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Market Valuation: क्या वाकई भारतीय शेयर महंगे हैं? जानिए क्यों एक्सपर्ट्स को अभी भी बाजार पर पूरा भरोसा है

Market Valuation: कॉरपोरेट अर्निंग्स, मजबूत इकॉनमी और ग्लोबल तुलना के आधार पर बाजार को बताया जा रहा है स्थिर – डरने की नहीं, समझने की ज़रूरत है।

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साई अरविंद   
Last Updated- July 21, 2025 | 9:09 AM IST

भारतीय शेयर बाजार को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। इस बार कारण है बाजार की हालिया रिकवरी, जिसमें निफ्टी और सेंसेक्स ने मार्च 2025 के निचले स्तरों से करीब 75% तक की गिरावट की भरपाई कर ली है। इस रिकवरी के बाद अब कई विशेषज्ञ यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या भारतीय शेयर बाजार अब ज़रूरत से ज़्यादा महंगे हो गए हैं या फिर यह देश की मजबूत आर्थिक स्थिति और कंपनियों की बढ़ती कमाई का नतीजा है?

आनंद राठी का विश्लेषण: वैल्यूएशन को लेकर डरना जरूरी नहीं

ब्रोकरेज फर्म आनंद राठी के विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल शेयर बाजार के वैल्यूएशन को ‘महंगा’ कहना पूरी तस्वीर नहीं दिखाता। उनके अनुसार दो अहम बातें ध्यान देने वाली हैं। पहली, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और दूसरी, कॉर्पोरेट सेक्टर की लगातार अच्छी कमाई। इसके अलावा, भारतीय बाजारों का वैल्यूएशन न केवल अपने ऐतिहासिक स्तरों के करीब है बल्कि वैश्विक बाजारों की तुलना में भी संतुलित दिखता है।

दूसरे देशों से तुलना: भारत अब संतुलन में

निफ्टी 50 इस समय एक साल आगे की अनुमानित कमाई (forward earnings) के हिसाब से 20.5x पर ट्रेड कर रहा है, जो उसके 10 साल के औसत 20.8x के लगभग बराबर है। वहीं अमेरिका का डाओ जोन्स 22.3x और चीन के A-शेयर 17.8x पर हैं, जो उनके ऐतिहासिक औसत से ऊपर हैं। भारत और अमेरिका के बीच पी/ई रेशियो का अंतर भी अब घटकर केवल 1% रह गया है, जो कोविड से पहले करीब 5% था।

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कमाई में सुस्ती: क्या ये बाजार के लिए खतरे की घंटी है?

हालांकि, हाल के तिमाही नतीजे संकेत देते हैं कि कंपनियों की कमाई में थोड़ी सुस्ती आई है। Q1FY26 यानी अप्रैल से जून 2025 की तिमाही में निफ्टी 50 की कंपनियों का कुल मुनाफा सिर्फ 4.6% बढ़ा है और बिक्री में 5.5% की ग्रोथ देखी गई है। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड आगे भी जारी रहा, तो बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन पर सवाल उठ सकते हैं।

निवेशकों का भरोसा ही है असली वजह

INVasset PMS के रिसर्च एनालिस्ट कल्प जैन के मुताबिक, भारत का शेयर बाजार महंगा ज़रूर लग सकता है, लेकिन इसमें घबराने वाली बात नहीं है। उनके अनुसार यह महंगाई नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक मजबूती और निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। भारत और अमेरिका के बीच वैल्यूएशन का अंतर कम होना इस बात का संकेत है कि ग्लोबल निवेशक अब भारत को गंभीरता से ले रहे हैं। हालांकि भारत की तुलना में बाकी उभरते बाजार सस्ते हैं, लेकिन भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था इसकी भरपाई करती है।

भारत की आर्थिक स्थिति दे रही मजबूती

भारत की राजकोषीय स्थिति में सुधार, नियंत्रित महंगाई और स्थिर मौद्रिक नीति के चलते बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट आई है, जिससे शेयर बाजार को सपोर्ट मिला है। आनंद राठी के मुताबिक, यह स्थिति आने वाले वर्षों में बाजार के और बेहतर प्रदर्शन की नींव रख सकती है।

मार्केट की गिरावट नहीं, ये एक संतुलन है

हालांकि जून के अंत से लेकर अब तक बाजार में करीब 2.5% की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इसे बड़ी गिरावट नहीं, बल्कि एक ‘रीसेट’ या ‘संतुलन की प्रक्रिया’ के रूप में देखा जाना चाहिए। मार्च 2025 के निचले स्तरों से अब तक निफ्टी 50 में 14.2% और सेंसेक्स में 13% की तेजी आ चुकी है

First Published : July 21, 2025 | 9:09 AM IST