अमेरिका की वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टैनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन दशक में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के शेयरधारकों के लिए परिसंपत्ति बिक्री चक्र से 2-3 गुना वैल्यू सृजित हुई। हरेक दशक में बाजार पूंजीकरण में 60 अरब डॉलर का इजाफा हुआ।
फर्म ने कहा है कि जहां आरआईएल की रिटेल व्यवसाय की हिस्सेदारी का मूल्यांकन बढ़कर 119 अरब डॉलर हो गया वहीं उसका अनुमान है कि उसका ईवी/एबिटा मल्टीपल 32 गुना से बढ़कर 33 गुना हो गया होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आरआईएल इस सदी में अपने चौथे बिक्री चक्र में है और हम मूल्य सृजन में 100 अरब डॉलर तक की तेजी की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि व्यापार चक्र बदल रहा है, नया नकदी प्रवाह मजबूत हो रहा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जियोमार्ट के ई-कॉमर्स व्यवसाय के लिए हम 2 गुना ईवी/बिक्री (पहले 1.8 गुना) के मल्टीपल लागू कर रहे हैं, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के अनुरूप है। हमारा मानना है कि रिटेल में वृद्धि परिदृश्य मजबूत बना हुआ है क्योंकि आरआईएल के स्टोर विस्तार की वजह से मांग तेजी से बढ़ी है।’
ब्रोकरेज ने यह भी कहा है कि कंज्यूमर रिटेल में तेजी देखी जा सकती है, क्योंकि स्टोर विस्तार और ब्रांड अधिग्रहण का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है। आरआईएल का शेयर 3,120 रुपये पर बंद हुआ और सोमवार तक उसका कुल मूल्यांकन 21.11 लाख करोड़ रुपये था।
मॉर्गन स्टैनली ने कहा है कि उसने डिजिटल निवेश में आरआईएल की 66.43 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्यांकन उसके निहित ईवी/एबिटा मल्टीपल पर किया है। उसने कहा, ‘हमने ऊंचे प्रतिस्पर्धी मल्टीपल प्रदर्शित करने के लिए टेलीकॉम वर्टिकल के लिए 11 गुना (पहले 9.5 गुना) का मल्टीपल अनुमानित किया है।’
नए ऊर्जा व्यवसाय के बारे में मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि उसने ईवी/निवेश की गई पूंजी के मल्टीपल का इस्तेमाल कर नए ऊर्जा व्यवसाय का मूल्यांकन निर्धारित किया है क्योंकि उसने 6 गीगावॉट की एकीकृत सोलर सप्लाई चैन और 5 गीगावॉट बैटरी उत्पादन के लिए सरकार से पीएलआई हासिल करते हुए अपना निवेश बढ़ाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सबसे अहम बात यह कि कंपनी ने जब भी अपने कारोबार को नए सिरे से परिभाषित किया है, उसने निवेशकों की उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता हासिल की है। यह मुद्रीकरण 2021-23 में 60 अरब डॉलर के निवेश के बाद हुआ है, जो आरआईएल के लिए 1990 के दशक के बाद सबसे छोटा निवेश चक्र था।’
असंगठित क्षेत्र से बाजार भागीदारी पाने के लिए अक्षय ऊर्जा में निवेश किया गया, रिटेल में विस्तार हुआ और मौजूदा ऊर्जा व्यवसायों को लंबी अवधि में लगातार आय वृद्धि देने में सक्षम बनाने के प्रयास किए गए। उन्हें ऐसा बनाया गया जिससे कि वे 3 साल बाद भी 10 फीसदी से अधिक का आरओसीई (निवेशित पूंजी पर रिटर्न) देते रहें।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में दूरसंचार शुल्क वृद्धि, तेल की कीमतों और रिफाइनिंग मार्जिन के कारण उसने 2025 के लिए ईपीएस (प्रति शेयर आय) अनुमानों को आंशिक रूप से बढ़ा दिया है। ईपीएस के लिए आय अनुमान वर्ष 2026 के लिए 7 प्रतिशत और 2027 के लिए 8 प्रतिशत बढ़ाए गए हैं।