साल 2025 की शुरुआत के साथ ही निवेशकों के मन में सवाल उठ रहा है कि इस साल बाजार कैसा रहने वाला है? एडलवाइस म्यूचुअल फंड ने इसका जवाब दिया है। उन्होंने बॉन्ड मार्केट, फैक्टर इन्वेस्टिंग और इक्विटी बाजार को लेकर अपनी राय शेयर की है। आइए जानते हैं क्या है खास।
2024 में बाजार पर चुनावी राजनीति का असर रहा, लेकिन 2025 की कहानी कुछ और है। अब बाजार का फोकस कॉरपोरेट कमाई (अर्निंग्स) पर होगा। 2025 का बाजार निवेशकों के लिए नए मौके और चुनौतियां लेकर आ रहा है। एडलवाइस की ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि यह साल कमाई के उतार-चढ़ाव से भरा रहेगा, लेकिन 2026 में मुनाफा फिर से रफ्तार पकड़ सकता है। RBI की दर कटौती और भारत के ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने जैसे कदम आने वाले सालों में बाजार को सपोर्ट करेंगे।
मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक्स का वैल्यूएशन 10 साल के औसत से 15-45% ऊपर है। हालांकि, इनकी ग्रोथ भी लार्ज-कैप स्टॉक्स से बेहतर है, जिससे ये निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बने हुए हैं। सरकार का फोकस निजी और सार्वजनिक निवेश (कैपेक्स) बढ़ाने पर रहेगा। इसका फायदा रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग और IT सेक्टर को मिल सकता है। इन सेक्टर्स में मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद है। ग्लोबल ट्रेड वॉर और अमेरिकी नीतियों के कारण बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। ऐसे में समझदारी से निवेश करना बेहद जरूरी है।
एडलवाइस का कहना है कि 2025 में निवेश का जादू संतुलन में छिपा है। अगर आप अपने पोर्टफोलियो को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक्स का सही मिश्रण बेहद जरूरी है। फ्लेक्सी-कैप और मल्टी-कैप फंड्स में निवेश करके आप अपने पोर्टफोलियो को विविधता दे सकते हैं, जो बाजार के उतार-चढ़ाव में भी स्थिरता बनाए रखेगा। साथ ही, बॉन्ड और स्टॉक्स दोनों में संतुलित निवेश करना जोखिम को कम करेगा और आपको लंबे समय में बेहतर रिटर्न का रास्ता दिखाएगा।
2025 में बॉन्ड मार्केट में “बुलिश” यानी तेजी की संभावना है। एडलवाइस का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट तक कटौती कर सकता है। यह कदम सरकारी बॉन्ड (IGBs) को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाएगा।
क्या रहेगा खास?
2025 में बाजार की चाल में कई दिलचस्प बदलाव हो सकते हैं। महंगाई में गिरावट का असर साफ दिख सकता है, क्योंकि चीन में डिफ्लेशन और कमजोर कमोडिटी कीमतें CPI को नीचे लाने में मदद करेंगी। इसके साथ ही, RBI का लिक्विडिटी गेम बाजार को मजबूती देगा। केंद्रीय बैंक बैंकिंग सिस्टम में नकदी बनाए रखेगा, जिससे निवेशकों को स्थिरता का भरोसा मिलेगा। वहीं, डॉलर बनाम रुपया की कहानी में नया मोड़ आ सकता है। USD-INR धीरे-धीरे कमजोर हो सकता है, लेकिन मजबूत डॉलर उभरते बाजारों पर थोड़ा दबाव डाल सकता है।
एडलवाइस म्यूचुअल फंड का कहना है कि 5-15 साल की अवधि वाले सरकारी बॉन्ड और AAA रेटेड CPSE बॉन्ड लंबे समय के निवेश के लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
