भारतीय शेयर बाजार अभी उतार-चढ़ाव वाला बना हुआ है। कुछ लोग बाजार के भविष्य को लेकर काफी खुश हैं तो कुछ सतर्क हैं, ऐसा कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों का कहना है। उनकी राय में, कुछ सेक्टर सही मायनों में अर्थव्यवस्था की मजबूती और उसके लंबे समय के विकास को दर्शाते हैं, वहीं कुछ सेक्टर बेकार की बातों पर आधारित अत्यधिक खुशी दिखा रहे हैं, जिनका कंपनियों की असल स्थिति (fuNmentals) से कोई लेना-देना नहीं है।
हाल ही के एक नोट में संजीव प्रसाद (कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सह-प्रमुख), अनिंद्य भौमिक और सुनीता बालदावा ने लिखा है कि, उनके मुताबिक शेयर बाजार अभी तीन तरह से चल रहा है, कुछ सेक्टर हैं जहां शेयरों की कीमतें सही लगती हैं, जैसे बैंक आदि। वहीं, दूसरी तरह के सेक्टर हैं, जैसे मोबाइल कंपनियां या दवा कंपनियां, जहां शेयरों के दाम काफी ज्यादा हो गए हैं। और तीसरे कुछ सेक्टर हैं, जैसे गाड़ियों या सरकारी कंपनियों के, जहां शेयरों के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं, मानो सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा है!
विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार के ज्यादातर हिस्सों में शेयरों की कीमतें ज्यादा हैं, और ये जितनी छोटी कंपनियां हैं, उतनी ही ज्यादा उनकी कीमतें असलियत से ज्यादा हैं।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में बताया गया है कि आम तौर पर बड़ी कंपनियों (large-cap) के शेयरों की कीमतें, छोटी और मझोली कंपनियों (mid-cap और small-cap) के शेयरों की तुलना में कम बढ़ी हुई हैं। इसी तरह, अच्छी और मजबूत कंपनियों (high-quality) के शेयरों के दाम, कमजोर कंपनियों (low-quality) के शेयरों के दाम से कम बढ़े हैं। साथ ही, जिन कंपनियों में कम जोखिम है (low-risk) उनके शेयरों के दाम, ज्यादा जोखिम वाली या सिर्फ कहानियों के आधार पर चलने वाली कंपनियों (high-risk या ‘narrative’ stocks) के शेयरों के दाम से कम बढ़े हैं।
निवेशकों को लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था भविष्य में काफी तेजी से बढ़ेगी। साथ ही, कुछ ही हफ्तों में, जब नई (शायद बीजेपी/एनडीए) सरकार अगले पांच सालों का आर्थिक खाका पेश करेगी, तब और भी शानदार चीजें हो सकती हैं।
विशेषज्ञ प्रसाद का सबसे अच्छा अनुमान है कि बीजेपी/एनडीए फिर से सरकार बनाएगी। उनके हिसाब से बीजेपी को 325 के आसपास और एनडीए को 375 के आसपास सीटें मिल सकती हैं।
बाजार को लगता है कि अगर ये सरकार बनती है तो शेयर बाजार खुश होगा। लोगों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाए जाएंगे। इन सुधारों में व्यापार करना आसान बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही खेती, बिजली जैसे क्षेत्रों में भी बड़े बदलाव होंगे। इसके अलावा सरकारी दफ्तरों और कोर्ट-कचहरियों में भी सुधार किए जा सकते हैं और कुछ सरकारी कंपनियों को बेचा भी जा सकता है।
KIE की रिपोर्ट में कहा गया है कि “शेयर बाजार पहले वाले नतीजे को ही मानकर चल रहा है। ज्यादातर शेयरों के दाम काफी ऊंचे हैं और कुछ खास सेक्टरों और सरकारी कंपनियों के शेयर तो बेतहाशा महंगे हो गए हैं।”
दूसरी तरफ, अगर बीजेपी को 250 के आसपास और एनडीए को 300 के आसपास सीटें मिलती हैं, तो ये शेयर बाजार के लिए “बुरी खबर” होगी। ऐसे में, निवेश से जुड़े क्षेत्रों (मशीनरी बनाने वाली कंपनियां, रक्षा, बिजली, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज, रेलवे, नवीकरणीय ऊर्जा) और सरकारी कंपनियों के शेयरों में काफी गिरावट आ सकती है।
वैसे, कुल मिलाकर ये भी कहा गया है कि भारत के मुख्य शेयर बाजार सूचकांकों (निफ्टी, आदि) में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आएगी। ज्यादा से ज्यादा मामूली गिरावट ही हो सकती है। क्योंकि बाजार को जल्द ही समझ आ जाएगा कि बैंक, उपभोक्ता सामान, आईटी सेवाएं, दवाइयां आदि क्षेत्रों के लिए बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। KIE की रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों का बाजार सूचकांकों (निफ्टी-50, MSCI इंडिया) में काफी वजन होता है।