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पिछले कुछ सप्ताहों में भारतीय बाजारों में तेजी का सिलसिला बरकरार रहा और उन्होंने नई ऊंचाइयों को छुआ। जेएम फाइनैंशियल सर्विसेज में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के प्रबंध निदेशक विनय जयसिंह ने पुनीत वाधवा को एक ईमेल साक्षात्कार में बताया कि यदि अमेरिका में मंदी गहराती है तो भारतीय बाजारों पर भी इसका असर दिख सकता है या उनमें कुछ समय के लिए गिरावट आ सकती है। मुख्य अंश:
अप्रैल से भारतीय बाजार जापानी इक्विटी बाजार (निक्केई) के बाद दूसरे सर्वाधिक तेजी वाले बने हुए हैं। हालांकि इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल का मानना है कि भारत का प्रदर्शन कमजोर रहा है और हमारे ज्यादातर महंगे ऐतिहासिक मूल्यांकनों में समय समय बदलाव आया है।
एबसॉल्यूट मूल्यांकन के आधार पर भी हम अपने पीक इंडेक्स स्तर पर हैं, लेकिन पिछले पांच वर्षीय औसत के आसपास कारोबार कर रहे हैं। हमारी आय वृद्धि की रफ्तार शेष दुनिया के मुकाबले (अगले दो साल में सालाना 15 प्रतिशत सीएजीआर पर) मजबूत हो रही है।
हम वर्ष के अंत में विश्व सकल घरेलू उत्पाद में छठे स्थान पर रह सकते हैं। अगर ऐसा संभव हुआ तो भारत अगले 6 महीनों में अपने प्रतिस्पर्धियों को मात दे सकता है। वहीं यदि अमेरिका गहरी मंदी की चपेट में आया तो भारतीय बाजारों में भी गिरावट आ सकती है या उनमें समय-आधारित कमजोरी देखी जा सकती है। हालांकि हमें बहुत ज्यादा गिरावट का अनुमान नहीं है।
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हमने घरेलू केंद्रित क्षेत्रों (खासकर पूंजीगत खर्च से संबंधित) पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया है। रक्षा, जल प्रबंधन, विद्युत उपकरण और भवन निर्माण कंपनियां (सीमेंट समेत) देश के पूंजीगत खर्च विकास से जुड़ी हुई हैं। हमारा मानना है कि यह रुझान मजबूत हो रहा है।
भारतीय मुद्रा जनवरी 2022 से दो अंक में गिरी है और एफआईआई ने 2022 में करीब 19 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी की। हमारा मानना है कि इससे भारत में एफआईआई निवेश 21 प्रतिशत से घटकर करीब 18 प्रतिशत रह जाएगा। कम जिंस कीमतों और मजबूत निर्यात की वजह से रुपये में मजबूती से देश में एफआईआई प्रवाह को मदद मिल सकती है।
निवेशकों को हरेक गिरावट पर शेयर खरीदने चाहिए। कुछ खास निवेश शेयर महंगे हो गए हैं, या बिजनेस थीम में बदलाव आया है। ऐसे मामलों में निवेशक बदलाव ला सकते हैं और पूंजीगत खर्च संबंधित क्षेत्रों के शेयर खरीदने शुरू कर सकते हैं।
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भारतीय उद्योग जगत द्वारा औसत तौर पर जून तिमाही के लिए 10 प्रतिशत राजस्व वृद्धि और करीब 25 प्रतिशत कर बाद मुनाफा वृद्धि दर्ज किए जाने की संभावना है। जून तिमाही में तेल विपणन कंपनियों, पूंजीगत खर्च आधारित दांव और उद्योगों से मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया जा सकता है। दूरसंचार, वित्त खासकर बैंक और वाहन जैसे क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। वहीं कृषि, धातु और स्पेशियल्टी रसायन क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है।
हमने ऊर्जा कीमतों में सालाना आधार पर तेज गिरावट दर्ज की है जिससे मुख्य मुद्रास्फीति के आंकड़े इस तिमाही में नरम रह सकते हैं, इसलिए यह हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय नहीं है।
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नए जमाने की कंपनियों के लिए, भले ही मूल्यांकन आकर्षक हो गया है और कुछ के नतीजे अनुमान से बेहतर आए हैं, लेकिन हमें मूल्यांकन और उनकी पूंजी की ऊंची लागत को लेकर चिंताएं दिख रही हैं। निवेश रणनीति के तौर पर फिलहाल हम इनसे परहेज कर रहे हैं। इसके बजाय, हम क्रेडिट कार्ड कंपनियों, क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट और दूरसंचार कंपनियों को पसंद कर रहे हैं।
साथ ही नए जमाने की कई कंपनियां फाइनैंशियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक) प्रतिस्पर्धियों ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, बीमा सुगम, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस तेजी से अपने व्यावसायिक परिदृश्य में बदलाव ला सकती हैं।