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निवेशकों को शेयर कारोबार में मिलेगी IPO जैसी UPI ‘ब्लॉक’ सुविधा

यूपीआई ब्लॉक व्यवस्था में, कारोबारियों को ब्रोकर को पहले से पैसा देने की जरूरत नहीं होगी।

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भाषा   
Last Updated- October 02, 2024 | 7:43 PM IST

पात्र शेयर ब्रोकरों को एक फरवरी से अपने ग्राहकों को शेयर की खरीद-बिक्री को लेकर यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) आधारित ‘ब्लॉक’ व्यवस्था के उपयोग की अनुमति देनी होगी या फिर वे एक कारोबारी खाते में तीन सुविधाओं की पेशकश करेंगे। इस कदम से निवेशकों की स्थिति मजबूत और सशक्त होगी।

पात्र शेयर ब्रोकर (क्यूएसबी) को कारोबार के मौजूदा तरीके के अलावा, इन दो विकल्पों में से एक की पेशकश करनी होगी। एक कारोबारी खाते में तीन सुविधाओं के तहत बचत खाते, डीमैट खाते और कारोबारी खाते को जोड़ा जाता है। इस मामले में, ग्राहकों के बैंक खाते में उनकी धनराशि होगी और शेष राशि पर ब्याज मिलेगा।

एनटीटी डेटा पेमेंट सर्विसेज इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी राहुल जैन ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब यूपीआई भुगतान में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जा रही है, यह पहल मजबूत सुरक्षा के साथ बेहतर पारदर्शिता, ब्याज आय और भुगतान में सुगमता के साथ निवेशकों को सशक्त और लाभान्वित करेगी।’’

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, इस कदम से कोष प्रबंधन में सुधार होगा और निवेशकों के लिए सुविधा बढ़ेगी। इससे उन्हें कारोबार के लिए कोष को खाते में ‘ब्लॉक’ कर भुगतान की अनुमति देने की सुविधा मिलेगी जो उनकी राशि को दुरुपयोग से बचाएगा। सेबी के निदेशक मंडल ने सोमवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

इसके तहत पात्र शेयर ब्रोकरों को अगले साल एक फरवरी से या तो अपने ग्राहकों को द्वितीयक बाजार (नकद खंड) में यूपीआई आधारित ‘ब्लॉक’ व्यवस्था के उपयोग की अनुमति देनी होगी या फिर वे एक कारोबारी खाते में तीन सुविधाओं की पेशकश करेंगे। यूपीआई आधारित ब्लॉक व्यवस्था एसबीए (एप्लीकेशन सर्पोटेड बाई ब्लॉक्ड एमाउंस्) जैसी होगी। यूपीआई ब्लॉक व्यवस्था में, कारोबारियों को ब्रोकर को पहले से पैसा देने की जरूरत नहीं होगी।

वे अपने बैंक खातों में अवरुद्ध धनराशि के आधार पर द्वितीयक बाजार में कारोबार कर सकते हैं। पात्र शेयर ब्रोकर के ग्राहकों के पास विकल्प होगा कि वे या तो कारोबारी सदस्यों को कोष अंतरित कर कारोबार की मौजूदा सुविधा को जारी रखें या नई सुविधा का विकल्प चुनें। कारोबारी सदस्यों को आकार और परिचालन के पैमाने के आधार पर पात्र शेयर ब्रोकर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

बाजार नियामक सेबी ने जनवरी, 2019 से आईपीओ जैसे सार्वजनिक निर्गम के लिए मध्यस्थों के माध्यम से जमा किये जाने वाले खुदरा निवेशकों के आवेदनों को लेकर भुगतान व्यवस्था के रूप में धन को खाते में ही अवरुद्ध करने की सुविधा शुरू की थी। इसके तहत आरबीआई द्वारा अनुमोदित यूपीआई का उपयोग शुरू किया था।

शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए ‘ब्लॉक’ व्यवस्था के माध्यम से प्रायोगिक तौर पर यानी बीटा संस्करण एक जनवरी, 2024 को व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए शुरू किया गया था और इसे केवल नकद खंड पर लागू किया गया था। वर्तमान में, यह सुविधा निवेशकों के लिए वैकल्पिक है।

First Published : October 2, 2024 | 7:43 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)