facebookmetapixel
AI क्रांति के बीच Meta ने 600 लोगों को नौकरी से निकाला, टॉप-लेवल हायरिंग पर फोकसDefence PSU के Q2 रिजल्ट की डेट घोषित! इस तारीख को हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए चेतावनी! लंबे समय तक विदेश में रहने पर हो सकता है प्रवेश रोकBPCL Q2 रिजल्ट की डेट तय! इस दिन हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानRussian oil: अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से भारत की तेल सप्लाई लगभग बंद होने की संभावनाSwiggy Q2 रिजल्ट की डेट हुई घोषित! जानिए कब आएंगे कंपनी के तिमाही नतीजेASEAN Summit: पीएम मोदी नहीं जाएंगे मलेशिया, इस बार वर्चुअली ही होंगे शामिलभारत में Apple की बड़ी छलांग! 75 हजार करोड़ की कमाई, iPhone 17 बिक्री में चीन को भी पीछे छोड़ाInfosys buyback: नंदन नीलेकणी-सुधा मूर्ति ने ठुकराया इन्फोसिस का ₹18,000 करोड़ बायबैक ऑफरGold-Silver Price Today: भाई दूज पर सोने-चांदी की कीमतों में उछाल, खरीदने से पहले जान लें आज के दाम

पांच में से 3 वित्त वर्ष में शुद्ध बिकवाल रहे एफपीआई

वित्त वर्ष 25 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1.31 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे जो वित्त वर्ष 2022 के बाद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।

Last Updated- March 31, 2025 | 11:35 PM IST
Sebi levels playing field: FVCIs subject to same governance norms as FPIs विदेशी VC निवेशकों के लिए भी FPI जैसे गवर्नेंस नियम, SEBI ने बराबरी के लिए जारी की अधिसूचना

पिछले पांच में तीन वित्त वर्षों में विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाल रहे हैं जबकि देश के संस्थान बड़े खरीदार बन गए। वित्त वर्ष 25 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1.31 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे जो वित्त वर्ष 2022 के बाद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इस दौरान देसी संस्थागत निवेशक 6.07 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे जो किसी भी वित्त वर्ष का सर्वोच्च आंकड़ा है। घरेलू संस्थान पिछले पांच वित्त वर्ष में से चार में शुद्ध खरीदार रहे हैं।

विदेशी निवेशक पिछले 12 महीनों में से 7 में शुद्ध बिकवाल रहे हैं। एफपीआई की ज्यादातर बिकवाली वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में हुई। शुरुआत में यह बिकवाली चीन में पूंजी के दोबारा आवंटन से हुई जिसका कारण वहां का आकर्षक मूल्यांकन और सरकारी प्रोत्साहन उपाय रहे। जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर तिमाहियों में कंपनियों के कमजोर नतीजों ने महामारी के बाद तेजी से बढ़े मूल्यांकन को आधारहीन बना दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के कारण विदेशी पूंजी की निकासी और बढ़ गई। अमेरिकी व्यापार नीति में संभावित बदलावों की चिंता के कारण भी अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हुई और डॉलर मजबूत हुआ जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारत जैसे उभरते बाजारों से हाथ खींच लिए। ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद व्यापार शुल्क लागू होने से निवेशकों की बेचैनी बढ़ गई तथा जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों से सोने जैसे सुरक्षित निवेशों की ओर उनके रुझान में इजाफा हुआ।

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में घरेलू संस्थानों के निवेश में वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 25 में शुद्ध खरीद वित्त वर्ष 24 में उनकी शुद्ध खरीद से करीब तीन गुना ज्यादा रही है। घरेलू संस्थागत निवेश में मुख्य रूप से म्युचुअल फंडों की खरीद शामिल है, जो वित्त वर्ष 25 में 4.7 लाख करोड़ रुपये रही जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 2 लाख करोड़ रुपये थी। महामारी के बाद की तेजी के कारण बहुत से खुदरा निवेशक ने म्युचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश किया। व्यवस्थित निवेश योजना यानी एसआईपी खातों की संख्या मार्च 2021 में 3.7 करोड़ से बढ़कर फरवरी 2025 तक 10.1 करोड़ हो गई।

इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोक्कालिंगम ने कहा, बाजार में दो साल की लगातार तेजी ने एफपीआई को मुनाफावसूली का मौका दिया। एफपीआई की बिकवाली का बाजार पूंजीकरण पर बड़ा असर पड़ा है। लीमन संकट के बाद घरेलू संस्थानों ने एफपीआई की बिकवाली से कहीं ज्यादा खरीदारी की। और तब से घरेलू संस्थान आखिरकार सही निकले और बाजार में बड़ी गिरावट का लाभ उन्हें मिला है। जब बाजार में सुधार हुआ तो उन्हें काफी लाभ हुआ। और इस बार भी ऐसा ही होने की संभावना है।

आगे चलकर बाजार की स्थिरता ही निवेश की दिशा तय करेगी। हालांकि मार्च में एफपीआई की बिकवाली कम हुई लेकिन चिंता इस बात की है कि यह बिकवाली और बढ़ सकती है क्योंकि जनवरी-मार्च तिमाही के कंपनियों के परिणाम नरम रह सकते हैं और व्यापार शुल्कों को लेकर अनिश्चित बनी हुई है।

स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, एफपीआई की खरीदारी के लिए हमें बाजारों के समेकन और रुपये के स्थिर होने की जरूरत है। जब तक एसआईपी निवेश शुद्ध रूप से सकारात्मक है तो घरेलू संस्थान नकदी लेकर नहीं बैठ सकते। लेकिन अगर बाजारों में फिर से बिकवाली आती है तो गिरावट आएगी। अगर आपकी शुद्ध संपत्ति का मूल्य कम हो रहा है तो निवेश भी घट जाएगा।

First Published - March 31, 2025 | 11:09 PM IST

संबंधित पोस्ट