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विदेशी इक्विटी फंड डेट फंड के रूप में वगीकृत किए गए हैं

Last Updated- December 07, 2022 | 7:06 PM IST

डीएसपीएमएल वर्ल्ड गोल्ड फंड क्या है, इक्विटी फंड या फिर डेट फंड? कुछ स्थानों पर इसे इक्विटी स्पेशियालिटी फंड के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।


लेकिन मुझे यह बताया गया है कि टैक्स की गणना के समय इसे डेट फंड माना जाता है। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस फंड के लिए टैक्स किस तरह लगाया जाएगा?  -डॉ दीपक रे

इस फंड पर टैक्स की सरंचना डेट फंडों जैसी ही है, क्योंकि इसकी 65 फीसदी पूंजी शेयर बाजार और विदेशी कंपनियों में निवेश की जाती है। लंबी अवधि में कैपिटल गेन टैक्स से केवल इक्विटी फंडों में ही छूट मिलती है। इक्विटी फंड एक डिफाइंड फंड हैं जो अपनी 65 फीसदी राशि भारतीय कंपनियों में निवेश करते हैं। जो फंड यह नहीं करते, वे डेट फंड माने जाते हैं।

डीएसपीएमएल वर्ल्ड गोल्ड फंड इक्विटी पर आधारित फंड योजना का फंड है। यह अपनी पूंजी का एक बड़ा हिस्सा विदेशी म्युचुअल फंड योजनाओं में लगाता है जो अपना पैसा गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं।

पिछले कुछ माह से यूटीआई स्प्रेड फंड का पोर्टफोलियो डेट फंड के समान है। इसमें इक्विटी की संख्या बेहद कम है। क्या यह फंड टैक्स के लिए अपनी इक्विटी की विविधता को खो देगा?  -जरीर वाडिया

यूटीआई स्प्रैड फंड एक हाइब्रिड ऑर्बिट्राज फंड है। इसके इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड होने को लेकर कोई गफलत नहीं होनी चाहिए। एक ऑर्बिट्राज फंड स्पॉट और डेरिवेटिव बाजार में व्याप्त कीमतों के अंतर के कारण उत्पन्न हुए ऑर्बिट्राज अवसरों का फायदा उठाकर लाभ कमाता है। इसलिए यह फंड बाजार की स्थिति के अनुसार इक्विटी से डेट फंड की ओर एलोकेशन पैटर्न में बदलाव कर सकता है।

एक फंड को इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड तभी माना जा सकता है, जब उसके पोर्टफोलियो में 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी का हो। अगर कोई इक्विटी आधारित फंड उपरोक्त मापदंडों में वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) खरा नहीं उतरता तो इसे डेट फंड माना जाएगा और इसी आधार पर इसमें टैक्स देय होगा। आपकी जानकारी के लिए इस साल जनवरी से यूटीआई स्प्रैड फंड ने अपना  अधिकांश पोर्टफोलियो इक्विटी से डेट में बदल लिया है।

मैंने अक्टूबर 2005 में रिलायंस म्युचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) खरीदी थी। मैं अगले दो माह में इसकी अदायगी होनी है। क्या आप बताएंगे कि मुझे किस तरह से आगे बढ़ना चाहिए और क्या इसमें कोई एक्जिट लोड है? क्या इससे होने वाला लाभ कर के दायरे में आएगा?  -संजय पाटील 

जिस ईएलएसएस का लॉक इन पीरियड तीन साल का होता है उसके भुगतान पर कोई एक्जिट लोड नहीं लगता क्योंकि यह एक एक साल से अधिक रखा गया इक्विटी फंड है इसलिए इसे कर से छूट मिलेगी। 

मैंने अपने अपनी पूंजी का 25 फीसदी फ्रेंकलिन हाईग्रोथ कंपनीज, रिलायंस इक्विटी एडवांटेज, जेएम कोर-11, जेएम-एग्री, इंफ्रा और एआईजी इंडिया इक्विटी फंड आदि एनएफओ में निवेश किया है। मैंने हाल में सुना है कि एनएफओ में निवेश अच्छी रणनीति नहीं है।

अब मुझे इन फंडों खासकर जेएम एसेट मैनेजमेंट के दो फंडों में किए गए निवेश का क्या करना चाहिए? क्या आप मुझे मिडकैप और फ्लेक्सी कैप की श्रेणी के कुछ फंडों के बारे में जानकारी दे सकते हैं?  -सुरील पटेल

हाल ही में पेश किए गए जेएम कोर-11 सीरीज-1 व जेएम एग्री व इंफ्रा फंड क्लोज एंडेड इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड हैं। इनका मेच्यौरिटी पीरियड तीन साल का है। जेएम एग्री और इंफ्रा फंड अपनी पूंजी मिड और स्मॉल कैप की उन कंपनियों में निवेश करता है जो अपनी पूंजी कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों में निवेश करती है। इसके चलते इसमें  लॉर्ज कैप की इंफ्रा कंपनियों से अधिक जोखिम है।

पिछले दिनों बाजार में हुई गिरावट का असर इन पर लार्ज कैप की इंफ्रा कंपनियों से अधिक हुआ है। नतीजतन इनके रिटर्न में काफी गिरावट हुई। वास्तव में इंफ्रा फंड लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। जेएम कोर-11 फंड एक मिड कैप ओरिएंटेड फंड है यह भी अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहा। ये सभी नए फंड हैं। इसलिए इनके लंबी अवधि के प्रदर्शन का कोई रिकार्ड नहीं है।

अगर आप इनमें निवेश करना चाहते हैं तो इनके प्रदर्शन पर लगातार निगाह गड़ाए रखें। हमेशा किसी अच्छे रिकार्ड वाले फंड में निवेश की ही सलाह दी जाती है। लेकिन लोग हमेशा कम एनएवी होने के कारण एनएफओ की ओर आकृष्ट होते हैं। आपको मिड कैप आधारित फंडों में निवेश के लिए रिलायंस ग्रोथ, सुंदरम सिलेक्ट मिडकैप या मैग्नम मल्टीप्लायर प्लस पर निगाह रखनी चाहिए।

First Published - September 1, 2008 | 12:17 AM IST

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