अब जबकि बैंक ने पिछले कुछ सप्ताहों में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर दिए जा रहे ब्याज दरों में इजाफा किया है, इसके साथ ही म्युचुअल फंड के फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान भी निवेशकों को अधिक इंडीकेटिव रिटर्न दे रहें हैं।
मालूम हो कि फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) सिर्फ रिटर्न देने केबारे में संकेत दे सकते हैं और रिटर्न के बारे में कोई गारंटी नहीं दे सकते हैं। उदारहण केलिए एलआईसी म्युचअल फं ड और बिरला लाइफ म्युचुअल फंड ने अपने 13 महीनेवाले एफएमपी जोकि 25 अगस्त को बंद हो रही हैं,पर 11 प्रतिशत रिटर्न का प्रस्ताव दे रही है।
दूसरे फंड हाउस जैसे लोटस म्युचुअल फंड, एबीएन अमरो म्युचुअल फंड और कोटक म्युचुअल फंड ने छोटे निवेशकों के लिए 10.65 प्रतिशत रिटर्न देने का संकेत दिया है। बैंक दूसरी तरफ विभिन्न अविधयों वाले फिक्स्ड डिपॉजिट पर 7.5 प्रतिशत से 10.5 प्रतिशत तक का ब्याज दे रही है।
वाइज इन्वेस्ट एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेमंत रुस्तगी के अनुसार छोटी अवधि वाले जितने भी एफएमपी जो कि अभी हाल में बंद हुए हैं,उन्होंने अपने रिटर्न की दरों में कमें इजाफा कर इसे 10.5 प्रतिशत से उपर कर दिया है। इनमें से बहुत ने नए फंड ऑफर (एनएफओ)की अवधि के समय रिटर्न दिए जाने की दरों में परिवर्तन किए हैं।
टाटा म्युचुअल फंड, आईडीएफसी म्युचुअल फंड और फ्रैंकलिन टेमप्लेटन ने क्रमश:10.7 प्रतिशत, 10.75 प्रतिशत और 10.6 प्रतिशत का सालाना रिटर्न देते हुए अपने छोटी अवधि वाली योजनाओं को बंद किया है। मालूम हो कि जिस समय ये इश्यू खरीददारी केलिए खुले थे तो उस समय ये सभी म्युचुअल फंड 10.3 से 10.5 प्रतिशत का रिटर्न का प्रस्ताव दे रहे थे ।
लोटस इंडिया म्युचुअल फंड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि वे अपनी मौजूदा योजनाओं पर दिए जानेवाले रिटर्न की दरों में परिवर्तन करना अंतिम दिन तक जारी रखेंगे। हालांकि अधिक रिटर्न देने के बावजूद निवेश करने से पहले यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि एफएमपी फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में निवेश करने के लिहाज से असुरक्षित है।
इसका कारण यह है कि एफएमपी में व्यवसायिक पत्रों के जरिए निवेश किया जाता है और प्रतिकूल समय आने पर जिन कंपनियों के पास एफएमपी फंड एसेट मैंनेजमेंट कंपनियों के द्वारा जमा किए जाते हैं,वे अपनी बातों से मुकर सकते हैं। इससे पूंजी केलिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
एफएमपी डेट-आधारित फंड होते हैं जो कंपनियों द्वारा उच्च दरोंवाली मनी-मार्केट इंस्ट्रूमेंट और व्यवसायिक पत्र और बैंकों द्वारा जारी किए जानेवाले सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट (सीडी)खरीदते हैं। ये क्लोज एंडेड स्कीम विभिन्न अवधियों वाली मसलन तीन महीने, छह महीने और एक साल या उससे अधिक होती हैं।
एफएमपी की अवधियों के अधार पर फंड हाउस ऐसे सीपी और सीडी में निवेश करते हैं जिनकी अवधि पूरी होने का समय एकसमान होता है। निवेश की जानेवाली न्यूनतम राशि 5,000 रुपये है। एफएमपी के साथ जुड़ी एक प्रमुख बात यह है कि इनकेउत्पाद करों के दृष्टिकोंण से लाभदायक होते हैं।
इस बाबत रिलायंस एसेट मैंनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विक्रांत गुगनानी कहते हैं कि एफएमपी के उत्पाद पर करों में अतिरिक्त छूट मिलने के कारण लोग इसकी तरफ ज्यादा आकर्षक होते हैं। अगर डिविडेंड ऑप्शन का विकल्प चुना जाता है तब छोटी अवधिवाले एफएमपी पर 14.16 प्रतिशत का कर लगता है।