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एफपीआई निवेश 30 अरब डॉलर

Last Updated- December 12, 2022 | 8:47 AM IST

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारत पर लगातार बड़ा दांव लगा रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में अब तक भारतीय इक्विटी में उनका शुद्घ निवेश 3117 अरब डॉलर के आंकड़े को छू चुका है, जो वित्त वर्ष 2013 से किसी एक वित्त वर्ष में सबसे बड़ा निवेश है।
पिछले सप्ताह के दौरान दूर रहे एफपीआई ने पिछले महज दो दिनों में इक्विटी में 1 अरब डॉलर (8,030 करोड़ रुपये) से ज्यादा का निवेश किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2020 के लिए बजट पेश किए जाने के बाद एफपीआई के निवेश में शानदार तेजी आई है। स्टॉक एक्सचेंजों के आंकड़े के अनुसार, मंगलवार, 2 फरवरी को उन्होंने 6,182 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश किया।
डाल्टन कैपिटल के प्रबंध निदेशक यू आर भट का कहना है, ‘विदेशी निवेशक निफ्टी-50 के 10,700 के पास पहुंचने के बाद से भारतीय इक्विटी में मजबूत खरीदार रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार ने उनमें भरोसा बढ़ाया है। बजट प्रस्तावों ने भारत पर उनके सकारात्मक नजरिये को मजबूती प्रदान की है। इसके अलावा, वैश्विक रूप से पर्याप्त तरलता मौजूद है जिससे भारत समेत उभरते बाजारों में निवेश की संभावना बढ़ी है।’
मॉर्गन स्टैनली के अनुमानों के अनुसार, पिछले सप्ताह एशिया/ईएम इक्विटी में अमेरिकी डॉलर में सर्वाधिक प्रवाह देखा गया।
इक्विटी में मजबूत प्रवाह की वजह से बीएसई का 30 शेयर वाला सूचकांक सेंसेक्स और एनएसई का निफ्टी-50 बुधवार को दिन के कारोबार में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2021 में अब तक, ये सूचकांक 70 प्रतिशत और 71 प्रतिशत चढ़ चुक हैं।
मुख्य जोखिम
विश्लेषकों के अनुसार, विदेशी प्रवाह के लिए मुख्य जोखिम वैश्विक केंद्रीय बैंकों के नीतिगत रुख में बदलाव है, खासकर अगले कुछ महीनों को लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा। विश्लेषकों का मानना है कि इन नीतिगत बदलावों से भारत समेत ईएम के लिए कोष प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
डाल्टन के भट का कहना है, ‘यह देखना जरूरी है कि अमेरिकी फेडरल अगले कुछ महीनों में क्या कदम उठाएगा। अमेरिका में अभी भी करीब 1.9 लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज को लेकर चर्चा बरकरार है और  वैश्विक बाजार इस पर नजर लगाए हुए हैं। यदि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं तो प्रवाह में बदलाव भी देखा जा सकता है। फिलहाल इसकी संभावना दूर तक नहीं दिख रही है।’ इसके अलावा, कई विश्लेषक भारतीय इक्विटी के लिए आगामी राह पर उत्साहित बने हुए हैं, लेकिन वे मार्च 2020 के बाद से दर्ज की गई भारी तेजी के खिलाफ सतर्क बने हुए हैं, जिसने कॉरपोरेट आय में वृद्घि की पृष्ठभूमि में मूल्यांकन महंगा बना दिया।
नोमुरा में इंडिया इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट सायन मुखर्जी ने कहा, ‘इक्विटी बाजारों के नजरिये से, बजट सकारात्मक है, क्योंकि इससे विकास की राह सुधारने में मदद मिलेगी। इस वजह से मौजूदा आय अनुमानों के लिए जोखिम घटा है। हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2020-23एफ के दौरान कॉरपोरेट आय वृद्घि शानदार 21 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2015-20 के दौरान यह 5 प्रतिशत रही। निफ्टी के लिए हमारा लक्ष्य 14,680 है।’

First Published - February 3, 2021 | 11:35 PM IST

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