मैंने नवंबर 2007 में पांच सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में निवेश किया है। यह निवेश एक साल की अवधि केलिए था। पिछले दस महीनों के दौरान इन फंडों का नेट एसेट वैल्यू (एनएववी) तेजी से गिरा है।
कृपया मुझे यह बताएं कि मुझे इन फंडों के साथ बने रहना चाहिए या किसी दूसरे फंड की और अपना रुख करूं? जिन फंडों में मैंने निवेश किया है उनमें जेएम बेसिक, टाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर, यूटीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर, डीएसपी मेरिल एमएल टीआईजीईआरा और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड हैं। – दीडा
आपका सारा पैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में लगा है, जिनमें जेएम बेसिक और डीएसपीएमएल टीआईजीईआर भी शामिल हैं। ये दोनों फंड अपने पोर्टफोलियो में थीम पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं। शेयर बाजार इस साल जनवरी तक अच्छा प्रदर्शन कर रहा था जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड का प्रदर्शन भी काफी बेहतर था। जब से बजार में गिरावट का दौर शुरू हुआ है तब से विभिन्न क्षेत्रों के शेयरों और फंडों का प्रदर्शन खस्ता हुआ है।
खस्ता आर्थिक हालात को देखते हुए इन योजनाओं में तत्काल और मझोली समयावधि में मुनाफे या उबरने की संभावनाएं काफी कम नजर आ रही हैं। हालांकि लंबी अवधि के लिए इन फंडों में भी बेहतर संभावनाएं और उम्मीदें हैं। तमाम बातों को देखते हुए यह अच्छा होगा कि आप अपनी निवेश की गई राशि को धीरे-धीरे एक या दो डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड में लगाएं और उनमें अपने एसआईपी को जारी रखें।
मैं उच्च आमदनी वाली श्रेणी में हूं। यदि इस बात को ध्यान में रखा जाए, तो क्या मैं लाभांश पे आउट ऑप्शन या लिक्विड फंड के लाभांश पे आउट ऑप्शन के साथ अल्प अवधि वाले फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान(एफएमपी) में निवेश करूं? एफएमपी (अल्पावधि और लंबी अवधि वाले) पर लागू होने वाले कर संबंधी क्या कानून हैं?
क्या अल्प अवधि वाले एफएमपी जो कि लाभांश पे आउट ऑप्शन देते हैं, अवधि पूरी होने से पहले ही घोष्ष्ति रिटर्न की तर्ज पर कोई लाभांश देते हैं या वे इसे किसी बाद की तारीख केलिए छोड़ देते हैं यानी इसमें देर करते हैं? – चन्द्रेश रावका
लिक्विड फंड और एफएमपी दोनों की लाभांश आय लाभांश वितरण कर (डीडीटी)के दायरे में आती है।?हालांकि एफएमपी की अपेक्षा लिक्विड फंड पर डीडीटी ज्यादा है। जबकि एफएमपी पर 14.16 प्रतिशत का डीडीटी लगता है, लिक्विड फंड पर 28.32 प्रतिशत डीडीटी लागू होता है। लंबी अवधि और अल्प अवधि दोनों तरह की पूंजी प्राप्ति को लिक्विड फंड और एफएमपी दोनों के लिए एकसमान तरीक से लिया जाता है।
अल्प अवधि में प्राप्त होने वाली पूंजी पर लगने वाला कर निवेशकों केलिए मामूली कर के अनुसार होते हैं जबकि दीर्घ अवधि में होनेवाले पूंजी प्राप्ति पर बिना इंडेक्सेशन के 10 प्रतिशत का कर लगता है जबकि इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत कर लगता है।
अत: किसी एफएमपी के लाभांश ऑप्शन में निवेश करना कर के बचत के लिहाज से ज्यादा बेहतर है। निश्चित तौर पर जो अधिक करों के भुगतान करने की श्रेणी में आते हैं उनके लिए लाभांश विकल्प बेहतर है।
