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सरकारी बैंक चमके, FMCG-ऑटो ने किया निराश, 45% कंपनियां रहीं उम्मीदों से पीछे

सितंबर 2024 में समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनी जगत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और ज्यादातर कंपनियां आय के मोर्चे पर बाजार की उम्मीदों से पीछे रही हैं।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- November 15, 2024 | 10:40 PM IST

सितंबर 2024 में समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनी जगत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और ज्यादातर कंपनियां आय के मोर्चे पर बाजार की उम्मीदों से पीछे रही हैं। हालांकि सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन बुरा नहीं रहा। एक रिपोर्ट में जेएम फाइनैंशियल ने क्षेत्रवार प्रदर्शन का विश्लेषण कर यह बताने की कोशिश की है कि किसने अच्छा किया और किसने खराब।

अध्ययन से पता चलता है कि ज्यादातर माइक्रोफाइनैंस इंस्टिट्यूशंस (एमएफआई) और तेल रिफाइनिंग और मार्केटिंग क्षेत्र की कंपनियां अनुमान से पीछे रहीं। दूसरी ओर, जिंस क्षेत्र की कंपनियों और सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों ने मोटे तौर पर अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया। कुल मिलाकर ब्रोकरेज की तरफ से विश्लेषण में शामिल 45 फीसदी कंपनियां अनुमान पर खरी उतरने में नाकाम रहीं।

नोट में कहा गया है कि हमने 227 कंपनियों के नतीजों का विश्लेषण किया (जेएम फाइनैंशियल के कवरेज में कुल 275 कंपनियां हैं) और निष्कर्ष निकाला कि 45 फीसदी कंपनियां अनुमान से चूक गईं। एफएमसीजी, खुदरा, वाहन और मॉल ऑपरेटरों के मामलों में शहरी क्षेत्रों की मांग नरम रही। केमिकल, टिकाऊ उपभोक्ता और बिल्डिंग मैटीरियल से जुड़ी कंपनियों ने मांग में थोड़ा सुधार देखा है।

एमएफआई, निजी क्षेत्र के चुनिंदा बैंकों और एनबीएफसी अपने असुरक्षित खातों में दबाव का सामना कर रही हैं।

नोट में कहा गया है कि दूसरी तिमाही के बाद दो तिहाई कंपनियों के आय अनुमान में संशोधन कर उसे घटाया गया है जबकि करीब 50 फीसदी ने अपने लक्षित कीमतों में कटौती देखी है। जेएम फाइनैंशियल ने कहा कि मिड और स्मॉलकैप क्षेत्र में आय कटौती लार्जकैप के मुकाबले ज्यादा रही है।

First Published : November 15, 2024 | 10:40 PM IST