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एफपीआई की निकासी और नतीजों की चिंता से टूटे बाजार

सेंसेक्स 572 अंक (0.7 फीसदी) गिरकर 80,891 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 156 अंक (0.6 फीसदी) की नरमी के साथ 24,681 पर टिका।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- July 28, 2025 | 11:15 PM IST

भारतीय इक्विटी बेंचमार्क सोमवार को फिर फिसल गए। इसकी वजह भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में गतिरोध, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार बिकवाली रही। लिहाजा, बैंकिंग और आईटी दिग्गजों में तेज गिरावट हुई।

सेंसेक्स 572 अंक (0.7 फीसदी) गिरकर 80,891 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 156 अंक (0.6 फीसदी) की नरमी के साथ 24,681 पर टिका। इस बिकवाली से बीएसई के बाजार पूंजीकरण में 3.8 लाख करोड़ रुपये की कमी आई जो अब 448 लाख करोड़ रुपये रह गया है। मासिक नुकसान 13.3 लाख करोड़ रुपये रहा है और दोनों बेंचमार्क सितंबर के उच्चतम स्तर से करीब 6 फीसदी नीचे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की समयसीमा से पहले किसी अंतरिम समझौते की उम्मीदें धूमिल पड़ने और भारत तथा अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में गतिरोध की खबरों के बीच निवेशक तेजी के दांव लगाने से कतरा रहे थे। इसके विपरीत अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच समझौते ने बड़े व्यापार विवाद की चिंताओं को कम किया, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता था। इन दोनों के समझोते से वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी आई।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने रविवार को एक व्यापार समझौते की घोषणा की। इसके तहत यूरोपीय संघ को अपने अधिकांश निर्यातों पर 15 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। सोमवार को एफपीआई 6,083 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे, जो लगातार छठे दिन उनकी बिकवाली रही। यह 30 मई के बाद उनकी किसी एक दिन में सबसे अधिक बिक्री भी रही।।

सेंसेक्स की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान कोटक महिंद्रा बैंक का रहा। उसके बाद भारती एयरटेल और बजाज फाइनैंस का स्थान रहा। कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में 7.5 फीसदी की गिरावट आई जो 25 अप्रैल 2024 के बाद की उसकी एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। निजी क्षेत्र के इस बैंक ने अप्रैल-जून तिमाही में अपने एकीकृत शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की है और यह 4,472 करोड़ रुपये रहा है। ज्यादा फंसे कर्ज के कारण प्रावधान आदि में बढ़ोतरी का भी तिमाही लाभ पर असर पड़ा।

टीसीएस ने रविवार को घोषणा की थी कि वह इस वित्त वर्ष में अपने 6,13,069 वैश्विक कर्मचारियों में से करीब 2 फीसदी यानी लगभग 12,260 कर्मचारियों की छंटनी करेगी जिसके बाद कंपनी के शेयर ने कारोबारी सत्र का समापन 1.76 फीसदी की गिरावट के साथ किया।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, पहली तिमाही के निराशाजनक नतीजों, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली के कारण घरेलू बाजार में धारणा सतर्क बनी हुई है। इसके विपरीत वैश्विक बाजार मोटे तौर पर सकारात्मक बने हुए हैं। उन्हें अमेरिका-यूरोपीय संघ के व्यापारिक घटनाक्रमों का समर्थन मिला और इसे अनुमान से कम चिंताजनक माना जा रहा है।

आने वाले दिनों में बाकी कंपनियों के नतीजों और अमेरिका के साथ व्यापार करार की दिशा से बाजार की चाल तय होगी। रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजित मिश्र ने कहा, बाजार इस समय घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। बैंकिंग क्षेत्र में शुरुआती मजबूती ने गिरावट को सीमित करने में मदद की थी।

First Published : July 28, 2025 | 10:55 PM IST