विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से आ रही गिरावट के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भंडार में 67 फीसदी गिरावट मूल्यांकन में बदलाव के कारण हुई है, जो मजबूत डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल ज्यादा होने के चलते हुआ है।
दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और अन्य देशों के मुकाबले व करीब-करीब सभी मानकों में हमारी स्थिति यह है कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से ज्यादातर से हमारी दुर्बलता काफी कम है। दास की टिप्पणी इस हफ्ते वित्त मंत्रालय के उस संकेत के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि सरकार रुपये को किसी खास स्तर तक रोकने के लिए अमेरिकी डॉलर की बिकवाली के पक्ष में नहीं है।
3 सितंबर, 2021 के 642.45 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर से आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 23 सितंबर, 2022 को दो साल के निचले स्तर 537.52 अरब डॉलर रह गया। भंडार में फरवरी में 94 अरब डॉलर की गिरावट आई थी जब रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। इस महीने आरबीआई कह चुका है कि 553 अरब डॉलर का मुद्रा भंडार मौजूदा वित्त वर्ष में 9 महीने के आयात कवर का प्रतिनिधित्व करता है।
सितंबर 2021 में 15 महीने का आयात कवर था। इस कैलेंडर वर्ष में रुपये में डॉलर के मुकाबले 8.6 फीसदी की गिरावट आई है। रुपये में गिरावट की रफ्तार हालांकि 21 सितंबर के बाद तेज हो गई जब फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का चक्र अनुमान से ज्यादा लंबा रहने का संकेत दिया। तब से देसी मुद्रा में 1.7 फीसदी की फिसलन देखने को मिली है। दास ने शुक्रवार को दोहराया कि आरबीआई देसी विनिमय दर के लिए किसी खास स्तर का लक्ष्य लेकर नहीं चल रहा है और अत्यधिक उतारचढ़ाव की स्थिति में ही बाजार में हस्तक्षेप करता है।