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Dollar vs Rupee: ईरान-इजराइल संघर्ष का बाजार पर दिखा असर, डॉलर के मुकाबले रुपया लुढ़का

Rupee vs Dollar: रुपये का कारोबार पूरे दिन तक सीमित दायरे में हुआ क्योंकि डॉलर इंडेक्स दिन की शुरुआत में 105.96 से गिरकर 105.90 पर आ गया।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- April 15, 2024 | 10:33 PM IST

Rupee vs Dollar: पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से एशिया की मुद्राओं पर दबाव बढ़ा है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.45 के निचले स्तर पर बंद हुआ। इसके पहले रुपया 4 अप्रैल को इस स्तर पर पहुंचा था। यह 10 नवंबर 2023 को 83.48 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर भी पहुंचा था।

रुपये का कारोबार पूरे दिन तक सीमित दायरे में हुआ क्योंकि डॉलर इंडेक्स दिन की शुरुआत में 105.96 से गिरकर 105.90 पर आ गया। डॉलर सूचकांक से 6 प्रमुख मुद्राओं के बॉस्केट में डॉलर की ताकत का पता चलता है।

एलकेपी सिक्योरिटीज में कमोटिडी ऐंड करेंसी के वीपी रिसर्च एनॉलिस्ट जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘वैश्विक उतार-चढ़ाव के बीच भारतीय रुपये ने स्थिरता दिखाई और इसका कारोबार 83.42 से 83.46 रुपये प्रति डॉलर के सीमित दायरे में हुआ। इसने उतार-चढ़ाव की संभावनाओं को खारिज कर दिया। अमेरिकी डॉलर स्थिर रहा और कच्चे तेल की कमजोरी ने लाभ कम कर दिया। ईरान-इजराइल के संघर्ष से बाजार की धारणा प्रभावित हुई है।’

एशिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में सोमवार को रुपये का प्रदर्शन बेहतर रहा। डॉलर के मुकाबले कुछ एशियाई मुद्राओं की कीमत 0.2 फीसदी से 0.4 फीसदी तक गिरी, वहीं 4 पैसे की मामूली गिरावट के साथ रुपया तुलनात्मक रूप से स्थिर रहा।

चालू कैलेंडर वर्ष में बांग्लादेश के टका और हॉन्ग कॉन्ग के डॉलर के बाद रुपया सबसे स्थिर मुद्रा रहा है। कैलेंडर वर्ष में अब तक रुपये में 0.3 फीसदी गिरावट आई है, जकि बांग्लादेश का टका और हॉन्ग कॉन्ग का डॉलर क्रमशः 0.1 फीसदी और 0.2 फीसदी गिरा है।

उतार-चढ़ाव को सीमित करने के लिए रिजर्व बैंक संभवतः विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की बिक्री करके हस्तक्षेप कर सकता है।

कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड में वीपी- करेंसी डेरिवेटिव्स ऐंड इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘आज (सोमवार को) बाजार में रिजर्व बैंक मौजूद था। मात्रा कम रही, जिसे देखते हुए हस्तक्षेप बड़े स्तर का नहीं था।

उन्होंने संभवतः 50 करोड़ डॉलर के करीब बिक्री की।’पिछले कुछ सत्र से रुपये में गिरावट आ रही है, क्योंकि यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा जून में दर में कटौती की उम्मीद के कारण अमेरिका का यील्ड बढ़ रहा है, जबकि अमेरिका में दर में कटौती की संभावना कम हो गई है।

First Published : April 15, 2024 | 10:33 PM IST