रेलिगेयर इंटरप्राइजेज भारत के अग्रणी वित्तीय सेवा प्रदान करने वाले समूहों में से एक है। यह रैनबैक्सी के सिंह परिवार द्वारा प्रवर्तित वित्तीय संस्थान है जिसकी पूरे देश भर में खुदरा क्षेत्र में निवेश की योजना है। रेलिगेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक सुनील गोदवानी ने शेयर बाजार में मौजूदा उठा-पटक और उनकी कंपनी पर के साथ-साथ निवेशकों पर पडनेवाले असर पर जो सी मैथ्यू से बात की।
भारतीय शेयर बाजार में मौजूदा अनिश्चितता को आप किस तरह से देखते हैं?
पिछले एक साल में वैश्विक स्तर पर जो बदलाव हुए थे,बाजार में मौजूदा अस्थिरता उसी का परिणाम है। जहां तक भारत की बात है तो यहां के बाजार में निवेश करने की अपार संभावनाएं हैं और भारतीय बाजार पहले की अपेक्षा और कई गुना ज्यादा निवेशकों केलिए आकर्षक हो गया है।
लोगों का मानना है कि दीर्घकालीन फंडों केलिए आनेवाले समय में अच्छी संभावनाएं हैं और उस दृष्टिकोण से मैं समझता हूं कि हमारी स्थिति काफी बेहतर है। मैं लघु अवधि के परिणामों पर कुछ नहीं कह सकता लेकिन जिन लागों ने मेरिल लिंच या लीमन ब्रदर्स में निवेश किया था उनके वैल्युएशंस को फिर से एडजस्ट करने की जरूरत है।
मौजूदा बाजार की स्थिति का रेलिगेयर की ग्रोथ पर कितना असर पडा है?
जहां तक रेलिगेयर की बात है तो हमारी स्थिति काफी मजबूत है। रेलिगेयर हमेशा से तीन तरह की सेवाएं प्रदान करता आ रहा है जिसमें कि रिटेल ,संपत्ति प्रबंधन और संस्थागत सेवाएं है, जिनमें रिटेल काफी मजबूती से आगे बढ रहा है।
संस्थागत कारोबार केलिए कभी भी विदेशी संस्थागत निवेशकों पर हमारी निर्भरता नहीं रही है जिसके कारण कि हमने अपने आप को बडी विदेशी संस्थागत निवेशकों के साथ कभी जोड़ा नहीं।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपकी उपस्थिति तो है?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी जो स्थिति है वो मुख्य रूप से वितरण और समझौतों की फ्रेंचाइजी केलिए है। इसकी कोई कमी नहीं है और फिलहाल मांग में तेजी है और उसी हिसाब से हमारे पास योजनाएं भी हैं।
हम पहले से ही कई कंपननियों के साथ उनको एआईएमएस में सूचीबध्द करने केलिए साथ काम कर रहें हैं, इसके साथ ही हम इन विकल्पों का मूल्यांकन कर रहें हैं।
क्या आनेवाले कुछ महीनों में स्थितियों में कुछ सुधार आएगा?
इस बारे में कोई भी समय सीमा मैं तय नहीं कर सकता। ईमानदारी से कहूं तो मैं भारतीय शेयर बाजार को लेकर काफी उत्साहित हूं। अब ये छह महीनों में होता है या दो सालों में, मैं नहीं जानता। हमारा काम बाजार की स्थितियों की समय सीमा तय करना नहीं है।
रेलिगेयर वित्तीय उत्पाद प्रदान करने का कारोबार करती है। हम पूरी तरह से स्थापित वित्तीय सेवा प्रदाता हैं और हम यह सेवा प्रदान करते रहेंगे चाहे बाजार की हालत जो भी हो।
रिटेल सेक्टर के निवेशकों का क्या प्रतिक्रिया हो सकती है? क्या उन्हें विश्वास में लेने की आवश्यकता है?
भारत में इक्विटी निवेश को विश्वास में लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। भारत में इक्विटी निवेश मात्र 3 प्रतिशत है और इसको देखते हुए आप किसे विश्वास में लेंगे।
भारत में इक्विटी में आम लोगों की भागीदारी पहले ही कम है और यह कम से कम इससे नीचे तो नहीं जा सकती।
अत: इसमें सिर्फ सुधार ही हो सकता है। लोगों के पास अब बेहतर संभावनाएं है क्योंकि अगले छह महीने से दो साल के भीतर बाजार ऊपर जाएगा और लोग बैंक डिपॉजिट के बदले शेयर बाजार में निवेश कर ज्यादा मुनाफा कमाएंगे। अत: किसी को विश्वास में लेने की जरूरत नहीं है।
क्या रेलिगेयर सुपर लैब्स को सूचीबध्द करने की योजना है?
अगले साल के भीतर तक हमें आशा है कि हम रेलिगेयर सुपर पब्लिक लैब को आम लोगों के बीच ले जाएंगे।
अगर आप हमारे रेलिगेयर इंटरप्राइजेज के वैल्यू देने के तरीके पर गौर करे तो हमने निवेशकों के लिए काफी मुनाफे छोड़ रखे हैं। हमारी योजना कंपनी को आम लोगों के बीच ले जाने की है। वैल्युएशन वास्तविक होगा।
