बॉन्ड प्रतिफल और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच आज बेंचमार्क सूचकांकों में गिरावट आई। तेल की बढ़ती कीमतों से महंगाई की चिंता पैदा हो गई है। इसी चिंता में दुबले हुए सूचकांकों में सबसे ज्यादा गिरावट बैंकों और सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनियों के शेयरों में आई। बेंचमार्क सेंसेक्स आज के कारोबारी सत्र के सबसे ऊंचे स्तर से 1,242 अंक लुढ़क गया। सत्र के आखिरी एक घंटे में कुछ सुधरने के बाद सेंसेक्स 410 अंक या 0.68 फीसदी गिरकर बंद हुआ। निफ्टी सत्र के अंत में 106 अंक यानी 0.6 फीसदी लुढ़ककर 17,748 पर बंद हुआ।
ब्रेंट क्रूड 79.7 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था, जो अक्टूबर 2018 के बाद सबसे ऊंचा है। ब्रेंट तीन साल में पहली बार 80 डॉलर पर पहुंचा है। कुछ विश्लेषकों ने साल के अंत तक इसके 90 डॉलर पर पहुंचने का अनुमान जताया है। चीन में फरवरी में शीतकालीन ओलिंपिक खेलों से पहले प्रदूषण घटाने की मुहिम से कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी के आसार हैं क्योंकि वहां के औद्योगिक प्रतिष्ठान बिजली उत्पादन के लिए तेल का इस्तेमाल शुरू करेंगे। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यूआर भाट ने कहा, ‘क्रूड का 80 डॉलर से ऊपर पहुंचना अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक है। आयात पर होने वाले खर्च की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सार्वजनिक वित्त और महंगाई पर नकारात्मक असर पड़ेगा। आय, सार्वजनिक वित्त और ब्याज दरों के बेहतर परिणामों का बाजारों पर असर पड़ चुका है। ऐसे में किसी नकारात्मक खबर से बाजार को आज जैसा झटका लग सकता है।’
10 साल के अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल तीन महीनों के सर्वोच्च स्तर 1.52 फीसदी पर था। जल्द से जल्द मासिक बॉन्ड खरीद घटाने और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की अमेरिकी फेडरल रिजर्व की घोषणा के मुताबिक निवेशक फैसले लेने लगे हैं, जिससे बॉन्ड प्रतिफल में इजाफा हुआ है।
प्रमुख पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी की संभावना से भी निवेशक चिंतित हैं। बैंक ऑफ इंगलैंड के प्रमुख ने सोमवार को कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अनुकूल स्थितियां बन रही हैं। नॉर्वे के केंद्रीय बैंक नॉग्र्स बैंक ने कोविड के बाद पहली बार दर बढ़ाने की घोषणा की है।
चीन में ऊर्जा संकट से उसकी आर्थिक वृद्धि प्रभावित होने की आशंकाओं से भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है। गोल्डमैन सैक्स ने चीन में ऊर्जा संकट के कारण उसकी आर्थिक वृद्धि का अनुमान आज घटा दिया। इस संकट का करोड़ों घरों पर असर पड़ा है और कारखानों में उत्पादन थम गया है। इनमें ऐपल और टेस्ला को आपूर्ति करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं।
चीन में महामारी की वजह से कोयला आपूर्ति में अवरोध, उत्सर्जन लक्ष्य और ऑस्ट्रेलिया के साथ विवाद के बीच आयात में गिरावट को इस ऊर्जा संकट का कारण माना जा रहा है। निवेशकों की एवरग्रैंड के घटनाक्रम पर भी नजर बनी हुई है। विश्लेषकों ने कहा कि आईटी शेयरों ने इस साल अच्छा प्रतिफल दिया है, इसलिए निवेशक उनमें मुनाफावसूली कर रहे हैं। बीएसई आईटी सूचकांक इस साल अब तक 42 फीसदी चढ़ा है। विश्लेषकों ने कहा कि अब इस सप्ताह के अंत में आने वाले कुछ आर्थिक आंकड़ों पर निवेशकों की कड़ी नजर रहेगी।
