करेंसी वायदा सौदा बाजार एक एक अहम शुरुआत के लिए तैयार है और ऐसे सौदों को निकट भविष्य में क्लेरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) की गारंटी प्राप्त होनी है।
इनका औसत प्रतिदिन वॉल्यूम 18 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है। मौजूदा साल में भारत का अग्रगामी सौदा बाजार (फारवर्ड कांट्रेक्ट मार्केट) 3.5 खरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। करेंसी फारवर्ड हेंजिंग उपकरण हैं जहां जिनके पास करेंसी एक्सपोजर है,वे करेंसी की खरीदारी या बिकवाली फारवर्ड मार्केट में कर सकते हैं।
लेकिन ये सौदे प्राय: दो पार्टियों के बीच में होते हैं और इस तरह के सौदों में प्रोवाइडर्स प्राय: बैंक ही होते हैं। यह एक आधार और ओवर-द-काउंटर उत्पाद है। मौजूदा समय में इस तरह के सौदों की रिपोर्ट सीसीआईएल को की जाती है, लेकिन इनका ज्यादा खुलाशा नहीं होता है क्योंकि ये दो पार्टियों के बीच में होती हैं।
फारवर्ड सौदों का सेटलमेंट सीसीआईएल द्वारा किया जाता है लेकिन इसमें गारंटी की स्वीकृति जैसी कोई बात नहीं है। सीसीआईएल इस तरह के सौदों को गारंटी देना चाहती है। क्लेरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन आर.एस.पाटिल ने कहा कि हमनें आरबीआई केपास हमें फारवर्ड डील की गारंटी देने का प्रस्ताव भेजा है।
इसके बाद वे बैंक जो हेजर को ये उत्पाद देते हैं, को इससे फायदा होगा क्योंकि उन्हें कैपिटल एडेक्वेसी को बरकरार रखने के लिए कम प्रावधान बनाने पड़ेंगे। ज्यादातर मामलों में जब बैंक करेंसी फारवर्ड कांट्रैक्ट बेचते हैं,वे साथ ही स्पॉट मार्केट में डील भी कवर करते हैं।
ऐसे सौदे को मिरर इमेज के नाम से जाना जाता है, का सेटलमेंट और गारंटी दी जाती है लेकिन फारवर्ड कान्ट्रेक्ट की गारंटी किसी भी तीसरे संगठन द्वारा नहीं दी जाती है और इसप्रकार बैंकों को फारवर्ड सौदों के लिए संपूर्ण जोखिम वाला वेटेड कैपिटल देना होता है। यदि सीसीआईएल इस तरह के सौदों को गारंटी देती है तो इससे बैंकों का कैपिटल बचेगा। इसका इस्तेमाल दूसरे अन्य कामों के लिए किया जा सकेगा।
यहां एक दूसरा उत्पाद भी है जिसे माइबोर ओआईएस कहते हैं। इसका मतलब है मुंबई इंटरबैंक ऑफर्ड रेट ओवर नाइट स्वैप। इस उत्पाद का इस्तेमाल इंट्रेस्ट रेट जोखिमों की हेजिंग के लिए किया जाता है। ये सौदे भी दो पार्टियों केबीच होते हैं और ये पारदर्शी नहीं होते हैं। इस तरह के सौदों के सेटलमेंट औ गारंटी के लिए इन्हें स्क्रीन आधारित बनाना है।
जेपी मॉर्गेन एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी नंद कुमार सुर्ती का कहना है कि यदि इस तरह के सौदों का सेटलमेंट किया जाता है और इनकी गारंटी दी जाती है तो यह एक अच्छा कदम हो सकता है और इससे सौदों के मानकीकरण में मदद मिलेगी।
उनके अनुसार सौदों के सेटलमेंट और उनका गारंटी से बाजार ज्यादा सुरक्षित और आसान होगा जबकि मौजूदा समय में कई मामलों में सेटलमेंट का नेगोसिएशन किया जाता है। उन्होंने स्क्रीन आधारित कारोबार का कई मामलों में पक्ष लिया।
जब करेंसी फारवर्ड या मिबोर ओआईएस का कारोबार या सेटलमेंट किया जाता है तो सीसीआईएल लाभ को एकत्रित भी करेगी और इसे भी निश्चित करेगी कि सौदा बाजार के अनुरूप हो जिससे बाजार ज्यादा सुरक्षित और आसान बने। सीसीआईएल इस पर भी विचार कर रही है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई सारी डेटेड सेक्योरिटीज का परीक्षण उसके द्वारा ही किया जाए।