भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से तुरंत मंजूरी के साथ साथ नियामकीय बदलावों के बीच आवेदन वापस लिए जाने से भी म्युचुअल फंड (एमएफ) लाइसेंस चाहने वाली कंपनियों की सूची छोटी हो गई
है। सितंबर के अंत तक ऐंजलवन और यूनिफाई कैपिटल के सिर्फ दो म्युचुअल फंड आवेदन लंबित थे। कैलेंडर वर्ष 2023 के शुरू में बाजार नियामक के पास ऐसे आवेदनों की संख्या 11 थी।
मार्च 2023 के बाद से नियामक ने चार परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को निर्णायक मंजूरी दी है। ये हैं बजाज फिनसर्व, ओल्ड ब्रिज कैपिटल मैनेजमेंट, हीलियस कैपिटल और जीरोधा। ये एएमसी वर्ष के शुरू में सैद्धांतिक मंजूरियां पहले ही हासिल कर चुकी थीं।
शेष सात आवेदकों – अल्फा अल्टरनेटिव्स, यूनिफाई कैपिटल, एल्केमी कैपिटल मैनेजमेंट, ऐंजल वन, एके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज, अबीरा सिक्योरिटीज और वाइजमार्केट्स एनालिटिक्स में से कई नाम सेबी की नई सूची में शामिल नहीं हैं। इसकी वजह या तो उनका आवेदन वापस लिया जाना या तकनीकी समस्या हो सकती है। एमएफ लाइसेंस की कतार में सबसे बड़े नामों में से एक फोनपे ने पिछले साल आवेदन वापस ले लिया था।
फोनपे के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम एएमसी लाइसेंस हासिल करने पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं, क्योंकि इस समय हमारा ध्यान वितरण को मजबूत बनाने पर है।’ अप्रैल, 2023 में सैद्धांतिक मंजूरी पाने वाली एमके ग्लोबल ने नियामकीय बदलावों और प्रायोजकों तथा परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के लिए अन्य मानकों में परिवर्तनों को देखते हुए अपना आवेदन सितंबर में वापस वापस ले लिया।
सेबी ने नई कंपनियों के प्रवेश को आसान बनाने के लिए जून में एमएफ कंपनियों के लिए नियामकीय ढांचे में बड़े बदलाव किए। इनमें से एक प्रमुख बदलाव वैकल्पिक पात्रता मानक अपनाने वालों के लिए उच्च नेटवर्क पात्रता थी। आवेदकों के लिए यह न्यूनतम नेटवर्थ पात्रता 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 150 करोड़ रुपये की गई है।
सिंघानिया ऐंड कंपनी में लीडर (फंड्स) रूपल बजाज का कहना है, ‘इन ताजा संशोधनों से कई तरह के बदलावों को बढ़ावा मिल रहा है और उद्योग पर इसका संभावित प्रभाव बहुआयामी है।’
सेबी ने एमएफ आवेदनों को निपटाने की प्रक्रिया तेज की है। नई फंड पेशकशों (एनएफओ) के लिए लंबित आवेदनों की संख्या भी पिछले साल के मुकाबले काफी घटी है।