प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पिछले 12 महीनों में 1.8 लाख करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिकवाली की है। इनमें सबसे ज्यादा बिकवाली तेल और गैस, सूचना प्रौद्योगिकी और ऑटो कंपनियों के शेयरों में हुई है।
प्राइम डाटाबेस के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार विदेशी निवेशकों ने 57,207 करोड़ रुपये के तेल एवं गैस शेयर, 53,352 करोड़ रुपये के आईटी शेयर और 35,292 करोड़ रुपये मूल्य के ऑटो शेयर बेचे हैं, जो कुल 1.45 लाख करोड़ रुपये के होते हैं और शुद्ध बिक्री का 80 फीसदी हैं।
एक साल पहले भारतीय शेयर बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए थे। तब निफ्टी 26,277 और सेंसेक्स लगभग 86,000 के स्तर पर था। तब से दोनों सूचकांक इन स्तरों से 6 फीसदी से ज्यादा नीचे आए हैं। तेल और गैस शेयरों में बिकवाली का कारण तेल की कीमतों में गिरावट को माना जा रहा है। पिछले 12 महीनों में ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 17 फीसदी तक की गिरावट आई है और अभी यह 68.04 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, डॉलर के हिसाब से आईटी सेक्टर का राजस्व 2-4 फीसदी के बीच बढ़ रहा है। इसके अलावा, आईटी सेवाओं पर टैरिफ लगने का भी डर है। पिछले 12 महीनों में ज्यादातर समय वाहन बिक्री की आंकड़ा वृद्धि निचले एक अंक में रही है। जीएसटी सुधारों के बाद बिक्री में सुधार की उम्मीद है, लेकिन यह पिछले महीनों के कमजोर प्रदर्शन की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है।
एफएमसीजी (29,685 करोड़ रुपये), बिजली (24,293 करोड़ रु.) और उपभोक्ता सेवाएं (21,036 करोड़ रु.) अन्य सेक्टर रहे जहां एफपीआई ने सितंबर के बाद से मुनाफावसूली की। एफपीआई ने दूरसंचार शेयरों में 26,950 करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र के शेयरों में 12,202 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। रसायन (11,214 करोड़ रु.) और कपड़ा (1,282 करोड़ रु.) अन्य सेक्टर थे जहां एफपीआई ने खरीदारी में रुचि दिखाई।
स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, हमारी दूरसंचार सेवाएं वैश्विक स्तर पर सबसे सस्ती हैं। लेकिन इसके बावजूद दूरसंचार कंपनियां लाभ में हैं। उम्मीद है कि प्रति ग्राहक औसत राजस्व (एआरपीयू) में सुधार होगा। रसायनों की खरीद ज्यादातर विशेष रसायन कंपनियों में होगी। पिछले चार-पांच वर्षों में कई विशेष रसायन कंपनियों ने अपने खास क्षेत्रों में दबदबा जमाया है और वे अपने विशिष्ट उत्पादों के शीर्ष पांच निर्माताओं में शामिल हैं।
एफपीआई की निकासी अक्टूबर 2024 में शुरू हुई। शुरुआत में उन्होंने चीन में पैसा लगाया गया क्योंकि चीन ने जूझती अपनी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के मकसद से प्रोत्साहन उपाय किए जिससे चीनी इक्विटी और अधिक आकर्षक हो गई। जुलाई-सितंबर तिमाही के बाद से कंपनियों के कमजोर नतीजों ने उन कीमतों को कमजोर कर दिया जो महामारी के बाद की तेजी के दौरान काफी बढ़ गई थीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की जीत ने अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता पैदा कर दी और विदेशी पूंजी निवेश पर इसका असर आया। अप्रैल में ट्रंप ने घोषित टैरिफ पर 90 दिन का विराम लगा दिया जिससे विदेशी निवेशकों का भारत के प्रति नजरिया थोड़ा बेहतर हो गया। हालांकि फिर से व्यापार टकराव ने विदेशी निवेशकों को एक बार फिर झटका दिया और बिकवाली तेज हो गई।