इन्फोसिस के शेयरधारकों ने पुनर्खरीद कार्यक्रम में इसके आकार से 8 गुना ज्यादा शेयर कंपनी को सौंपे। बीएसई की ओर से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 18,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद में निवेशकों ने 82.6 करोड़ शेयर सौंपे जबकि कंपनी ने 10 करोड़ शेयरों की पेशकश की थी।
पांच दिन का पुनर्खरीद कार्यक्रम बुधवार को समाप्त हो गया। नवीनतम बायबैक कार्यक्रम के तहत आईटी दिग्गज कंपनी इन्फोसिस 10 करोड़ शेयरों (चुकता पूंजी के 2.41 फीसदी ) की 1,800 रुपये प्रति शेयर की दर से पुनर्खरीद कर रही है। इन्फोसिस के शेयर 1.8 फीसदी की बढ़त के साथ 1,558 रुपये पर बंद हुए।
बायबैक शर्तों के तहत छोटे शेयरधारक रिकॉर्ड तिथि पर अपने प्रत्येक 11 इक्विटी शेयरों पर 2 इक्विटी शेयर के हकदार होंगे। सामान्य श्रेणी के अन्य सभी पात्र शेयरधारकों के लिए यह अधिकार उनके प्रत्येक 706 इक्विटी शेयरों पर 17 इक्विटी शेयरों का होगा।
हालांकि, स्वीकार्यता अनुपात अलग हो सकता है क्योंकि धनाढ्य निवेशक कर संबंधी कारणों से इससे बाहर रह सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कम कर स्लैब वाले लोगों के लिए यह बायबैक बड़ा आकर्षण था।
नारायण मूर्ति और चेयरमैन नंदन नीलेकणि समेत आईटी क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी के प्रवर्तकों ने पहले कहा था कि वे बायबैक प्रक्रिया में अपने शेयर नहीं बेचेंगे। प्रवर्तक समूह के पास सामूहिक रूप से कंपनी की 13.05 फीसदी हिस्सेदारी है।
शेयरधारकों द्वारा प्राप्त बायबैक राशि को लाभांश माना जाएगा और उस पर स्लैब दरों के आधार पर कर लगाया जाएगा। कंपनी द्वारा वापस खरीदे गए शेयरों की लागत को पूंजीगत हानि माना जाएगा, जिसकी भरपाई किसी अन्य पूंजीगत लाभ से की जा सकती है।
अगर चालू वर्ष में हानि की भरपाई के लिए पर्याप्त पूंजीगत लाभ नहीं है तो इसे आगे बढ़ाया जा सकता है तथा आगामी वर्षों में पूंजीगत लाभ के बदले इससे भरपाई की जा सकती है और यह अधिकतम आठ वर्षों तक हो सकता है।