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निफ्टी-50 में अग्रणी शेयरों का वर्चस्व रिकॉर्ड स्तर पर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:02 AM IST

निफ्टी-50 में अग्रणी शेयरों का वर्चस्व अब तक के सर्वोच्च स्तर पर है और पांच अग्रणी शेयरों का भारांक इंडेक्स में करीब 42 फीसदी है जबकि 10 अग्रणी शेयरों का भारांक 62 फीसदी से ज्यादा। दो साल पहले यह भारांक क्रमश: 37.1 फीसदी व 56.4 फीसदी था जब ध्रुवीकरण की शुरुआत हुई थी, जहां सिर्फ चुनिंदा शेयरों में ही रकम लगाई जाती है।
निफ्टी-50 में शामिल कंपनियों के भारांक की गणना सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध शेयरों के बाजार पूंजीकरण के इस्तेमाल के जरिए की जाती है।
विभिन्न क्षेत्रों का संकेंद्रण भी बढ़ा है और चार क्षेत्रों मसलन वित्तीय सेवाओं, तेल व गैस, सूचना प्रौद्योगिकी और उपभोक्ता सामान की हिस्सेदारी निफ्टी-50 के भारांक में करीब 77 फीसदी हो गई है। एक्सचेंज के आंकड़ोंं से यह जानकारी मिली।
निप्पॉन इंडिया एमएफ के डिप्टी सीआईओ शैलेष राज भान ने कहा, इस समय निवेशकों के बीच जोखिम उठाने की क्षमता को देखते हुए आने वाले समय में ध्रुवीकरण तब तक जारी रह सकता है जब तक कि आर्थिक रिकवरी में स्पष्टता न हो और निवेशक दूसरी कंपनियों पर दांव लगाने के मामले मेंं पर्याप्त रूप से आत्मविश्वास से लबरेज हो गए हैं। इस बदलाव के लिए कम ब्याज सकारात्मक उत्प्रेरक हो सकता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक जैसे शेयरों का भारांक 10-10 फीसदी से ज्यादा है। एक साल से ज्यादा समय से एचडीएफसी बैंंक का भारांक 10 फीसदी से ज्यादा था, वहींं आरआईएलका भारांक इस साल 23 मार्च को 8.77 फीसदी और दो साल पहले 7.4 फीसदी था। इससे पहले साल 2008 में शेयर का भारांक 10 फीसदी से ज्यादा था जब आरआईएल ने सीमा को तोड़ दिया था। विशेषज्ञों ने ये बातें कही।
23 मार्च से एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में क्रमश: 44 फीसदी और 105 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है और उसने निफ्टी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंंकि निफ्टी 41 फीसदी चढ़ा है। निफ्टी-500 कंपनियों के कुल कर पश्चात लाभ में उनका योगदान क्रमश: 7.3 फीसदी और 8.6 फीसदी रहा है।
डिजिटल सहायक जियो प्लेटफॉर्म में लगातार हो रहे निवेश से आरआईएल पिछले कुछ हफ्तोंं से सुर्खियों मेंं रही है, जिससे कंपनी को अपना कर्ज घटाने में मदद मिली है। कंपनी ने बाजार में 53,000 करोड़ रुपये का राइट्स इश्यू भी पेश किया।
फंड मैनेजरोंं को नुकसान हो सकता है अगर ये दोनोंं शेयर बढ़त बनाए रखते हैं क्योंकि मौजूदा नियम के मुताबिक वे कोई एक शेयर 10 फीसीद से ज्यादा नहींं खरीद सकते। इसके अतिरिक्त वैयक्तिक फंड हाउस की सीमा नरम हो सकती है जो किसी एक शेयर में कुछ निश्चित सीमा से ज्यादा खरीद से उन्हें रोकता है, उदाहरण के तौर पर योजना की होल्डिंग का 5 फीसदी या 7.5 फीसदी। किसी इक्विटी योजना का मोटे तौर पर 45 से 60  शेयरोंं मे निवेश होता है।
मिरे ऐसेट गग्लोबल इन्वेस्टमेंट के सीआईओ नीलेश सुराणा ने कहा, निफ्टी-50 में 10 फीसदी से ज्यादा भारांक वाले शेयर फंड मैनेजरों के चुनौतीपूर्ण सकते हैं, जिसकी वजह किसी एक शेयर मेंं निवेश के मौजूदा नियम व नरम सीमा है। अभी ऐसी अहम कंपनियां नहीं हैं, लेकिन किसी एक शेयर के सूचकांक में भारांक की सीमा मददगार हो सकती है क्योंकि यह लार्जकैप योजनाओं के प्रदर्शन पर असर नहीं डालती।
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार मेंं गिरने-चढऩे वाले शेयरों मेंं सुधार तक लार्जकैप योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं और बाजार में ऐसे पर्याप्त शेयर हैं जो कमजोर प्रदर्शन की भरपाई कर सकते हैं।

First Published : July 9, 2020 | 11:50 PM IST