वैश्विक मंदी की आशंका और चीन से अनिश्चित मांग परिदृश्य की वजह से जिंसों में वैश्विक बिकवाली के बीच सोमवार को धातु शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। धातु एवं खनन क्षेत्र में शेयरों के प्रदर्शन का मापक बीएसई मेटल सूचकांक 6 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया और बाद में कुछ संभलकर 15,218 पर बंद हुआ, जो अप्रैल 2021 के बाद से उसका सबसे निचला स्तर है। यह सूचकांक पूर्ववर्ती दिन के बंद भाव के मुकाबले 4.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।
धातु सूचकांक ने बीएसई के 19 सेक्टोरल सूचकांक में अब तक सबसे कमजोर प्रदर्शन किया है।
जहां टाटा स्टील और हिंडाल्को में 5 प्रतिशत की कमजोरी आई, वहीं वेदांत में 13 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों ने इस आशंका से धातु शेयरों में बिकवाली की कि लगातार ऊंची कीमतें मांग परिदृश्य के लिए झटका साबित हो सकती हैं। चीन में अनिश्चित परिदृश्य के बीच वैश्विक तौर पर लौह अयस्क और अन्य इस्पात निर्माण संबंधित कच्चे माल की कीमतों में गिरावट से भी धातु शेयरों में बिकवाली को बढ़ावा मिला है।
धातु शेयरों में घरेलू कीमतों में नरमी के लिए इस्पात पर निर्यात शुल्क लगाने के सरकार के निर्णय के बाद से ही दबाव बना हुआ था। इससे शेयरों की रेटिंग में बदलाव को बढ़ावा मिला, क्योंकि विश्लेषकों ने 2022-23 के लिए आय वृद्धि अनुमानों में बड़ी कटौती की है।
इस साल के ऊंचे स्तरों से, धातु सूचकांक करीब 35 प्रतिशत गिर चुका है। टाटा स्टील, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, जिंदील स्टील ऐंड पावर, एनएमडीसी, और वेदांत जैसे शेयर पिछले एक महीने में 35 प्रतिशत तक की गिरावट के शिकार हुए हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘घरेलू इस्पात कीमतें ऊंचे स्तरों से करीब 20 प्रतिशत नीचे आ चुकी हैं। 15 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने से बाजार में आपूर्ति को लेकर पैदा हुई समस्या के बाद इस्पात कीमतों पर दबाव पड़ा है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं लिया जाता, इस्पात निर्यात करीब 35 प्रतिशत प्रभावित हो सकता है। इससे इस्पात क्षेत्र के मुनाफे पर भी प्रभाव पड़ सकता है और इसका असर इस्पात शेयरों की कीमतों में दिखा है। अच्छी बात यह है कि इस्पात उपभोक्ता, खासकर वाहन और निर्माण क्षेत्रों में, कीमतों में भारी गिरावट से लाभान्वित होंगे।’
विश्लेषकों को अगली दो तिमाहियों के दौरान धातु उत्पादकों के मार्जिन पर दबाव पड़ने की आशंका है, क्योंकि कम उत्पादन लागत का लाभ काफी घटा है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों का मानना है, ‘मांग और उसके परिणामस्वरूप मूल्य निर्धारण मौजूदा समय में कमजोर है। लौह अयस्क, छर्र और इस्पात की कुछ खास श्रेणियों पर निर्यात शुल्क लगाने की सरकार की नीति से घरेलू कीमतों पर और दबाव पड़ेगा। जब तक कुकिंग कोयला कीमतों में बड़ी गिरावट नहीं आती, मार्जिन अगले 6 महीनों में धीमा बना रह सकता है।’
साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी मंदी की आशंकाओं को गहरा दिया है, जिसका बाजारों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