फैक्टर इन्वेस्टिंग ने 2024 में निवेशकों के लिए शानदार रिटर्न दिए। इस साल मोमेंटम फैक्टर सबसे बेहतर साबित हुआ, खासकर साल की पहली छमाही (H1CY24) में। H1 में मोमेंटम और वैल्यू फैक्टर्स ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि दूसरी छमाही (H2CY24) में क्वालिटी और ग्रोथ फैक्टर्स ने निवेशकों को आकर्षित किया।
मोमेंटम पोर्टफोलियो की औसत कमाई में 23% की बढ़त हुई, और इसका औसत रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 20% रहा। यह इस बात का संकेत है कि यह पोर्टफोलियो मजबूत और स्थिर प्रदर्शन कर रहा है।
अन्य फैक्टर्स का हाल:
2024 में फैक्टर पोर्टफोलियो ने निवेशकों के लिए कई बदलाव और चुनौतियां पेश कीं। क्वालिटी पोर्टफोलियो पर उपभोक्ता कंपनियों की कमजोर परफॉर्मेंस का दबाव साफ दिखा, जिससे यह पोर्टफोलियो अपेक्षाओं के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सका। दूसरी ओर, ग्रोथ पोर्टफोलियो को बाजार की कमाई के अनुमानों में सुधार से मामूली राहत मिली और इसे हल्की रिकवरी का फायदा मिला। वहीं, वैल्यू पोर्टफोलियो को सरकारी निवेश (कैपेक्स) में धीमापन और लिक्विडिटी की तंगी का खामियाजा भुगतना पड़ा, जिसके चलते इसका डाउनग्रेड हुआ।
फैक्टर पोर्टफोलियो के Style Tilts में भी दिलचस्प बदलाव देखने को मिले। मोमेंटम फैक्टर ने H1CY24 में वैल्यू स्टॉक्स पर फोकस किया, लेकिन साल के दूसरे हिस्से (H2CY24) में इसका रुझान ग्रोथ स्टॉक्स की ओर बढ़ गया। सेक्टर्स की बात करें तो फार्मा सेक्टर मोमेंटम पोर्टफोलियो का पसंदीदा क्षेत्र रहा। क्वालिटी पोर्टफोलियो ने पूरे साल IT और कंज्यूमर सेक्टर में अपना फोकस बनाए रखा। ग्रोथ पोर्टफोलियो का झुकाव कैपिटल मार्केट्स की ओर था, जबकि वैल्यू पोर्टफोलियो ने H1CY24 में कैपिटल गुड्स पर ध्यान दिया और बाद में बैंकिंग सेक्टर की ओर रुख कर लिया।
जोखिम और चुनौतियां:
एडलवाइस की रिपोर्ट ने फैक्टर इन्वेस्टिंग में संभावित रिस्क पर भी प्रकाश डाला है। वैल्यू फैक्टर में निवेशकों की अत्यधिक रुचि (crowding) एक बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि इससे इस फैक्टर का प्रभाव और रिटर्न सीमित हो सकता है। वहीं, क्वालिटी पोर्टफोलियो कमजोर कमाई के दबाव में है, जो इसे निवेशकों के लिए रिस्की बना रहा है। ऐसे में 2025 के लिए एडलवाइस की सलाह है कि बाजार की अस्थिरता को देखते हुए मल्टी-फैक्टर रणनीतियां अपनाई जाएं। यह सिंगल-फैक्टर फंड्स से बेहतर साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें अलग-अलग फैक्टर्स को मिलाकर जोखिम कम किया जा सकता है और स्थिर रिटर्न पाने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है सही तरीका?
2025 में बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों के लिए सही रणनीति बनाना बेहद जरूरी होगा। एडलवाइस की रिपोर्ट कहती है कि अगर आप अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो मोमेंटम, ग्रोथ और क्वालिटी फैक्टर्स का सही मिश्रण अपनाना सबसे बेहतर तरीका होगा। यह न केवल गिरावट से बचाएगा, बल्कि आपको स्थिर और बेहतर रिटर्न भी दिलाएगा।
फार्मा, IT और कंज्यूमर सेक्टर 2025 में बड़े मौके लेकर आ सकते हैं। इन सेक्टर्स में निवेश का सही समय है, क्योंकि इनका प्रदर्शन मजबूत रहने की उम्मीद है। अगर आप 2025 में निवेश की दिशा खोज रहे हैं, तो फैक्टर इन्वेस्टिंग आपके लिए सही विकल्प हो सकती है। एडलवाइस का कहना है, “बाजार के उतार-चढ़ाव से डरने की जरूरत नहीं, बल्कि समझदारी से सही फैक्टर्स चुनें और मौके का फायदा उठाएं।”