facebookmetapixel
Bihar चुनाव के बाद लालू परिवार में भूचाल, बेटी रोहिणी ने राजनीति और परिवार दोनों को कहा ‘अलविदा’1250% का तगड़ा डिविडेंड! अंडरवियर बनाने वाली कंपनी ने निवेशकों पर लुटाया प्यार, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते₹4 करोड़ कम, लेकिन RR चुना! जानिए क्यों Jadeja ने CSK को कहा अलविदा75% का तगड़ा डिविडेंड! फॉर्मा कंपनी का निवेशकों को बड़ा तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते25 की उम्र में रचा इतिहास! मैथिली ठाकुर बनीं बिहार की सबसे कम उम्र की MLA; जानें पिछले युवा विजेताओं की लिस्टDividend Stocks: अगले हफ्ते 50 से अधिक कंपनियां बाटेंगी डिविडेंड, शेयधारकों को मिलेगा अतिरिक्त मुनाफाBonus Stocks: हर एक पर पांच शेयर फ्री! ऑटो सेक्टर से जुड़ी कंपनी का निवेशकों को गिफ्ट, रिकॉर्ड डेट फिक्सBihar Election Results: महागठबंधन की उम्मीदें क्यों टूटीं, NDA ने डबल सेंचुरी कैसे बनाई?इंडिगो 25 दिसंबर से नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 10 शहरों के लिए शुरू करेगी घरेलू उड़ानेंDelhi Weather Update: सावधान! दिल्ली-NCR में जहरीली हवा का कहर, IMD ने कोल्ड-वेव अलर्ट जारी किया

आईसीआईसीआई बैंक-संभलकर चलने का वक्त

Last Updated- December 09, 2022 | 4:36 PM IST

मंदी की मार से घबराए देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने कहा है कि वह वर्ष 2008-09 में कर्ज देने में संयम बरतेगा।


बैंक के इस फैसले से बैंक की लोन बुक में बढ़ोतरी घटकर मात्र 10 फीसदी तक की सीमित रह सकती है।  पिछले साल उसकी लोन बुक में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। पिछले साल यानी वर्ष 2008 में बैंक के अग्रिमों में मात्र 7 फीसदी की तेजी आई।

विश्लेषकों का मानना है कि किसी भी परिस्थिति में बैंक का क्रेडिट-डिपॉजिट का अनुपात सितंबर 2008 की समाप्ति के बाद पूरे बैंकिंग क्षेत्र के औसत 75 फीसदी की तुलना में कहीं ज्यादा आका गया था।

कर्ज देने में बैंक के संयम बरतने का सबसे ज्यादा असर खुदरा ऋणों पर पड़ेगा क्योंकि छोटे ग्राहक ऊं ची ब्याज दरों पर कर्ज लेने में निश्चित तौर पर खुद को असमर्थ पाएंगे। दूसरी तरफ बैंक डूबते क र्जों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए कर्ज देने में परेशानी और डर महसूस कर रहा है।

गौरतलब है कि हाल में बैंकिंग क्षेत्रों में डूबते कर्जों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। वास्तव में बैंक की खुदरा बुक में सितंबर 2008 तक 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।

यही कारण है कि बुधवार को आवासीय ऋणों पर ब्याज दरों में घोषित 50 आधार अंकों की कटौती का कोई खास मतलब नहीं निकलता है।

हालांकि आईसीआईसीआई बैंक का ऋण वितरण में संयम बरतने का फैसला एक लिहाज से ठीक भी है क्योंकि परिसंपत्ति की गुणवत्ता में आगे लगातार गिरावट आने की संभावना बताई जा रही है, खासकर खुदरा, एसएमई और रियल्टी क्षेत्रों की स्थिति तो और भी खराब है।

बैंक के कुल डूबते कर्ज (एनपीएलएस)े 1.83 फीसदी हैं। हालांकि इसकी तुलना बैंक के प्रतिद्वंद्वियों से नहीं की जा सकती है। इस बात की भी संभावना नहीं है कि आईसीआईसीआई अपने सस्ते करेंट और सेविंग एकाउंट के अनुपात में बढ़ोतरी करेगा। सितंबर 2008 को यह अनुपात 30 फीसदी के स्तर पर था।

मारुति-धीमी पड़ी रफ्तार

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी के लिए वर्ष 2008-09 में मुश्किलों का दौर जारी है। अगर इस वित्तीय वर्ष के बाकी बचे तीन महीनों में किसी तरह के सुधार की संभावना भी बनती है तो भी कंपनी के कारोबार की मात्रा में मामूली सुधार ही हो पाएगा।

दिसंबर में इस कार निर्माता कंपनी के कारोबार में मात्र 10 फीसदी की गिरावट आई, हालांकि नवंबर में आई 24 फीसदी की तुलना में यह गिरावट कम है। पिछले साल अप्रैल और दिसंबर के बीच की अवधि में कंपनी की कारों की बिक्री में 1.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

हालांकि कंपनी के लिए वर्ष 2009-10 के बेहतर हो सकता है। इसकी वजह यह है कि दूसरी छमाही के अंत तक वाहन ऋणों पर ब्याज दरों में कमी आने की संभावना है और बैंक ज्यादा कर्ज देने में  दिलचस्पी ले सकते हैं।गौरतलब है कि मौजूदा समय में बैंक कर्ज देने में खासी कोताही बरत रहे हैं।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आनेवाले समय में अर्थव्यवस्था में सुधार होता है और लोग अपनी नौकरियों को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं तो ग्राहक बेहतर खरीदारी कर पाने की स्थिति में रहेंगे।

इसके अलावा कंपनी को अपनी नई कारों ए-स्टार और निसान के निर्यात करारों से काफी मदद मिलनी चाहिए। अगर कारोबार की मात्रा कम भी होती है तो भी उन हालात में कंपनी को खासा फायदा पहुंचेगा।

विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी की नई कार को विदेशी बाजार में अच्छे खरीदार मिलेंगे जबकि घरेलू बाजार में भी इसकी मांगों में तेजी आ सकती है।

मारुति के अन्य मॉडलों की बिक्री इस बात पर निर्भर करती है कि अर्थव्यवस्था में कैसे और किस हद तक सुधार आता है। अन्य मॉडलों में स्विफ्ट, डिजायर और एसएक्स4 की बिक्री बेहतर रह सकती है।

हालांकि मारुति का परिचालन मुनाफा मार्जिन वर्ष 2008-09 में 4.4 प्रतिशत गिरकर 11.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया था लेकिन अब एल्युमीनियम और इस्पात की कीमतों में गिरावट आने के बाद कच्चे मालं पर कंपनी का लागत खर्च कम आएगा।

लेकिन अगर येन के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट आती रही और यह रुझान जारी रहा तो कच्चे माल की कीमतों में कमी का संतुलन प्रतिकूल मुद्रा परिचालन के कारण बिगड़ सकता है।

First Published - January 2, 2009 | 9:20 PM IST

संबंधित पोस्ट