बाजार नियामक सेबी ने अदाणी समूह के पिछले साल के सौदों की जांच बढ़ा दी है और वह शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अध्ययन भी करेगा ताकि समूह के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को लेकर हो रही प्रारंभिक जांच में और कुछ जोड़ा जा सके। दो सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बुधवार को हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि उसके पास अदाणी समूह की फर्मों में शॉर्ट पोजीशन है। साथ ही आरोप लगाया था कि समूह ने कम कराधान वाले बाहर के देशों का अनुचित इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में कंपनी के उच्च कर्ज को लेकर भी चिंता जताई गई थी। इसके बाद भारत में सूचीबद्ध अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की भारी बिकवाली हुई थी।
सूत्रों ने कहा, सेबी अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा हुए सभी लेनदेन की लगातार जांच कर रहा है। सेबी लगातार डिस्क्लोजर के लिए कह रहा है, जो सामान्य तौर पर वह नहीं करता है। इस बारे में जानकारी के लिए अदाणी समूह को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
इस हफ्ते अदाणी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि वह न्यूयॉर्क की इस कंपनी के खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर विचार कर रहे
हैं। सेबी के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी नहीं की और कहा कि वह उन कंपनियों के विशिष्ट मसलों पर चर्चा नहीं करते, जिसकी जांच चल रही हो।
अदाणी समूह की तरफ से स्विटजरलैंड की होल्सिम लिमिटेड की भारत की अंबुजा सीमेंट व एसीसी सीमेंट की हिस्सेदारी के अधिग्रहण मामले में नियामक ने इस लेनदेन के लिए इस्तेमाल हुए विदेशी एसपीवी की जांच की है। समूह ने मई 2022 में अधिग्रहण की घोषणा के तहत किए गए खुलासे में इस एसपीवी के इस्तेमाल की बात कही थी। नियामक ने इस लेनदेन की फंडिंग में 17 विदेशी इकाइयों का शामिल होना पाया है।
नियामक ने इन इकाइयों को लेकर समूह से स्पष्टीकरण मांगा था, जब समूह ने पिछले साल नियामकीय मंजूरी के लिए सेबी से संपर्क किया था। सूत्रों ने कहा, ये जवाब नियामकीय जांच के दायरे में हैं।
अदाणी समूह को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अदाणी एंटरप्राइजेज की 2.45 अरब डॉलर की द्वितीयक शेयर बिक्री हो रही है। शुक्रवार को अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर एफपीओ के इश्यू प्राइस से नीचे चला गया।
जुलाई में नियामक ने कम मशहूर मॉरीशस के ऑफशोर फंड की जांच शुरू की थी, जिसकी अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी है, जिससे संभवत: शेयर कीमतों को अपने मन मुताबिक किए जाने की चिंता पैदा हुई। उस समय नियामक की जांच न्यायाधिकार क्षेत्र से सूचना के अभाव के कारण प्रभावित हुई क्योंकि ये फंड दूसरे इलाके के हैं।