facebookmetapixel
डॉनल्ड ट्रंप ने BBC पर 40,000 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा दायर कियाबायोकॉन ने नीदरलैंड में उतारी मोटोपे और डायबिटीज के इलाज की दवाजियोस्टार को मिला नया सीएफओ, जानिए कौन हैं जीआर अरुण कुमारकाम के बाद भी काम? ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल’ ने छेड़ी नई बहसलिशस ने रचा इतिहास, पहली बार 100 करोड़ रुपये का मासिक कारोबारविदेशी पढ़ाई की राह बदली: भारतीय छात्र अब दुबई को दे रहे हैं तरजीहIHH हेल्थकेयर भारत में जोड़ेगी 2,000 बेड, 2028 तक बड़ा विस्तारनिवेशकों की नब्ज टटोलने लंदन पहुंची सरकारी टीमआंदोलन बाहर, बढ़ोतरी अंदर: ओडिशा विधायकों ने तीन गुना किया वेतनसोना-चांदी का 70:30 फॉर्मूला क्या सच में काम करता है? जानें क्या बताया मोतीलाल ओसवाल के प्रतीक ओसवाल ने

साल 2022 में डिलिवरी का प्रतिशत सुधरकर 41.4 फीसदी पर पंहुचा

Last Updated- January 11, 2023 | 11:21 PM IST
Indian Market

साल 2022 में डिलिवरी का प्रतिशत सुधरकर 41.4 फीसदी पर पहुंच गया, जो साल 2016 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। निवेशक आम तौर पर उन शेयरों की ​डिलिवरी लेते हैं, जिनमें वे लंबी अवधि के निवेश का मौका देखते हैं।

तेजी के बाजार में बार-बार उच्च डिलिवरी देखने को मिलती है। डिलिवरी आधारित वॉल्यूम में तेजी को सेंटिमेंट में सुधार का संकेतक माना जाता है। लेकिन साल 2022 में डिलिवरी के प्रतिशत में ऐसे साल सुधार हुआ जब बाजार का रिटर्न सुस्त था।

भारतीय बाजारों ने हालांकि वैश्विक समकक्ष बाजारों के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया लेकिन नकदी ट्रेडिंग में लगे निवेशकों के लिए लाभ बहुत ज्यादा नहीं था।

साल 2022 में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 4.4 फीसदी चढ़ा जबकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 4.3 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई। व्यापक बाजारों में लाभ काफी कम रहा। बीएसई मिडकैप में 1.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि बीएसई स्मॉलकैप 1.8 फीसदी फिसल गया।

नकदी बाजार में रोजाना औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम सालाना आधार पर 18 फीसदी घटकर 61,392 करोड़ रुपये (एनएसई व बीएसई) रह गया।
उतारचढ़ाव वाले साल में डिलिवरी प्रतिशत में बढ़ोतरी की वजह विशेषज्ञों ने मार्जिन के नए नियम बताई। अग्रिम मार्जिन सबसे पहले साल 2020 में लागू किया गया और फिर इसकी सीमा में चरणबद्ध‍ तरीके से इजाफा किया गया।

ट्रेडरों के लिए दिसंबर 2020 व फरवरी 2021 के बीच 25 फीसदी मार्जिन मनी अनिवार्य कर दिया गया। मार्च व मई 2021 के बीच इसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया और उसके बाद जून से  अगस्त 2021 में इसे 75 फीसदी कर दिया गया। सितंबर 2021 में इसे बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया गया। नकदी बाजार में अग्रिम मार्जिन के कारण उधार पर सौदा (लिवरेज) कम हुआ, जिससे ट्रेडिंग को लेकर स्वाभाविक प्रवृत्ति कम हो गई।

जीरोधा के संस्थापक व मुख्य कार्या​धिकारी नितिन कामत ने कहा, पिछले साल इंट्राडे लिवरेज हटा दिया गया। पिछले साल तक लिवेज 20 से 30 गुना हुआ करता था और लोग इंट्राडे में ट्रेडिंग करते थे। अब इसकी सीमा बांध दी गई है। कुल मिलाकर इक्विटी टर्नओवर घटा है।

5पैसा कैपिटल के सीईओ प्रकाश गगडानी ने कहा, मार्जिन के नए नियमों के चलते डिलिवरी प्रतिशत पिछले साल से बढ़ना शुरू हुआ।
गगडानी ने कहा, ट्रेडिंग वॉल्यूम डेरिवेटिव की ओर चला गया। नकदी बाजार में ट्रेडिंग की वॉल्यूम हम कम देख रहे हैं और डिलिवरी ज्यादा हो रही है। पहले जब अग्रिम मार्जिन लागू नहीं था तब ब्रोकरों ने नकदी बाजार में ट्रेड के लिए क्लाइंटों को काफी सौदे उधारी पर लेने की अनुमति दी थी और ऐसी अनुमति देने का अधिकार उनके पास था। इसी वजह से इंट्राडे वॉल्यूम नकदी बाजार में काफी ज्यादा होता था। अब लोगों ने अपनी ट्रेडिंग डेरिवेटिव की ओर मोड़ ली है।

बीएसई व एनएसई पर साल 2022 के दौरान रोजाना औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम वायदा व विकल्प में 125 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 117 फीसदी ज्यादा है।

डिलिवरी प्रतिशत 40 से 50 फीसदी के दायरे में रहने की उम्मीद है और यह और बढ़ सकता है अगर बाजार में तेजी का रुख बरकरार रहता है। कामत ने कहा, जब बाजार में तेजी होती है तो डिलिवरी का प्रतिशत ऊंचा होता है।

First Published - January 11, 2023 | 10:48 PM IST

संबंधित पोस्ट