बाजारों में इस साल होने वाले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जीत की संभावना का असर दिख रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह गठबंधन 400 सीट का लक्ष्य हासिल कर सकता है।
विश्लेषकों की राय में 2024 के राष्ट्रीय चुनाव से पहले भाजपा को दिसंबर 2023 में तीन प्रमुख राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) में हुए विधानसभा चुनाव में अच्छी बढ़त हासिल हुई, जबकि कांग्रेस तेलंगाना में जीतने में कामयाब रही।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक एवं निदेशक यू आर भट का कहना है, ‘आम चुनाव में NDA का 400 सीट का लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है। अब इन आंकड़ों को लेकर ज्यादा उत्साह या आश्चर्य नहीं है। हालांकि प्रधानमंत्री द्वारा संसद में सोमवार को दिया गया बयान मायने रखता है।’ सोमवार को नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी भाषण में कहा कि भाजपा इस साल होने वाले आम चुनाव में 370 सीटें जीतेगी, जबकि NDA को कुल 405 सीटें मिलेंगी।
एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटेजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बाजार में दिसंबर 2023 के राज्यों के चुनाव में NDA की जीत की संभावना पहले से ही जताई जाने लगी थी और तब गठबंधन ने तीन प्रमुख राज्यों में जीत हासिल की थी। मौजूदा सरकार की शानदार जीत की संभावना का असर बाजार में पहले से ही दिख रहा है। यदि बाजार को किसी तरह की निराशा हाथ लगती है तो विपरीत प्रतिक्रिया भी देखी जा सकती है।’
इन राज्यों – राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम – में विधानसभा चुनावों पर उनके भौगोलिक दायरे, जनसांख्यिकी और आर्थिक महत्व को देखते हुए गंभीरता से नजर रखी गई थी। संयुक्त रूप से इन राज्यों का भारत की आबादी में 17 प्रतिशत और जीडीपी में 15 प्रतिशत योगदान है। लोकसभा की करीब 14 प्रतिशत सीटें इन राज्यों से जुड़ी हुई हैं।
2024 के लिए निर्धारित आम चुनाव से पहले ये आखिरी विधानसभा चुनाव भी थे, इसलिए इन्हें देश की राजनीतिक नब्ज के संकेत के तौर पर देखा गया। बीएनपी पारिबा इंडिया में इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख कुणाल वोरा ने लिखा है, ‘हाल के राज्य चुनाव परिणामों के आधार पर आगामी चुनाव को लेकर बाजार की चिंताएं दूर हुई हैं।
बुनियादी आधार के संदर्भ में भी भारत ने हाल की तिमाहियों में न्यूनतम डाउनग्रेड के साथ दो अंक की आय वृद्धि दर्ज की है। जहां 2024 में भारतीय इक्विटी के लिए कई कारक अनुकूल बने हुए हैं, वहीं मूल्यांकन को लेकर चिंता बढ़ी है और हम अब सीमित तेजी देख रहे हैं।’
मुख्य जोखिम
अब से लेकर आम चुनाव के परिणाम आने तक बाजारों के लिए मुख्य जोखिम वैश्विक घटनाक्रम पर आधारित हो सकते हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी जनवरी की बैठक में मुख्य ब्याज दर को 5.25-5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रखा और दर कटौती की उम्मीद तोड़ दी। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी ब्याज दरें अपनी पिछली बैठक में 5.25 प्रतिशत के साथ 15 वर्ष के ऊंचे स्तर पर अपरिवर्तित बनाए रखीं।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक एवं शोध प्रमुख चोकालिंगम जी का मानना है कि दर कटौती में विलंब और बढ़ता राजनीतिक तनाव भारतीय इक्विटी बाजारों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। दुनिया के कई हिस्सों में राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहा है।