क्या म्युचुअल फंड में निवेश करने वालों को बोनस और लाभांश का फायदा मिलता है? अगर फंड प्रबंधक द्वारा पोर्टफोलियो को बदला जाता है तो उस स्थिति में खर्च किस तरह से निवेशकों की तरफ बढा दिया जाता है? इस तरह के खर्चों पर एंट्री लोड और एक्जिट लोड मिलता है? – जयप्रकाश चौहान
हां, सभी तरह के फायदे लाभांश, बोनस, शेयर, राइट इश्यू,ब्याज के रूप में मिलता है और शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) में यह परिलक्षित होता है। म्युचुअल फंड में एक अनूठे कर की व्यवस्था होती है। आयकर के नजरिए से देखें तो सामान्य कारोबार से मिलनेवाले मुनाफे जैसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स एवं लांग-टर्म गेन कैपिटल टैक्स पर टैक्स के भुगतान से छुटकारा मिलता है।
फंड के और जो खर्च होते हैं उनको दो भागों में बांटा जा सकता है-ट्रांजेक्शनल खर्च और ऑपरेटिंग खर्च। इन सभी खर्चों को फंड के द्वारा भुगतान करना होता है जिसे कि निवेशकों की तरफ बढ़ा दिया जाता है। ट्रांजेक्शनल खर्चों में ब्रोकरेज, प्रतिभूति ट्रांजेक्शन कर आदि हैं। ऑपेरशनल खर्च में मैंनेजमेंट फीस, कस्टोडियन फीस ऑडिट फीस आदि।
जहां तक एंट्री लोड और एक्जिट लोड की बात है तो यह इक्विटी फंड के लिए यह 2.50 प्रतिशत, डेट फंड के लिए 2.25 प्रतिशत,इंडेक्स के लिए 1.5 प्रतिशत और फंड के लिए फंड के लिए 0.75 प्रतिशत है।
मैंने सिर्फ एक इक्विटी फंड में किस्तों में निवेश किया है। मैं जानना चाहता हूं कि अगर मैं अपनी इकाइयों में से कुछ को भुनाना चाहता हूं तो इनमें से कौन सी इकाई को भुनाया जाए और प्राप्त होनेवाली पूंजी की गणना कैसे की जाती है? क्या एफआईएफओ विधि का इस्तेमाल होगा? – अजय चंदाना
हां! फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (एफआईफओ) विधि का प्रयोग भुनाने वाली इकाईयों से प्राप्त होनेवली पूंजी की गणना करने के लिएकिया जाएगा। जब आप अपने निवेश को भुनाते हैं तो उस स्थिति में जिस इकाई को पहले खरीदा जाता है तो उसे पहले रिडीम्ड समझा जाता है और उसके बाद दूसरे और अन्य इकाईओं के लिए होता है।
मैं पिछले डेढ़ सालों से रिलायंस विजन (ग्रोथ ऑप्शन) में एसआईपी के जरिए निवेश कर रहा हूं। ऐसा लगता कि फंड फिसलकर 3 स्टार रेटिंग तक आ गया है। क्या फंड में लगाइ गई पूंजी को ध्यान में रखते हुए एसआईपी को बंद करना सही होगा और साथ ही इसी राशि के एसआईपी के जरिए डीएसपीएमएल टाइगर और मैग्नम कोंट्रा में निवेश करना सही होगा? – बालचन्द्र
रिलायंस वीजर थ्री स्टार रेटेड फंड है और इस फंड ने पहले अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले साल सितंबर से यह पांचवें स्थान से फिसलकर तीसरे स्थान पर आ गया है जिसका कि कारण अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले कम रिटर्न मिलना है। वर्ष 2007 में फंड को मिलता 56 प्रतिशत का रिटर्न इक्विटी डाइवर्सिफाइड कैटेगरी के औसत 59.5 प्रतिशत के रिटर्न से कम था। आप इस फंड के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं तो दूसरे फंड में एसआईपी शुरू कर सकते हैं।
एक किसी साधारण इक्विटी फंड में निवेश बंद कर किसी साधारण ईएलएसएस फंड में निवेश शुरू करना उस साल में धारा 80 के तहत कर छुट के लिए योग्य होगा? – अरविंद चांदोरकर
हां, आप उसी वित्त वर्ष में एक इक्विटी फंड से अपने निवेश को हटाकर ईएलएसएस फंड में निवेश कर की धारा 80 के तहत लाभ उठा सकते हैं लेकिन इक्विटी फंड में आपके निवेश की अवधि एक साल से कम की है तो उस स्थिति में आपको साधारण फंड से अपने निवेश को हटाकर ईएलएसएस में करने पर लघु अवधि का कैपिटल टैक्स गेन का भुगतान करना होगा।