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प्रतिस्प​र्धियों के मुकाबले 6 महीने में सुधरेगा भारत का प्रदर्शन

अमेरिका में मंदी गहराती है तो भारतीय बाजारों पर भी इसका असर दिख सकता है या उनमें कुछ समय के लिए गिरावट आ सकती है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- July 23, 2023 | 10:00 PM IST

पिछले कुछ सप्ताहों में भारतीय बाजारों में तेजी का सिलसिला बरकरार रहा और उन्होंने नई ऊंचाइयों को छुआ। जेएम फाइनैं​शियल सर्विसेज में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के प्रबंध निदेशक विनय जयसिंह ने पुनीत वाधवा को एक ईमेल साक्षात्कार में बताया कि यदि अमेरिका में मंदी गहराती है तो भारतीय बाजारों पर भी इसका असर दिख सकता है या उनमें कुछ समय के लिए गिरावट आ सकती है। मुख्य अंश:

क्या आप मानते हैं कि बाजार मौजूदा स्तरों पर डटे रह सकते हैं?

अप्रैल से भारतीय बाजार जापानी इ​क्विटी बाजार (निक्केई) के बाद दूसरे सर्वा​धिक तेजी वाले बने हुए हैं। हालांकि इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल का मानना है कि भारत का प्रदर्शन कमजोर रहा है और हमारे ज्यादातर महंगे ऐतिहासिक मूल्यांकनों में समय समय बदलाव आया है।

एबसॉल्यूट मूल्यांकन के आधार पर भी हम अपने पीक इंडेक्स स्तर पर हैं, लेकिन पिछले पांच वर्षीय औसत के आसपास कारोबार कर रहे हैं। हमारी आय वृद्धि की रफ्तार शेष दुनिया के मुकाबले (अगले दो साल में सालाना 15 प्रतिशत सीएजीआर पर) मजबूत हो रही है।

हम वर्ष के अंत में विश्व सकल घरेलू उत्पाद में छठे स्थान पर रह सकते हैं। अगर ऐसा संभव हुआ तो भारत अगले 6 महीनों में अपने प्रतिस्प​र्धियों को मात दे सकता है। वहीं यदि अमेरिका गहरी मंदी की चपेट में आया तो भारतीय बाजारों में भी गिरावट आ सकती है या उनमें समय-आधारित कमजोरी देखी जा सकती है। हालां​कि हमें बहुत ज्यादा गिरावट का अनुमान नहीं है।

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पिछले कुछ महीनों में आपकी निवेश रणनीति कैसी रही?

हमने घरेलू केंद्रित क्षेत्रों (खासकर पूंजीगत खर्च से संबं​​धित) पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया है। रक्षा, जल प्रबंधन, विद्युत उपकरण और भवन निर्माण कंपनियां (सीमेंट समेत) देश के पूंजीगत खर्च विकास से जुड़ी हुई हैं। हमारा मानना है कि यह रुझान मजबूत हो रहा है।

क्या एफआईआई प्रवाह अगले 6 से 12 महीनों के दौरान बरकरार रहने का अनुमान है?

भारतीय मुद्रा जनवरी 2022 से दो अंक में गिरी है और एफआईआई ने 2022 में करीब 19 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी की। हमारा मानना है कि इससे भारत में एफआईआई निवेश 21 प्रतिशत से घटकर करीब 18 प्रतिशत रह जाएगा। कम जिंस कीमतों और मजबूत निर्यात की वजह से रुपये में मजबूती से देश में एफआईआई प्रवाह को मदद मिल सकती है।

क्या निवेशकों को कुछ पैसा अपने पास बनाए रखने के लिए यह सही समय है?

निवेशकों को हरेक गिरावट पर शेयर खरीदने चाहिए। कुछ खास निवेश शेयर महंगे हो गए हैं, या बिजनेस थीम में बदलाव आया है। ऐसे मामलों में निवेशक बदलाव ला सकते हैं और पूंजीगत खर्च संबं​धित क्षेत्रों के शेयर खरीदने शुरू कर सकते हैं।

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वित्त वर्ष 2024 की जून तिमाही के नतीजों से आपको क्या उम्मीदें हैं?

भारतीय उद्योग जगत द्वारा औसत तौर पर जून तिमाही के लिए 10 प्रतिशत राजस्व वृद्धि और करीब 25 प्रतिशत कर बाद मुनाफा वृद्धि दर्ज किए जाने की संभावना है। जून तिमाही में तेल विपणन कंपनियों, पूंजीगत खर्च आधारित दांव और उद्योगों से मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया जा सकता है। दूरसंचार, वित्त खासकर बैंक और वाहन जैसे क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। वहीं कृ​षि, धातु और स्पे​शियल्टी रसायन क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है।

क्या खाद्य आधारित मुद्रास्फीति अगले कुछ महीनों के दौरान बाजारों के लिए नकारात्मक साबित होगी?

हमने ऊर्जा कीमतों में सालाना आधार पर तेज गिरावट दर्ज की है जिससे मुख्य मुद्रास्फीति के आंकड़े इस तिमाही में नरम रह सकते हैं, इसलिए यह हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय नहीं है।

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नए जमाने की कंपनियों के शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। क्या यह तेजी उचित है?

नए जमाने की कंपनियों के लिए, भले ही मूल्यांकन आकर्षक हो गया है और कुछ के नतीजे अनुमान से बेहतर आए हैं, लेकिन हमें मूल्यांकन और उनकी पूंजी की ऊंची लागत को लेकर चिंताएं दिख रही हैं। निवेश रणनीति के तौर पर फिलहाल हम इनसे परहेज कर रहे हैं। इसके बजाय, हम क्रेडिट कार्ड कंपनियों, ​क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट और दूरसंचार कंपनियों को पसंद कर रहे हैं।

साथ ही नए जमाने की कई कंपनियां फाइनैं​शियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक) प्रतिस्प​र्धियों ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, बीमा सुगम, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस तेजी से अपने व्यावसायिक परिदृश्य में बदलाव ला सकती हैं।

First Published : July 23, 2023 | 10:00 PM IST