देसी शेयर बाजार ने 4 जून के निचले स्तर से तेजी से रिकवरी की हैं, जब 2024 के लोक सभा चुनाव के नतीजों ने आम-धारणा को पूरी तरह से झकझोर दिया था। आंकड़े इस बात की बानगी है कि तब से बेंचमार्क S&P बीएसई सेंसेक्स में लगभग 7,500 अंक यानी 11 प्रतिशत और निफ्टी-50 2,400 अंक यानी 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
निचले स्तर से इस तेज रिकवरी ने विश्लेषकों को सावधान कर दिया है, खासकर कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों को, जो वर्तमान स्तरों पर ‘संभावित जोखिम’ (potential risks) देखते हैं, लेकिन ‘तत्काल जोखिम’ (imminent risks) नहीं।
उन्होंने कहा, मौजूदा मार्केट सेंटीमेंट काफी हद तक गैर-संस्थागत (और कुछ संस्थागत) निवेशकों के बीच अतार्किक उत्साह से प्रेरित है। उनका मानना है कि सामान्य तौर पर विभिन्न सेक्टरों में उच्च मूल्यांकन (high valuations) और कुछ विशेष सेक्टरों में बेपेंदा मूल्यांकन (frothy valuations) मोटे तौर पर गैर-संस्थागत निवेशकों और यहां तक कि कुछ संस्थागत निवेशकों के बीच अत्यधिक बुलिश भावना को दर्शाते हैं।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) के को-हेड संजीव प्रसाद (Sanjeev Prasad) ने हाल ही में अनिंद्य भौमिक (Anindya Bhowmik) और सुनीता बलदावा (Sunita Baldawa) के साथ में मिलकर लिखे एक नोट में कहा है कि बड़े बाजार सुधार आम तौर पर चार क्षेत्रों से आते हैं।
इनमें से पहला क्षेत्र व्यापक आर्थिक चुनौतियां है, दूसरा- बैंकों, कंपनियों, सरकार, परिवारों के साथ मुद्दों का लाभ उठाना, तीसरा- राजनीतिक या सामाजिक अस्थिरता और चौथा क्षेत्र प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाएं जैसे महामारी, युद्ध, आदि है।
उन्होंने कहा, “बाजार में विश्वास अविश्वसनीय स्तर (epic levels) पर है और विश्वास को तोड़ने के लिए किसी अविश्वसनीय स्तर की घटना की आवश्यकता हो सकती है। गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए हाई या बेपेंदा मूल्यांकन अप्रासंगिक है।”
इस बीच, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार, ये चार प्रमुख चिंताजनक कारक/जोखिम स्रोत हैं जो बाजार में सुधार को गति दे सकते हैं।
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कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) के नोट में कहा गया है कि सरकारी नीतियों या प्राथमिकताओं में कोई भी बड़ा बदलाव बाजार में सुधार ला सकता है। इक्विटी पर टैक्स नीतियों में किसी भी बदलाव से, विशेष रूप से इक्विटी पर हाईयर कैपिटल गेन टैक्स से बाजार को कुछ जोखिम हो सकता है।
नोट में कहा गया है, “सरकार की प्राथमिकताओं में किसी भी बदलाव से निवेश से संबंधित सेक्टर अधिकतम जोखिम में हो सकते हैं, खासकर उनकी अत्यधिक उच्च गुणकों को देखते हुए। फिलहाल, हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार मोटे तौर पर पिछले 6-7 वर्षों के अपने आर्थिक एजेंडे को जारी रखेगी।”
प्रसाद ने लिखा कि हाल के लोकसभा चुनावों में, भाजपा के उम्मीद से कमजोर प्रदर्शन, विशेष रूप से कुछ चुनाव वाले राज्यों (हरियाणा और महाराष्ट्र) में किसी और झटके से सरकार द्वारा उपभोग को पुनर्जीवित करने के लिए लोकलुभावन उपायों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की संभावना बढ़ सकती है।
प्रसाद का मानना है कि बाजार नियामक सेबी शायद अधिक ‘व्यवस्थित’ बाजार सुनिश्चित करना चाहता है, लेकिन यह नहीं पता कि वह ऐसा कैसे कर सकता है। सेबी ने मार्च 2024 में मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट में बेपेंदा वैल्यूएशन पर प्रकाश डाला था, और KIE का मानना है कि तब से वैल्यूएशन और ज्यादा हो गया है, खासकर कई कम-गुणवत्ता (low-quality) और कम-तरलता (low-liquidity) वाले शेयरों में।
KIE नोट में कहा गया है, “हम उम्मीद करते हैं कि सेबी कम-फ्लोट शेयरों में स्टॉक की कीमत में तेज वृद्धि और ऑप्शन मार्केट में खुदरा गतिविधि में तेज वृद्धि से उत्पन्न जोखिमों की निगरानी करना जारी रखेगा।”
नोट में कहा गया है कि पीएसयू शेयरों का मूल्य असल से ज्यादा है। प्रसाद ने लिखा, पीएसयू में कोई भी बड़ा विनिवेश, विशेष रूप से अथाह मूल्यांकन पर कारोबार करने वाले, उनके वास्तविक मूल्य को प्रकट कर सकता है। हालांकि सरकार पिछले कई वर्षों से अपने विनिवेश लक्ष्य से चूक गई है, लेकिन KIE का मानना है कि वह OFS और ETF के मिश्रण के माध्यम से पीएसयू शेयरों को लेकर उत्साह का फायदा उठाना चाहती है और हिस्सेदारी बिक्री बढ़ाना चाहती है।
नोट में कहा गया है कि अधिकांश उपभोग और निवेश शेयरों के मौजूदा गुणक राजस्व/मात्रा में मजबूत वृद्धि और विस्तारित अवधि के लिए ऊंचे मार्जिन/लाभप्रदता में योगदान करते हैं। उनका मानना है कि इस मोर्चे पर कोई भी निराशा बाजार के लिए जोखिम है।
नोट में कहा गया है, “हम अपने राजस्व और वॉल्यूम वृद्धि अनुमानों के बारे में काफी हद तक आशावादी हैं, लेकिन यह संभव है कि मार्जिन निराश कर सकता है। हालांकि, मजबूत कमाई और विकास की संभावनाओं के बारे में बाजार सहभागियों के दृढ़ विश्वास को देखते हुए, निवेशकों को मौजूदा आख्यानों पर सवाल उठाने में कई तिमाहियों तक लगातार निराशा का सामना करना पड़ सकता है।