सरकार के एक महत्वपूर्ण कदम के चलते अब द इकोनॉमिस्ट, फोर्ब्स, फार्च्यून, बिजनेस वीक और हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू जैसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रिकाएं आम पाठकों की पहुंच में आ जाएंगी। अभी तक देश में इन पत्रिकाओं के फेसीमाइल संस्करण ही उपलब्ध हैं, जिनकी कीमतें काफी अधिक हैं।
भारतीय कंपनी भी 26 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ किसी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका का प्रकाशन कर सकती हैं। इससे देश में पत्रिका उद्योग को फायदा पहुंचेगा।
कैबिनेट बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने कहा, ‘कैबिनेट ने प्रिंट मीडिया की समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
विदेशी पत्रिकाओं के भारतीय संस्करण 26 प्रतिशत एफडीआई सहित प्रकाशन की अनुमति दी गई है, बशर्ते उनमें समाचार और समसामयिक विषयों की सामग्री हो। भारतीय प्रकाशक को साझा उद्यम में 74 प्रतिशत निवेश करना होगा।’
भारतीय कंपनी अधिनियम, 1951 के तहत कंपनियां इन पत्रिकाओं को न केवल देश में प्रकाशित (अगर वे बाहर से आयात न हो रही हों तब) कर सकती हैं बल्कि इनमें देसी खबरें और विज्ञापन भी छाप सकती हैं।
गौरतलब है कि पहले से मौजूद प्रिंट मीडिया नीति में फेसीमाइल विदेशी समाचार पत्रों और समाचार पत्रिकाओं में इन दोनों चीजों की मंजूरी नहीं थी। हालांकि, प्रकाशकों को अब भी नई प्रिंट मीडिया नीति की शर्तों को मानना होगा।
नियमों के मुताबिक, इन कंपनियों के निदेशक मंडल के कुल सदस्यों में से तीन चौथाई भारतीय मूल के होने चाहिए। इसके अलावा आवेदक कंपनी को स्थानीय संपादकीय विभाग में भी भारतीयों की नियुक्ति करनी होगी।
इन पत्रिकाओं को भारतीय समाचार पंजीयक (आरएनआई) के समक्ष पंजीकृत कराना होगा। आवेदक कंपनी को उस विशेष पत्रिका का नाम तभी आवंटित हो पाएगा जब देश में उस तरह की किसी पत्रिका का पहले से प्रकाशन न हो रहा हो।
सरकार ने लिखित रूप से यह भी कहा है कि जिन देशों से इन पत्रिकाओं का वास्ता है उस देश में वह पत्रिका कम से कम पांच साल से प्रकाशित हो रही हं और पिछले वित्त वर्ष में इनकी प्रसार संख्या कम से कम 10,000 प्रतियों की हो, तभी मंजूरी मिलेगी। दासमुंशी ने यह भी कहा कि इस फैसले से भारतीय पाठकों को सस्ते दाम में विदेशी पत्रिकाएं पढ़ने की सहूलियत होगी।
उन्होंने कहा कि इसके चलते भारतीय पाठकों को वैश्विक स्तर पर होने वाली ताजा घटनाओं की जानकारी हासिल हो सकेगी।
