म्युचुअल फंड

कैसे चुनें सबसे बेहतर म्युचुअल फंड? इन 6 जरूरी बातों का रखें ध्यान

म्युचुअल फंड चुनना आसान नहीं है। जानें 6 जरूरी बातें जो सही फंड चुनने में मदद करेंगी

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अंशु   
Last Updated- September 30, 2025 | 6:31 PM IST

म्युचुअल फंड पर निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है। यह पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में बेहतर रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं। इतना ही नहीं, म्युचअल फंड में निवेश करना सीधे शेयर बाजारों में पैसा लगाने की तुलना में सरल और ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। इस कारण से इनकी लोकप्रियता हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है। अगस्त 2025 तक म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM 75.19 लाख करोड़ रुपये हो गया। अगस्त में systematic investment plan (SIP) इनफ्लो 28,265 करोड़ रुपये रहा। जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि के आधार पर बाजार में कई तरह के म्युचुअल फंड उपलब्ध है। अब बड़ा सवाल यह है कि इतने सारे म्युचुअल फंड्स में कैसे अपने लिए सबसे बेहतर फंड चुना जा सकता है।

कैसे चुनें सबसे बेहतर म्युचुअल फंड?

म्युचुअल फंड चुनते समय इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान दें:

निवेश उद्देश्य और जोखिम सहने की क्षमता

· वित्तीय लक्ष्य: वित्तीय लक्ष्य तय करना सबसे पहला कदम है। यह तय करें कि आप निवेश क्यों करना चाहते हैं, यानि आपका financial goal क्या है — जैसे बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट, या कोई और उद्देश्य।

· जोखिम सहने की क्षमता: बाजार में उतार-चढ़ाव और संभावित नुकसान को लेकर अपनी सहजता का मूल्यांकन करें। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन होता है, इसलिए एक निवेशक को पहले यह समझ लेना चाहिए कि वह कितना जोखिम उठा सकता है, यानि उसकी risk appetite कितनी है।

· निवेश की अवधि:  निवेश की अवधि तय करना जरूरी है। देखें कि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं या शॉर्ट टर्म के लिए। अपनी investment horizon के हिसाब से आप डेट या इक्विटी म्युचुअल फंड में से सही फंड चुन सकते हैं, क्योंकि यह फंड के चयन को सीधे प्रभावित करता है।

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2. फंड परफॉर्मेंस और मैनेजमेंट

· पिछला रिटर्न चेक करें: Performance track record देखकर फंड का मूल्यांकन करें, खासकर 1 से 5 साल के समय में। हालांकि म्युचुअल फंड में पिछला परफॉर्मेंस भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देता है, लेकिन इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।

· कंसिस्टेंसी देखें: ऐसे फंड देखें जो लगातार अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर परफॉर्मेंस करते हों। इससे यह पता चलता है कि फंड स्थिर और भरोसेमंद है।

· फंड मैनेजर का अनुभव:  फंड मैनेजर का अनुभव निवेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। फंड मैनेजर की विशेषज्ञता और उनके अनुभव का मूल्यांकन करें। अनुभवी मैनेजर फंड को सही दिशा में ले जाने और बाजार की उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद करते हैं।

3. लागत और फीस

· एक्सपेंस रेश्यो को समझना बहुत जरूरी है। यह वह वार्षिक फीस है जो फंड आपके निवेश पर लेता है। हाई एक्सपेंस रेशियो आपके रिटर्न को कम कर सकता है, इसलिए इसे ध्यान में रखकर ही फंड चुनें।

· एग्जिट लोड का ध्यान रखना भी जरूरी है। यह वह फीस है जो फंड में निवेश करने के बाद समय से पहले पैसे निकालने पर लगाया जाता है। अगर आप जल्दी निकासी की योजना बना रहे हैं, तो इससे आपके रिटर्न पर असर पड़ सकता है।

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4. फंड की विशेषताएं

· एसेट एलोकेशन को समझे और सुनिश्चित करें कि फंड का निवेश आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप हो।

· फंड की लिक्विडिटी यानी तरलता पर ध्यान देना भी जरूरी है। यह देखना चाहिए कि फंड आपको जरूरत पड़ने पर पैसे निकालने की सुविधा देता है या नहीं। अच्छी तरलता वाले फंड में आप जल्दी और आसानी से निवेश राशि तक पहुंच सकते हैं।

· न्यूनतम निवेश की आवश्यकता को समझना जरूरी है। फंड में निवेश करने से पहले यह जांच लें कि शुरुआती निवेश राशि कितनी है और आगे अतिरिक्त निवेश के लिए कितनी रकम की जरूरत होगी। इससे आप अपने बजट और निवेश योजना के अनुसार सही निर्णय ले पाएंगे।

5. टैक्स से जुड़े पहलू

· टैक्स ट्रीटमेंट: टैक्स ट्रीटमेंट अपने निवेश पर टैक्स के असर को समझें, जिसमें कैपिटल गेन्स टैक्स भी शामिल है। आपके निवेश से होने वाले मुनाफे पर capital gains tax लगता है, जो आपके कुल रिटर्न को प्रभावित कर सकता है। इसलिए निवेश करने से पहले टैक्स के असर को ध्यान में रखें।

· टैक्स लाभ: टैक्स लाभ पाने के लिए ऐसे फंड चुनें जो टैक्स में छूट प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, ELSS फंड में निवेश करके आप धारा 80C के तहत मिलने वाले टैक्स बचत के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी हासिल कर सकते हैं।

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6. इन बातों का भी रखें ध्यान

· फंड साइज और AUM: फंड के आकार और उसके प्रदर्शन पर पड़ने वाले असर पर भी ध्यान देना चाहिए। किसी फंड का AUM ज्यादा होना इस बात का संकेत है कि निवेशक उस फंड को पसंद कर रहे हैं और अपना पैसा उसमें लगा रहे हैं।

· पोर्टफोलियो टर्नओवर रेश्यो: फंड की ट्रेडिंग गतिविधियों को दर्शाता है और इससे संभावित रिटर्न पर असर पड़ सकता है। हाई टर्नओवर रेश्यो वाले फंड में ज्यादा ट्रेडिंग होने के कारण लागत बढ़ सकता है, जो आपके निवेश के रिटर्न को प्रभावित कर सकता है।

· AMC का ट्रैक रिकॉर्ड: एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की साख और पिछले प्रदर्शन की जांच करें। एक भरोसेमंद और अच्छा प्रदर्शन करने वाली AMC आपके निवेश को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकती है और अच्छा रिटर्न दे सकती है।


(डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल बीपीएन फिनकैप के डायरेक्ट ए.के. निगम से बातचीत पर आधारित है। यह केवल जानकारी के लिए है। यह निवेश की सलाह नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

First Published : September 30, 2025 | 5:06 PM IST