आईपीओ

निवेशकों की चिंता के बाद BSE ने टाला ट्रैफिकसोल का IPO, इश्यू को मिली थी 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली

एक अधिकारी ने कहा, यह फैसला एक्सचेंजों, ऑडिटर्स व पूरे तंत्र को सख्त संदेश देता है कि जनता से रकम जुटाने वाली कंपनियों की बैलेंस शीट और गवर्नेंस पर ध्यान दिए जाने की दरकार है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 17, 2024 | 10:00 PM IST

एक अप्रत्याशित कदम के तहत बीएसई ने कंपनी के फंडामेंटल, बैलेंस शीट और इश्यू से मिलने वाली रकम के इस्तेमाल को लेकर निवेशकों की चिंता के बाद मंगलवार को ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉ़जिज की सूचीबद्धता टाल दी। कंपनी के 45 करोड़ रुपये के आईपीओ को 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोलियां मिली थीं।

बीएसई ने मंगलवार को एक परिपत्र में कहा कि कुछ निश्चित पूछताछ हुई हैं। इसके मद्देनजर इस शेयर की सूचीबद्धता तब तक के लिए टाल दी गई है जब तक कि इनका समाधान इश्यू लाने वाली कंपनी नहीं निकाल लेती। सूत्रों ने कहा कि बीएसई ने इस एसएमई आईपीओ के खिलाफ बाजार नियामक सेबी के पास दर्ज शिकायत के बाद यह कदम उठाया।

ट्रैफिक सिस्टम्स और इंडस्ट्रीज के लिए आईटी सेवा देने वाली ट्रैफिकसोल ने 66 से 70 रुपये कीमत दायरे के साथ 45 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश किया था। यह इश्यू 10 सितंबर को खुलकर 12 सितंबर को बंद हुआ। इश्यू को निवेशकों से 300 गुना से ज्यादा आवेदन मिले।

कुछ प्रतिभागियों ने अंकेक्षकों के बार-बार दिए जाने वाले इस्तीफों, संदिग्ध कंपनी से सॉफ्टवेयर खरीदने में आईपीओ की रकम के इस्तेमाल, बोनस इश्यू के निजी नियोजन के जरिये वित्त वर्ष 23 में दो साल पहले के मुकाबले शेयर पूंजी में अचानक हुई बढ़ोतरी और आईपीओ आवेदन से ठीक पहले वित्त वर्ष 24 में लाभ में असाधारण बढ़ोतरी आदि को लेकर सवाल उठाए थे।

उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि ऐसे मामलों में एक्सचेंज रकम के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाता है और आईपीओ आवेदन की अवधि में जुटाई गई रकम तब तक एस्क्रो खाते में रखता है जब तक कि मामले का निपटान नहीं हो जाता। एक नियामकीय विशेषज्ञ ने कहा कि हालांकि कोई समयसीमा नहीं दी गई है। लेकिन अगर आईपीओ को लेकर एक्सचेंज को कुछ मसला दिखता है तो वह निवेशकों को रकम वापस करने का विकल्प दे सकता है।

नियामकीय अधिकारी ने कहा, यह फैसला एक्सचेंजों, अंकेक्षकों व पूरे तंत्र को सख्त संदेश देता है कि आम जनता से रकम जुटाने वाली कंपनियों की बैलेंस शीट और गवर्नेंस पर ध्यान दिए जाने की दरकार है। एक्सचेंज का फैसला ऐसे समय आया जब सेबी ने एसएमई आईपीओ को लेकर निवेशकों को आगाह किया है और एक्सचेंजों और अंकेक्षकों को सख्त जांच करने को कहा है।

प्रवर्तकों की धोखाधड़ी और प्रतिभूति नियमों के घोर उल्लंघन के बाद एसएमई सूचीबद्धता को लेकर नियम सख्त बनाने के लिए नियामक एक परामर्श पत्र पर भी काम कर रहा है। बाजार नियामक खुलासे की अनिवार्यता, पात्रता की शर्तें, क्यूआईबी और एंकर निवेशकों के लिए आरक्षण और अंकेक्षण से जुड़ी जांच पर नियम बना सकता है।

पात्रता मानकों में हालिया बदलाव के बाद एक्सचेंजों ने भी कमजोर राजस्व और लाभ वाले एसएमई को रोकने के लिए कदम उठाए हैं और काफी ज्यादा तेजी टालने के लिए सूचीबद्धता लाभ पर 90 फीसदी की सीमा लगाई है।

First Published : September 17, 2024 | 9:47 PM IST