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SEBI की जांच में फंसे IndusInd Bank के अफसर, क्या प्री-क्लियरेंस बचा पाएगा? जानें एक्सपर्ट्स की राय

स्टॉक एक्सचेंज के डेटा के मुताबिक, मई 2023 से जून 2024 के बीच बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया ने करीब 9.5 लाख शेयर बेचे, जिनकी कीमत लगभग 134 करोड़ रुपये थी

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समी मोडक   
खुशबू तिवारी   
Last Updated- March 27, 2025 | 6:23 PM IST

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) इंडसइंड बैंक के पांच बड़े अधिकारियों की जांच कर रहा है। सवाल यह है कि क्या इन अधिकारियों ने गोपनीय जानकारी (जिसे अनपब्लिश्ड प्राइस-सेंसिटिव इंफॉर्मेशन या UPSI कहते हैं) के आधार पर शेयर बेचे। सेबी ने इनके शेयर बिक्री के रिकॉर्ड भी मांगे हैं। स्टॉक एक्सचेंज के डेटा के मुताबिक, मई 2023 से जून 2024 के बीच बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया ने करीब 9.5 लाख शेयर बेचे, जिनकी कीमत लगभग 134 करोड़ रुपये थी। वहीं, डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 5.5 लाख शेयर बेचे, जिनकी वैल्यू 82 करोड़ रुपये थी। ये शेयर उनके एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान से मिले थे।

क्या है प्री-क्लियरेंस?

एक सूत्र ने बताया, “इन अधिकारियों ने शेयर बेचने से पहले बैंक के कंप्लायंस टीम से इजाजत ली थी। ये बिक्री छोटे-छोटे हिस्सों में की गई। मजेदार बात यह है कि ज्यादातर सौदों में उन्हें नुकसान हुआ। फिर भी, सेबी इस मामले को गंभीरता से ले रहा है।” प्री-क्लियरेंस का मतलब है कि कंपनी के बड़े अधिकारी शेयर खरीदने या बेचने से पहले अपने कंप्लायंस ऑफिसर से मंजूरी लेते हैं। यह इनसाइडर ट्रेडिंग से बचने का एक तरीका है।

शेयरों की बिक्री से विवाद

यह मामला तब गरमाया जब इंडसइंड बैंक के शेयर 30% से ज्यादा गिर गए। वजह थी बैंक के डेरिवेटिव्स कारोबार में हुआ नुकसान। इससे बैंक के कामकाज पर सवाल उठे हैं। सेबी यह देख रहा है कि क्या इन बिक्रियों में नियम तोड़े गए।

क्या कहते हैं नियम?

सिंहानिया एंड कंपनी के पार्टनर कुणाल शर्मा ने कहा, “सेबी के PIT नियमों में एक खास छूट है। अगर कोई अधिकारी पहले से तय ट्रेडिंग प्लान बनाता है, उसे स्टॉक एक्सचेंज को बताता है और यह प्लान कम से कम 6 महीने का होता है, तो वह UPSI होने पर भी शेयर बेच सकता है। हालांकि, यह ट्रेडिंग प्लान पहले से तैयार होना चाहिए, जब अधिकारी के पास कोई गोपनीय जानकारी न हो।”

मुंबई के वकील सुप्रीम वास्कर ने कहा, “अगर कोई अधिकारी UPSI के साथ शेयर बेचता है और यह छूट के दायरे में नहीं आता, तो यह नियमों का उल्लंघन है। छूट तभी मिलती है जब ट्रेडिंग प्लान पहले से मंजूर हो या कानून के तहत जरूरी हो।”

सजा क्या हो सकती है?

सेबी एक्ट के सेक्शन 24 के तहत इनसाइडर ट्रेडिंग की सजा सख्त है—10 साल तक की जेल, 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों। पहले भी सेबी ने ऐसे मामलों में कार्रवाई की है। 2024 में इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने 25 लाख रुपये का जुर्माना भरा था। फ्रैंकलिन टेम्पलटन मामले में भी अधिकारियों को मुनाफा लौटाना पड़ा था।

आगे क्या?

अब सबकी नजर इस बात पर है कि इंडसइंड बैंक का प्री-क्लियरेंस सिस्टम कितना मजबूत था और क्या नियमों का पालन हुआ। सेबी और बैंक को भेजे गए सवालों का जवाब अभी तक नहीं मिला है। यह जांच अधिकारियों के भविष्य को तय करेगी।

First Published : March 27, 2025 | 6:18 PM IST