Categories: बाजार

मल्टीकैप पर नए फरमान से फंड परेशान

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:14 AM IST

मल्टीकैप योजनाओं को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के फरमान के बाद म्युचुअल फंड कंपनियां सकते में आ गई हैं। मल्टीकैप योजनाओं की खूबियां सही मायने में बरकरार रखने के लिए बाजार नियामक ने शुक्रवार को म्युचुअल फंड कंपनियों को उनके कोष का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा अलग-अलग बड़े, मझोले एवं छोटे शेयरों (लार्ज, मिड-एवं स्मॉल-कैप) में निवेश करने के लिए कहा है। फिलहाल इस श्रेणी में लगभग सभी 35 ओपन-एंडेड योजनाएं ज्यादातर बड़े शेयरों पर ही दांव लगाती हैं।
सेबी के निर्देश के बाद म्युचुअल फंड कंपनियां अब माथापच्ची करने में जुट गई हैं। इसकी वजह यह है कि सेबी के निर्देश पर अमल करने के लिए मल्टीकैप योजनाओं में निवेश के लिहाज से कम से कम 65,000 करोड़ रुपये का बदलाव आ सकता है।  एक दूसरी चिंता इस बात को लेकर है कि  स्मॉल-कैप योजनाएं कीमतों में बदलाव किए बिना निवेशकों को खींच पाने में सफल होगी या नहीं। नए दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए मल्टीकैप श्रेणी में फंड कंपनियों को वृहद पैमाने पर बड़े शेयरों से निवेश निकालना होगा और स्मॉल-एवं मिड-कैप शेयरों में निवेश करना होगा। इस स्तर के निचले स्तरों से छोटे एवं मझोले शेयरों में 60 से 50 प्रतिशत तक की तेजी आ चुकी है।  
सूत्रों का कहना है कि फंड कंपनियां सेबी के निर्देश के बाद दूसरे संभावित विकल्पों पर बात करने लगी हैं। सूत्रों के अनुसार योजनाओं का आपस में विलय, नई फंड श्रेणी बनाने या परिपत्र में संशोधन आदि कुछ विकल्प हो सकते हैं। म्युचुअल फंड उद्योग के लोगों का कहना है कि वे जल्द ही आपस में बातचीत कर नियामक से दोबारा विचार करने के लिए कहेंगे। कुछ फंड कंपनियों का मानना है कि मल्टीकैप फंडों का लार्ज एवं मिड-कैप फंडों के साथ विलय एक विकल्प हो सकता है। मॉर्निंगस्टार के आंकड़ों के अनुसार 35 मल्टीकैप योजनाओं ने औसतन 75 प्रतिशत तक बड़े शेयरों में निवेश कर रखा है, जबकि मिड-कैप एवं स्मॉल-कैप में निवेश क्रमश: 17 प्रतिशत एवं 6 प्रतिशत है। इस समय केवल दो मल्टीकैप योजनाओं ने स्मॉल-कैप में 25 प्रतिशत निवेश किया है और केवल चार योजनाओं ने मिड-कैप शेयरों में 25 प्रतिशत तक निवेश कर रखा है। एक अन्य विकल्प के तौर पर फंड कंपनियां सेबी से ‘फ्लेक्सीकैप’ नाम से एक नई श्रेणी बनाने का अनुरोध कर सकती हैं। अगर सेबी इसके लिए राजी हो गया तो फंड कंपनियां बड़े, मझोले एवं छोटे शेयरों में किसी भी सीमा तक निवेश कर सकती हैं। इससे केवल श्रेणी में बदलाव होगा और निवेश की मात्रा में बदलाव होने की बात खड़ी नहीं होगी। अगस्त के अंत तक 35 मिडकैप योजनाओं का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 1.46 लाख करोड़ रुपये था।
म्युचुअल फंड उद्योग सेबी से ‘मल्टीकैप’ की परिभाषा पर भी विचार करने की गुजारिश कर सकता है। लार्ज-कैप श्रेणी में 100 शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 99.3 लाख करोड़ रुपये है, जो कुल बाजार पूंजीकरण का 74 प्रतिशत है। मिड-कैप श्रेणी में 150 शेयरों का बाजार पूंजीकरण 21 लाख करोड़ रुपये है, जो कुल बाजार पूंजीकरण का 16 प्रतिशत है।

First Published : September 13, 2020 | 11:21 PM IST