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HDFC Bank की अगुआई में FPI ने की जमकर बिकवाली, दर्ज की गई 2008 के बाद 5वीं सबसे बड़ी साप्ताहिक निकासी

पिछले हफ्ते सेंसेक्स में करीब 1.2 फीसदी की गिरावट आई जब HDFC Bank का शेयर 11 फीसदी टूट गया। इंडेक्स में इसका भारांक सबसे ज्यादा है।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- January 22, 2024 | 11:08 PM IST

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले सप्ताह 20,170 करोड़ रुपये (2.4 अरब डॉलर) के शेयर बेचे। यह 2008 की शुरुआत के बाद से विदेशी फंडों से पांचवीं सबसे बड़ी साप्ताहिक निकासी और मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक निकासी थी। कोविड के चलते FPI ने उस हफ्ते 21,951 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे और बाजार को करीब 20 फीसदी नीचे ला दिया था।

पिछले हफ्ते की निकासी मुख्य रूप से HDFC Bank के शेयरों की बिकवाली के चलते हुई, ऐसा शेयर जिसमें FPI का निवेश सर्वोच्च स्तरों में से एक है। विदेशी निवेशकों ने HDFC Bank के शेयरों की बिकवाली लेनदार की तरफ से निराशाजनक तिमाही नतीजे और कर्ज वृद्धि को लेकर चिंता व शुद्ध ब्याज मार्जिन में गिरावट के बाद की थी।

देसी बाजारों में अब तक की सबसे बड़ी निकासी

निजी क्षेत्र के लेनदार के नतीजे पर टिप्पणी करते हुए FPI ने 17 जनवरी को इक्विटी से 10,578 करोड़ रुपये निकाले, जो किसी एक दिन में देसी बाजारों से सबसे बड़ी निकासी रही।

पिछले हफ्ते की निकासी हालांकि देसी बाजारों के इतिहास में सबसे ज्यादा निकासी में शामिल रही, लेकिन कुल मिलाकर बाजारों पर इसका असर अपेक्षाकृत सुस्त रहा।

HDFC Bank के शेयरों में गिरावट का पड़ा असर

पिछले हफ्ते सेंसेक्स में करीब 1.2 फीसदी की गिरावट आई जब HDFC Bank का शेयर 11 फीसदी टूट गया। इंडेक्स में इसका भारांक (weighting) सबसे ज्यादा है। रिकॉर्ड बिकवाली के दौरान बाजारों में 4 फीसदी से लेकर 19 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है।

एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट स्ट्रैटिजिज के सीईओ एंड्यू हॉलैंड ने कहा, मुझे संदेह है कि इसे उभरते बाजार के फंडों के साथ इसका ज्यादा लेनादेना है। सप्ताह की शुरुआत में खबरें आ रही थी कि चीन बेहतर नहीं करने जा रहा और ब्याज दरें हमारी उम्मीद के मुताबिक तेजी से नहीं घटने जा रही, साथ ही निवेश निकासी का दबाव रहा हो सकता है।

इसके अलावा खराब नतीजों के चलते बैंकिंग क्षेत्रों ने उस शेयर में अपना भारांक घटाने पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन बिकवाली का सिर्फ भारत से लेनादेना नहीं था।

अमेरिकी ट्रेडरी यील्ड में सख्ती से बढ़ी चिंता

अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में सख्ती का भी सेंटिमेंट पर असर पड़ा और चिंता उभरी कि क्या फेडरल रिजर्व उसी रफ्तार से ब्याज दरें घटाएगा, जिसकी उम्मीद बाजार ने की है।

पिछले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय केंद्रीय बैंक के अधिकारियों की दलील थी कि दरों में कटौती तेज गति से नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा ब्रिटेन के महंगाई के आंकड़ों में बढ़ोतरी समेत कुछ अन्य आंकड़ों के चलते निवेशकों को बैंक ऑफ इंगलैंड की तरफ दर कटौती को लेकर अपना दांव छोड़ना पड़ा। अमेरिकी 10 वर्षीय बॉन्ड का यील्ड दरों में कटौतीकी राह को लेकर संदेह के बीच 4 फीसदी को छू गया।

हॉलैंड ( Holland) ने कहा, आने वाले समय में नतीजे का सीजन और वैश्विक कारक निवेश की दिशा तय करना जारी रखेंगे।

हॉलैंड ने कहा, पिछले कुछ दिनों से वै​श्विक कारक सहायक रहे हैं, जिससे कुल मिलाकर सेंटिमेंट को मदद मिली है। नतीजे के अलावा कोई अन्य वास्तविक उत्प्रेरक बाजार को तब तक ऊपर नहीं ले जा सकता है जब तक कि वैश्विक सेंटिमेंट में बहुत ज्यादा सुधार न हो।

साल 2023 में सबसे ज्यादा FPI खरीदार

इस महीने के पहले हफ्ते में FPI शुद्ध खरीदार रहे थे, हालांकि पिछले हफ्ते की बिकवाली के बाद इस साल अब तक के लिहाज से निवेश का आंकड़ा नकारात्मक हो गया है।

साल 2023 में उन्होंने 1.7 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे, जो किसी कैलेंडर वर्ष में शुद्ध खरीद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।

आय में मजबूती और बेहतर आर्थिक वृद्धि के अलावा फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज बढ़ोतरी का साइकल समाप्त होने, ब्लॉक डील के जरिए और अन्य निजी प्रतिभूतियां जारी होने पर निवेश के मौके ने भी पिछले साल निवेश के आंकड़ों को सहारा दिया था।

First Published : January 22, 2024 | 8:08 PM IST