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कंपनियों में हिस्सेदारी मामले में एफपीआई के करीब डीआईआई

प्राइम डेटाबेस की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2024 तिमाही के अंत में एनएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में डीआईआई की हिस्सेदारी 16.9 प्रतिशत थी।

Last Updated- February 04, 2025 | 11:07 PM IST
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कंपनियों की हिस्सेदारी के मामले में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के बीच निवेश का फासला काफी कम रह गया है। दिसंबर 2024 के अंत में इन दोनों के मालिकाना नियंत्रण में अंतर घटकर 33 आधार अंक रह गया। वर्ष 2009 के बाद यह दोनों के बीच सबसे कम अंतर है।
बाजार की चाल पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि जनवरी में विदेशी फंडों की भारी बिकवाली के बाद डीआईआई का स्वामित्व संभवतः एफपीआई से अधिक हो गया होगा। पिछले महीने एफपीआई ने 78,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि डीआईआई ने घरेलू शेयरों में 86,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। एफपीआई और डीआईआई के बीच स्वामित्व में अंतर मार्च 2015 में बढ़कर 1,032 आधार अंक तक पहुंच गया था। तब से एफपीआई ने भारतीय शेयरों में अपनी हिस्सेदारी लगातार कम की है। मगर इसके उलट आम लोगों की बचत बाजार में आने, खासकर म्युचुअल फंडों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण, से डीआईआई को ताकत मिल गई और वे भारतीय शेयर बाजार में बड़े खिलाड़ी बन गए।

प्राइम डेटाबेस ग्रुप में प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘भारतीय पूंजी बाजार के लिए यह एक उल्लेखनीय क्षण है। पिछले कई वर्षों से एफआईआई सबसे बड़ी गैर-प्रवर्तक श्रेणी रहे हैं और निवेश से जुड़े उनके निर्णय पूरे बाजार की दिशा पर अच्छा-खास असर डालते रहे हैं। ‘ प्राइम डेटाबेस की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2024 तिमाही के अंत में एनएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में डीआईआई की हिस्सेदारी 16.9 प्रतिशत थी। इस बीच, एफपीआई की हिस्सेदारी कम होकर 12 वर्षों के सबसे निचले स्तर 17.23 प्रतिशत पर आ गई। दिसंबर में समाप्त तीन महीने की अवधि के दौरान घरेलू संस्थानों के 1.86 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी और एफपीआई के 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली के बाद यह बदलाव देखने में आया।

मूल्य के लिहाज से डीआईआई के पास 73.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर थे जो एफपीआई की तुलना में महज 1.9 प्रतिशत कम थे। एक दशक पहले की तुलना में यह एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है। एक दशक पहले डीआईआई के पास जितने शेयर थे, उनका मूल्य एफपीआई की तुलना में आधा था। डीआईआई में मुख्य रूप से म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड आते हैं। बाजार में डीआईआई के बढ़ते प्रभाव में म्युचुअल फंडों की अहम भागीदारी रही है जिन्हें खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से बल मिला। दिसंबर 2024 के अंत में भारत के बाजार पूंजीकरण में म्युचुअल फंडों की रिकॉर्ड 10 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।

कोविड महामारी के बाद इक्विटी फंडों की दोनों श्रेणियों ऐक्टिव और पैसिव निवेश में भारी तेजी दिखी है। बाजार में उछाल के बीच अधिक रिटर्न देने वाले दूसरे साधनों के अभाव में म्युचुअल फंडों के साथ 3 करोड़ से अधिक नए निवेशक जुड़े। दिसंबर 2019 में सक्रिय इक्विटी एयूएम 7.7 लाख करोड़ रुपये थीं जो दिसंबर 2024 में 31 लाख करोड़ रुपये हो गईं। इसी दौरान सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये निवेश 8,518 करोड़ रुपये से बढ़कर 26,459 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
हालांकि, बीमा कंपनियों के स्वामित्व में कमी आई है। उदाहरण के लिए एलआईसी का हिस्सा सितंबर 2024 में 3.59 प्रतिशत था जो दिसंबर में कम होकर 3.51 प्रतिशत रह गया। बीमा कंपनियों की कुल हिस्सेदारी 5.21 प्रतिशत से कम होकर 5.16 प्रतिशत रह गई।

First Published - February 4, 2025 | 10:42 PM IST

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