यदि किसी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) से अनजाने में निवेश की उस सीमा का उल्लंघन हो जाता है, जिससे अतिरिक्त खुलासे वाले नियम लागू होते हैं तो उसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) से राहत मिल जाएगी।
सूत्रों के अनुसार यदि एफपीआई का 50 फीसदी से अधिक निवेश किसी एक समूह में है तो उसे अपनी हिस्सेदारी तय सीमा से नीचे लाने के लिए 10 कारोबारी सत्रों का समय या ग्रेस पीरियड दिया जाएगा।
इस दौरान उस पर सख्त खुलासा मानदंडों के प्रावधान लागू नहीं होंगे। यदि किसी विदेशी फंड का इक्विटी निवेश 25,000 करोड़ रुपये से पार चला जाता है मगर वह अतिरिक्त जानकारी नहीं देना चाहता है तो उसे अपना निवेश घटाने के लिए तीन महीने दिए जाएंगे।
अधिसूचना जारी होने के बाद उल्लंघन के दिन से ग्रेस पीरियड शुरू हो जाएगा
अनजाने में उल्लंघन उन घटनाओं के कारण होता है जो कोष प्रबंधक के नियंत्रण से परे होती हैं। उदाहरण के लिए किसी एफपीआई का तीन कारोबारी समूहों में निवेश है। यदि उनमें से एक समूह का बाजार मूल्यांकन घटता है तो दूसरे समूह में निवेश 50 फीसदी से अधिक हो सकता है। सेबी के नए नियमों की अधिसूचना जारी होने के बाद उल्लंघन के दिन से ग्रेस पीरियड शुरू हो जाएगा।
पिछले महीने बाजार नियामक ने नए खुलासा नियमों की घोषणा की थी। उनमें कहा गया है कि यदि किसी एफपीआई का 50 फीसदी से अधिक निवेश किसी एक कारोबारी समूह में है या समूह में उसका कुल निवेश 25,000 करोड़ रुपये से अधिक है तो उसे अतिरिक्त जानकारी देनी होगी। इसमें एफपीआई के स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण के बारे में बताना होगा।
अतिरिक्त खुलासे से देसी शेयर बाजार में पूंजी प्रवाह की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) और अधिग्रहण मानदंडों के उल्लंघन संबंधी उन मामलों पर भी रोक लगेगी जहां प्रवर्तक अनुमति से अधिक शेयर रखने के लिए अपारदर्शी ढांचे का उपयोग कर सकते हैं।
एक सूत्र ने कहा कि किसी एक समूह में निवेश के कारण अनजाने में सीमा का उल्लंघन होने पर एफपीआई को अगले 30 दिनों तक उस समूह के शेयर नहीं खरीदने दिए जाएंगे। उल्लंघन सुधार लेने पर भी रोक बनी रहेगी। उल्लंघन को सुधारा नहीं गया तो एफपीआई को 30 दिनों के भीतर अतिरिक्त जानकारी देनी होगी अन्यथा उसके खाते को रोक दिया जाएगा अथवा लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
प्राइम डेटाबेस द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के विश्लेषण में बिज़नेस स्टैंडर्ड को पता चला कि मार्च 2023 के अंत तक करीब 100 एफपीआई का किसी एक समूह में 50 प्रतिशत से अधिक निवेश था। इन एफपीआई का निवेश 1.2 लाख करोड़ रुपये था। सेबी के नए आदेश से प्रभावित एफपीआई की परिसंपत्ति अधिक भी हो सकती है।