन   
खुशबू तिवारी   
Last Updated- May 12, 2024 | 9:56 PM IST

गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस का आईपीओ (Go Digit IPO) इस हफ्ते खुल रहा है और इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) 29 फीसदी है। पिछले हफ्ते खुले तीन आईपीओ का जीएमपी 20 से 55 फीसदी के बीच रहा था। पिछला हफ्ता आईपीओ के लिए व्यस्ततम हफ्तों में से एक था, जहां तीन फर्में 6,400 करोड़ रुपये जुटा रही हैं।

वोडाफोन आइडिया की हिस्सेदारी बिक्री को मिली कामयाबी और भारती हेक्साकॉम के 4,275 करोड़ रुपये के आईपीओ को मिली प्रतिक्रिया ने निवेशकों में आईपीओ के भविष्य को लेकर आशावाद का संचार किया है।

गो डिजिट ने अपने आईपीओ का कीमत दायरा 258 से 272 रुपये प्रति शेयर तय किया है। 2,614 करोड़ रुपये के आईपीओ में नए शेयर जारी होंगे और द्वितीयक बिक्री होगी।

प्रेम वत्स के फेयरफैक्स समूह के समर्थन वाली गो डिजिट सामान्य बीमा कंपनी है, जो मोटर इंश्योरेंस, प्रॉपर्टी इंश्योरेंस, मरीन इंश्योरेंस, लाइबलिटी इंश्योरेंस और अन्य बीमा उत्पाद मुहैया कराती है।

इस हफ्ते पांच कंपनियों की लॉक-इन अवधि हो रही खत्म

इस हफ्ते पांच कंपनियों की लॉक इन अवधि खत्म होने वाली है – राशि पेरिफेरल्स, एंटेरो हेल्थकेयर, जन स्मॉल फाइनैंस बैंक, विभोर स्टील ट्यूब्स और एएसके ऑटोमोटिव। एएसके ऑटोमोटिव के लिए छह महीने की एक्सपायरी है जबकि बाकी के लिए 90 दिन की लॉक इन अवधि खत्म हो रही है।

लॉक इन अवधि खत्म होने पर सामान्य तौर पर शेयरों पर दबाव होता है, खास तौर से प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टेंट वाली कंपनियों पर। पिछले हफ्ते लॉक इन अवधि समाप्त होने वाले पांच शेयरों में 4 से 11 फीसदी के बीच गिरावट आई थी। इस हफ्ते खत्म होने वाली लॉक इन अवधि सूचीबद्ध शेयरों के बाजार में झंझावात में योगदान कर सकती है।

असूचीबद्ध प्रतिभूतियों को डीमैट में लाना अनिवार्य

असूचीबद्ध कंपनियों की सभी प्रतिभूतियों को 30 सितंबर तक अनिवार्य रूप से डीमैट में लाने से सीडीएसएल और एनएसडीएल को बहुत ज्यादा अप्रत्याशित लाभ शायद ही होगा। हालांकि सभी भारतीय निजी कंपनियों को इसका अनुपालन करना है, लेकिन इसके कुछ अपवाद व शर्तें भी हैं।

डिपॉजिटरी के एक अधिकारी ने कहा, जब ये कंपनियां पूंजी जुटाना चाहेंगी या पूंजी का हस्तांतरण करेंगी तब डीमैट की दरकार अनिवार्य रूप से होगी, यह सामान्य नियम नहीं है, इसमें कुछ निश्चित किन्तु-परंतु भी हैं। डिपॉजिटरीज को शायद इंतजार करके ये देखना होगा कि डीमैट व शर्तों के साथ कैसे ये कंपनियां आगे बढ़ती हैं।

First Published : May 12, 2024 | 9:56 PM IST