भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया का कहना है कि म्युचुअल फंडों (एमएफ) में खुदरा एसआईपी की बढ़ती प्रवृत्ति से प्रति व्यक्ति 1.2 डॉलर का मासिक निवेश अगले पांच वर्षों में बढ़कर 5 डॉलर पर पहुंचने की संभावना बढ़ गई है। बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट को संबोधित करते हुए भाटिया ने कहा कि 5 डॉलर प्रति व्यक्ति मासिक एसआईपी निवेश के साथ, म्युचुअल फंड उद्योग पांच साल में अपने मौजूदा मासिक प्रवाह को 13,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये पर पहुंचा सकता है।
भाटिया ने कहा, ‘पांच साल पहले, जब प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 20 लाख करोड़ रुपये थीं, तो एयूएम जमा अनुपात 18 था। आज यह अनुपात 23 पर पहुंच गया है। एयूएम-जीडीपी अनुपात तब 12 था और अब यह 16 पर पहुंच गया है, जबकि वैश्विक औसत 60 का है। इसलिए, आप एमएफ उद्योग की संभावनाओं का अंदाजा
लगा सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि खुदरा निवेश से बाजार में मजबूती आई थी, लेकिन नियामक सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में भी और ज्यादा निवेश भागीदारी चाहता है। सेबी ने भेदिया कारोबार की रोकथाम के नियमों के साथ साथ म्युचुअल फंडों में यूनिट भुनाने और लाभांश भुगतान में लगने वाले समय को घटाने के लिए सर्कुलर जारी किए हैं। अपने संबोधन में एसबीआई म्युचुअल फंड के पूर्व प्रमुख भाटिया ने कहा कि पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (पीएमएस) आने वाले समय में एमएफ उद्योग की तरह बढ़ सकती हैं।
हाल में, नियामक ने पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए प्रदर्शन बेंचमार्किंग की पेशकश की है। एमएफ उद्योग की एयूएम ने नवंबर में पहली बार 40 लाख करोड़ रुपये का आंकडा पार किया। हालांकि, बढ़ती रिटेल भागीदारी के बाद भी 2022-23 के दौरान इक्विटी से जुटाई गई पूंजी अभी भी वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले आईपीओ और एफपीओ से जुटाई गई राशि के मुकाबले 64 प्रतिशत कम है।
पूंजी बाजार नियामक द्वारा किए गए सुधारों के बारे में पूर्व बैंकर ने कहा कि सेबी ने वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) को न सिर्फ प्रोटेक्शन खरीदारों के तौर पर बल्कि प्रोटेक्शन विक्रेताओं के रूप में भी क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप में भागीदारी की अनुमति दी। इस कदम से घरेलू कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को भी मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। भाटिया ने कहा, ‘कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार से कोष जुटाए जाने की जरूरत है, क्योंकि यह वित्त के लिए वैकल्पिक स्रोत मुहैया कराता है और बैंकिंग व्यवस्था को दीर्घावणि निवेश के लिए जरूरतें पूरी करने में मदद करता है। मेरी राय में, इससे बैंकिंग प्रणाली में जोखिम भी घटेगा।’
उन्होंने कहा कि सेबी ने हाल में क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (म्युचुअल फंडों के लिए संकेत भी शामिल) के मामले देखने के लिए एक कार्य समूह बनाया है। सेबी ने 20 दिसंबर को हुई अपनी बोर्ड बैठक में वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक स्टॉक एक्सचेंजों के जरिये शेयर पुनर्खरीद चरणबद्ध तरीके से समाप्त किए जाने की मंजूरी दी। भाटिया ने कहा कि इस बदलाव से शेयरधारकों को एक समान व्यवस्था सुनिश्चित करने और व्यवसाय करने की प्रक्रिया आसान बनाने में मदद मिलेगी।
भाटिया ने स्टॉक ब्रोकरों और बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों को विनियमित करने की दिशा में सेबी द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम चाहते हैं कि दीर्घावधि निवेशक भारत की सफलता का जश्न मनाएं। हम यह भी समझते हैं कि जहां तक विनियमन का सवाल है, बाजार से आगे होना कठिन है, लेकिन आंकड़े और परामर्श प्रक्रिया के साथ हम यह
सुनिश्चित करने के लिए बदलाव लाएंगे कि प्रतिभूति बाजार सुगम तरीके से परिचालन करें और सभी चुनौतियों पर खरा उतरें।’
जून में सेबी के पूर्णकालिक निदेशक की जिम्मेदारी संभालने वाले भाटिया रीट और इनविट, एआईएफ जैसे डेट और हाइब्रिड प्रतिभूतियों के लिए विभागों का प्रबंधन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘रीट और इनविट की संभावनाएं पहचानने के लिए सरकार ने कई कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है।’