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भारत पर विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, 2026 की शुरुआत तक दिखेगा बड़ा बदलाव: आनंद राठी के सुजान हाजरा

अनुशासन, मजबूत ग्रोथ और निवेश के अनुकूल माहौल के चलते, भारतीय शेयर बाजार आने वाले वर्षों में वैश्विक बाजारों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

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सिराली गुप्ता   
Last Updated- October 07, 2025 | 9:07 AM IST

भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति और निवेश के लिए अनुकूल माहौल को देखते हुए, आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुजान हाजरा का मानना है कि लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इक्विटी से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। उनका कहना है कि भारत की मजबूत ग्रोथ स्टोरी को देखते हुए विदेशी निवेशक 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक भारत को लेकर स्ट्रक्चरल रूप से पॉजिटिव हो सकते हैं।

RBI का GDP बढ़ोतरी का अनुमान शेयर बाजार के लिए क्या संकेत देता है?

सुजान हाजरा के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान बढ़ाने का अर्थ है कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा लगातार मजबूत हो रहा है। वे कहते हैं, “यह संशोधन दिखाता है कि भारत की ग्रोथ ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। इससे घरेलू निवेशक भावना मजबूत होती है और विदेशी निवेशकों का झुकाव भी बढ़ता है। अगर महंगाई लक्ष्य से कम बनी रहती है, तो भविष्य में ब्याज दर घटने की संभावना बाजार को और उत्साहित कर सकती है।”

RBI के नए कदम IPO और शेयर बाजार को कैसे प्रभावित करेंगे?

हाजरा का मानना है कि RBI द्वारा लोन अगेंस्ट शेयर्स (LAS) की सीमा बढ़ाने का सीधा फायदा इक्विटी मार्केट को मिलेगा। उनके अनुसार, “बैंक अब निवेशकों को शेयर बेचे बिना लिक्विडिटी उपलब्ध करा पाएंगे, जिससे IPO और प्राइमरी मार्केट में भागीदारी बढ़ेगी। साथ ही, बैंक और NBFCs के लिए समान नियम लागू करने से प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।” वे कहते हैं कि क्योंकि LAS सुरक्षित लोन है, इससे बैंकिंग सेक्टर का जोखिम भी कम होगा।

भारतीय बाजार महंगे हैं, लेकिन इसकी वजहें मजबूत हैं

सुजान हाजरा का कहना है कि भारत के शेयर लंबे समय से ग्लोबल मार्केट्स की तुलना में प्रीमियम वैल्यूएशन पर ट्रेड करते रहे हैं, और यह स्थिति आगे भी बनी रह सकती है।

वे बताते हैं, “भारत में कंपनियों के अच्छे मुनाफे, स्थिर नीतियां और लंबे समय तक कमाई की स्पष्टता के कारण शेयरों की कीमतें ऊंची बनी रहती हैं। इसके अलावा, दो-तिहाई से ज्यादा कंपनियों में प्रमोटर्स के पास 50% से ज्यादा हिस्सेदारी है, जिससे बाजार में बिकने वाले शेयर कम हैं। इसी कारण मांग बनी रहती है और कीमतें ऊंची रहती हैं।”

पिछले साल शेयरों का कमजोर प्रदर्शन होने के बावजूद क्या करना चाहिए?

हाजरा के मुताबिक, निफ्टी और सेंसेक्स के पिछले एक साल के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद, 2016 से भारत लगातार 10वां साल पॉजिटिव कैलेंडर रिटर्न देने की राह पर है, जो किसी बड़े मार्केट के लिए रिकॉर्ड है।

वे कहते हैं, “लंबे समय में शेयरों ने फिक्स्ड इनकम, सोना और रियल एस्टेट से बेहतर मुनाफा दिया है। इसलिए निवेशकों को शेयरों से बाहर जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि शेयरों के अंदर ही निवेश को फैलाना चाहिए — यानी अलग-अलग सेक्टर, स्टाइल और कंपनियों में पैसा लगाना चाहिए।”

अमेरिका और ग्लोबल घटनाओं का भारतीय बाजार पर क्या असर है?

सुजान हाजरा का कहना है कि भारत का बाहरी सेक्टर अभी छोटा है – एक्सपोर्ट और इंपोर्ट, GDP के सिर्फ 20% हैं। वे बताते हैं, “अब भारतीय निवेशक विदेशी निवेशकों की तुलना में ज्यादा शेयर रखते हैं, इसलिए दुनिया की घटनाओं का असर कम होता है। अमेरिका में सरकार बंद होना या इमिग्रेशन जैसी नीतियां सिर्फ थोड़े समय के लिए असर डाल सकती हैं, लेकिन लंबे समय में भारत की दिशा घरेलू विकास और नीतियों से तय होती है।”

अन्य उभरते बाजारों से भारत की पोजिशन मजबूत

सुजान हाजरा का मानना है कि भारत अभी भी अन्य उभरते बाजारों की तुलना में सबसे अच्छा निवेश विकल्प है।
वे कहते हैं, “भारत के शेयरों की कीमतें अभी भी ऊंची हैं और जल्द गिरने की संभावना कम है। लेकिन तेज़ आर्थिक विकास, राजनीतिक स्थिरता और टैक्स सुधारों की वजह से भारत विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बना रहेगा। जैसे-जैसे ग्लोबल लिक्विडिटी सुधरेगी, विदेशी निवेश (FII) 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक स्थायी रूप से पॉजिटिव हो सकता है।”

अगले कुछ सालों में कंपनियों की कमाई की रफ्तार कैसी रहेगी?

हाजरा का अनुमान है कि बड़ी कंपनियां मार्च 2027 तक सालाना 12-13% की कमाई बढ़ा सकती हैं, जबकि मध्यम और छोटी कंपनियां 14-16% की दर से बढ़ सकती हैं। वे बताते हैं कि फाइनेंशियल्स, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, कैपिटल गुड्स और सर्विसेज सेक्टर में सबसे मजबूत अर्निंग्स विजिबिलिटी है।

कौन से थीम और सेक्टर हैं फोकस में?

घरेलू मांग: शहरों में लोग सामान और प्रीमियम प्रोडक्ट्स ज्यादा खरीद रहे हैं, इसलिए इन चीजों की बिक्री लंबे समय तक बढ़ सकती है।

सर्विस सेक्टर: बैंकिंग, IT सेवाएं, पर्यटन और स्वास्थ्य जैसी सेवाएं आने वाले समय में मैन्युफैक्चरिंग (उत्पादन) से बेहतर बढ़ सकती हैं।

प्रीमियमाइजेशन: लोग ऑटो, FMCG (जैसे खाने-पीने का सामान), कपड़े और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में बेहतर और महंगे विकल्प चुन रहे हैं, इसलिए इन चीजों की मांग बढ़ रही है।

सेवाओं का निर्यात: इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल सेवाओं को विदेशों में मांग बढ़ रही है, यानी ये सेक्टर मजबूत हैं।

सम्वत 2082 में भारतीय बाजार का आउटलुक क्या है?

हाजरा के अनुसार, “साल 2000 से अब तक निफ्टी 50 ने दुनिया के प्रमुख शेयर मार्केट्स की तुलना में 70% समय बेहतर डॉलर रिटर्न दिया है। भारत में लोगों की संख्या, डिजिटल और भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर, बचत का निवेश में उपयोग और उत्पादन क्षमता की बढ़त अब भी मजबूत है। इसलिए आने वाले वर्षों में भारत का शेयर बाजार दुनिया के अन्य बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करेगा।”

First Published : October 7, 2025 | 9:07 AM IST