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SME पर फूंक-फूंककर कदम बढ़ाएं ऑडिटर: सेबी

पूर्णकालिक सदस्य ने कहा कि तरजीही आवंटन का इस्तेमाल प्रवर्तकों को लाभ पहुंचाने में किया गया

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 23, 2024 | 10:59 PM IST

बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया ने छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) की सूचीबद्धता और रकम जुटाने की उनकी गतिविधियों पर सतर्क रुख अपनाने की सलाह दी है। हेराफेरी और धोखाधड़ी वाले उदाहरणों के बीच उन्होंने ये बातें कहीं। आईसीएआई की कॉन्फ्रेंस में शुक्रवार को भाटिया ने कहा कि सावधानी के साथ ऑडिट करके ऐसे मामलों को रोका जा सकता था।

नियमों के उल्लंघन, वित्तीय जोड़-तोड़ और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों में शामिल होने कारण हाल में सेबी ने कई एसएमई के खिलाफ कार्रवाई की है। इसी संदर्भ में उनकी यह टिप्पणी देखने को मिली है। नियामक को म्यूल खातों ( अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल खाता) के जरिये आईपीओ सबस्क्रिप्शन और कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के मामले भी मिले हैं।

शुक्रवार को डेबॉक इंडस्ट्रीज के खिलाफ सेबी ने कार्रवाई की जिसने बैलेंस शीट को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए फर्जी लेनदेन का सहारा लिया और मुख्य प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए तरजीही आवंटन का इस्तेमाल किया गया और राइट्स इश्यू के जरिये जुटाई गई रकम की हेराफेरी की गई। सेबी ने डीबॉक इंडस्ट्रीज और उसके प्रबंधन को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और 89 करोड़ रुपये की अवैध कमाई वापस करने का आदेश दिया है।

कॉन्फ्रेंस में मौजूद अंकेक्षकों से भाटिया ने अनुरोध किया कि हम सामान्य तौर पर एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे खाते में रकम के जाने की व्यवस्था पसंद नहीं करते, हम संबंधित पक्षों को रकम का जाना भी अच्छा नहीं लगता, जिसे आप कुछ साल बाद बट्टे खाते डालते हैं। इसकी निगरानी काफी आसान है। हमने एक दिन में 10 अलग-अलग इकाइयों के साथ लेनदेन देखा है और यह उसी कंपनी में घूमकर वापस आ गया है। सावधान रहें और जिनके साथ आप काम कर रहे हों, उन इकाइयों के अच्छे पार्टनर बनें।

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य ने उन्हें चौकस रहने की भी सलाह दी और कहा कि अगर उन्हें वित्तीय आंकड़ों के साथ कुछ गड़बड़ी दिखती हो उसे सामने लाएं। उन्होंने कहा कि अंकेक्षकों को चौकस रहने की दरकार है। संबंधित पक्षकारों के लेनदेन में एक अंतर्निहित हितों का टकराव होता है – निदेशकों को कंपनी और खुद के हितों, अपने मित्रों के हितों का प्रबंधन करना होता है।

ऐसे हितों के टकराव के कुप्रबंधन से रकम की हेराफेरी होती है और अंतत: शेयरधारकों की संपत्ति में कमी की कीमत पर प्रवर्तक कंपनियों को फायदा होता है। अंकेक्षकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित पक्षकार के लेनदेन के मामले में डिस्क्लोजर कानून के तहत हो।

बाजार नियामक ने एसएमई के खिलाफ चौकसी बढ़ाई है और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज सूचीबद्धता के लिए मानक शर्तों को सख्त बना रहा है। ये बदलाव 1 सितंबर से प्रभावी होंगे। गुरुवार को जारी एनएसई के नोटिस के मुताबिक एसएमई का पिछले तीन वित्त वर्ष में से कम से कम दो में सकारात्मक मुक्त नकदी प्रवाह टु इक्विटी (एफसीएफई) होना चाहिए। इसके बाद ही उसका आवेदन आईपीओ का पात्र होगा। अंकेक्षित बैलेंस शीट पर भी इसकी गणना की जाएगी।

इससे पहले सेबी ने एसएमई शेयरों के लिए अल्पावधि वाली अतिरिक्त निगरानी वाले ढांचे (एसटी-एएसएम) का विस्तार किया था जो कीमत और वॉल्यूम में होने वाले उतारचढ़ाव की निगरानी करता है। एक्सचेंज ने एसएमई के लिए सूचीबद्धता के दिन कीमत में अधिकतम 90 फीसदी की बढ़ोतरी की सीमा भी लगा दी है।

एनएसई इमर्ज पर कुल सूचीबद्धता जुलाई में 500 के पार हो गई और माह के दौरान 22 नई कंपनियां सूचीबद्ध हुईं। जुलाई में सबसे ज्यादा कंपनियां सूचीबद्ध हुईं और कुल 1,030 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसके साथ ही भाटिया ने यह भी कहा कि असूचीबद्धता के नियम आसान बनाए जाने के बावजूद कंपनियां उच्च मूल्यांकन के कारण प्राइवेट का विकल्प नहीं चुन रहीं।

इसके बजाय वैश्विक फर्में भारत में सूचीबद्धता के लिए आकर्षित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि करीब 65 लाख करोड़ रुपये की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों वाला म्युचुअल फंड उद्योग आकार में बैंकिंग उद्योग को पीछे छोड़ सकता है।

First Published : August 23, 2024 | 10:10 PM IST